रक्षा बजट 1,64,415 करोड़
सरकार ने रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी करते हुए वित्त वर्ष 2011-12 में देश की सुरक्षा का खर्च एक लाख 64 हजार 415 करोड़ रुपए कर दिया है.
|
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पिछले बजट के मुकाबले प्रावधान में 17071 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की है.
वित्त मंत्री ने सोमवार को रक्षा बजट 2011-12 को बढ़ाकर 1,64,415 करोड़ रुपए करने की घोषणा की. रक्षा बजट में इस वृद्धि का प्राथमिक उद्देश्य जल, थल और वायु सेना का तेजी से आधुनिकीकरण करना है.
यह राशि पिछले बजट में रक्षा क्षेत्र को आवंटित 1,47,344 करोड़ रुपये से कम-से-कम 11 फीसदी अधिक है.
मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र के लिए पूंजीगत खर्च को बढ़ाकर 69,199 करोड़ रुपए कर दिया गया है, जो वित्त वर्ष 2010-11 में 60,000 करोड़ रुपये था. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर रक्षा क्षेत्र को और अधिक राशि आवंटित की जाएगी.
मुखर्जी की इस घोषणा से अगले वित्त वर्ष में 10.4 अरब डॉलर की कीमत से 126 लड़ाकू विमान सहित हथियारों की खरीद के अनेक सौदे के आगे बढ़ने की उम्मीद है.
रक्षा बजट में पिछले साल (2010-11) एक लाख 47 हजार 344 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था, जबकि इससे पिछले वर्ष (2009-10) रक्षा बजट में एक लाख 41 हजार 570 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था.
2010-11 के बजट में सेना के लिए 57 हजार करोड़, नौसेना के लिए 9312 करोड़ और वायुसेना के लिए 15210 करोड़ रुपए रखे गए थे.
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में भारत के सामने सामरिक चुनौतियां बढ़ी हैं. पड़ोसी पाकिस्तान तो भारत के लिए चुनौती रहा ही है अब चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए भी रक्षा बजट बढ़ाना भारत की मजबूरी सा बन गया था.
वायुसेना बेड़े के पुराने हो चुके विमानों के चलते नए लड़ाकू विमान, थलसेना को नई तोपों के साथ टैंक और अन्य रॉकेट प्रणालियों से लैस करने की योजना चल रही है. आने वाले वर्षों में भारत को अपनी रक्षा तैयारी में रक्षात्मक मिसाइलों पर भी विशेष प्रावधान करने की आवश्यकता होगी.
भारत को अपनी नौसैनिक चौकसी बढ़ाने के लिए नौसेना पर भी खर्च बढ़ाने की जरूरत है.
Tweet |