संघर्ष विराम उल्लंघन पर सकते में है भारत: खुर्शीद
भारत ने कहा कि वह पाकिस्तान की ओर से किये गए संघर्ष विराम उल्लंघन को लेकर अभी सकते में है जिसमें पांच भारतीय सैनिक मारे गए थे.
सलमान खुर्शीद |
उन्होंने ने कहा कि किसी भी द्विपक्षीय वार्ता के लिए सीमा पर शांति बहाल होनी चाहिए.
संघर्ष विराम उल्लंघन रोका जाए
विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने नियंत्रण रेखा और जम्मू कश्मीर में सीमा पर तनाव बढ़ने के बीच कहा कि वर्तमान समय में प्राथमिकता यह है कि संघर्ष विराम उल्लंघन रुकना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की हाल की कार्रवाइयों से भारत में निराशा का भाव है.
पाकिस्तान के साथ बातचीत को लेकर भारत अपनी प्रतिक्रिया दे इससे पहले यह आवश्यक है कि ‘स्थितियां स्पष्ट हों.’
उन्होंने कहा, ‘हम विभिन्न चीजों पर प्रतिक्रिया दें, उससे पहले स्थितियां स्पष्ट होनी चाहिए जो आधी अधूरी हैं.’
उन्होंने कहा, ‘आज के वातावरण में कोई प्रतिक्रिया देना संभव नहीं है. यह निराशा का भाव है. सीमा पर हमारे जवान मारे गए, हम अब भी दुख और सकते में हैं.’
खुर्शीद ने कहा कि आज प्राथमिकता है कि संघर्ष विराम उल्लंघन रुके.
पाकिस्तान के साथ वार्ता करने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘आज प्राथमिकता है कि पहले संघर्ष विराम रुके. महत्वपूर्ण बात यह है कि नियंत्रण रेखा और सीमा पर शांति एवं धैर्य का माहौल हो. यही सबसे बड़ी प्राथमिकता है.’
अब पाकिस्तान कदम बढ़ाए
उन्होंने कहा, ‘हम इन मुद्दों का समाधान निकालें उससे पहले दूसरी तरफ, पाकिस्तान की तरफ से कुछ कदम उठाए जाने की जरूरत है.’
पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी एवं संघर्ष विराम उल्लंघन के कारण सीमा पर तनाव बढ़ गया है.
करीब एक हफ्ते पहले पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा के पास पांच भारतीय सैनिकों की हत्या के बाद यह तनाव और बढ़ गया.
सीयूटीएस के 30वें वार्षिक व्याख्यान में ‘इंडियाज इकोनॉमिक इंटीग्रेशन विद एशिया’ विषय पर खुर्शीद ने कहा कि भारत को चीन के साथ संज्ञानात्मक एवं समझौतापरक वार्तालाप की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘वार्ता मजबूती, प्रभावी, विश्वास के साथ होनी चाहिए, न कि दबी जुबान से. वार्तालाप घरेलू जरूरतों के साथ समय-समय पर समझौतापरक होना चाहिए.’
सलमान ने कहा कि भारत और चीन एक दिन साथ मिलकर काम करेंगे लेकिन आज नहीं क्योंकि ‘यह काफी जल्दबाजी होगी.’
खुर्शीद ने कहा कि भारत दक्षिण चीन सागर में उत्खनन कर रहा है जहां इसके वियतनाम एवं क्षेत्र के अन्य देशों के साथ व्यावसायिक समझौते हैं.
उन्होंने कहा, ‘दक्षिण चीन सागर में हम किसी विवाद में शामिल नहीं हैं. हमारा मानना है कि इसका समाधान देशों के बीच द्विपक्षीय तरीके से होना चाहिए जिनके अलग अलग मत हैं.इसे शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए और आचार संहिता का पूरी तरह पालन करते हुए किया जाना चाहिए जो आसियान दक्षिण चीन सागर के लिए बना रहा है.’
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