बीटिंग रिट्रीट में गूंजी शानदार धुनें
भारतीय सेना के बैंड ने बीटिंग रिट्रीट में अपनी धुनों से मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
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इसके साथ ही देश के 62वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो गया.
यह सम्भवत: पहला अवसर है जब बीटिंग रिट्रीट समारोह में सेना के बैंडों ने ज्यादातर भारतीय धुनों को बजाया. कुल 25 धुनों में से 19 धुनों को भारतीय संगीतकारों ने तैयार किया.
समारोह में विदेशी संगीतकारों द्वारा तैयार चार लोकप्रिय धुनों को बजाया गया. समारोह में वाद्ययंत्र तुरही पर आधारित 'फैनफेयर' और ढोल आधारित 'ड्रमर्स कॉल' को दो बार बजाया गया. दो धुनों 'गजराज' और 'रेशमी' को इस अवसर पर पहली बार बजाया गया.
इस बार के समारोह में सेना के तीनों अंगों के कुल 12 बैंडों ने शिरकत की. इनके अलावा ढोल, तुरही और बिगुल के कलाकारों ने अपने पारंपरिक कला का प्रदर्शन किया.
पश्चिमी धुन 'एबाइड विद मी' और उर्दू कवि मोहम्मद 'अलामा' इकबाल द्वारा स्वतंत्रता पूर्व तैयार 'सारे जहां से अच्छा' धुन के अलावा अन्य धुनों को कम से कम एक दशक के अंतराल के बाद बजाया गया.
बीटिंग रिट्रीट समारोह की कल्पना वर्ष 1950 में भारतीय सेना के मेजर राबर्ट्स ने की. यह समारोह लड़ाई के मैदान से वापस शिविरों में लौटने के बाद शाम के समय में सेना की समृद्ध प्रथाओं और युद्ध अभ्यासों का शानदार चित्र उपस्थित करता है.
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