‘धरती का स्वर्ग’ है शिमोगा
खूबसूरत प्राकृतिक नजारों और खुशनुमा मौसम के कारण भी शिमोगा बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है.
![]() कर्नाटक का ब्रेड बास्केट |
तुंगा नदी की उर्वरक भूमि के तट पर स्थित शिमोगा कर्नाटक के सम्पन्न शहरों में से एक है. इस शहर का नाम शिव-मुख से लिया गया है जिसका अर्थ शिव का चेहरा है.
इतिहास गवाह है कि दक्षिण भारत के महान शासकों के साम्राज्य में शिमोगा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यह बेंगलुरू से 275 किमी. की दूरी पर स्थित है. इस जिले से पांच नदियां बहती हैं, जिस वजह से यह बहुत उपजाऊ है और इसे ‘कर्नाटक का ब्रेड बास्केट’और ‘कर्नाटक का राइस बाउल’ भी कहा जाता है.
भरपूर वर्षा और सह्याद्रि रेंज के कारण यहां की नदियों में पानी की पर्याप्त आपूर्ति होती है. स्थानीय लोग शिमोगा को ‘धरती का स्वर्ग’ कहते हैं, क्योंकि यह हर एक को कुछ न कुछ देता है. यहां मंदिर, पहाड़ और जोग फॉल स्थित है जो देश का सबसे ऊंचा वाटर फॉल है. अपने खूबसूरत प्राकृतिक नजारों और खुशनुमा मौसम के कारण भी शिमोगा बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है.
क्या देखें
जोग फॉल
शरवती नदी के तेज प्रवाह से बनने वाला जोग फॉल लगभग 829 फुट (253 मीटर) की ऊंचाई से चार अलग-अलग जलप्रपातों के रूप में गिरता है. आमतौर पर इन चारों जलप्रपातों को राजा, रानी, रोरर और रॉकेट नाम से जाना जाता है.
एशिया के सबसे ऊंचे वाटर फॉल के रूप में जाना जाने वाला जोग फॉल कर्नाटक का मुख्य टूरिस्ट आकर्षण है. यह शिमोगा से 104 किमी. दूर है.
होनेमरडु
1960 में लिगनमक्की बांध बनने के कारण होनेमरडु गांव नष्ट हो गया था. लेकिन इसे पुनर्जीवित किया जा चुका है और अब यह स्थान वाटर स्पोर्ट्स के शौकीनों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं.
होनेमरडु शरवती नदी के बैंकवाटर्स पर स्थित है और इसके आसपास कई छोटे टापू भी हैं. इसी वजह से यहां स्वीमिंग, कायकिंग, वाटर सर्फिग, कैंपिंग, ट्रैकिंग और र्बड वाचिंग के लिए उपयुक्त जगह मानी जाती है.
इसके अलावा होनेमरडु के आसपास भी कई खूबसूरत स्थल हैं जैसे दब्बे फॉल्स, सागर, शरवती घाटी, वन्यजीव अभ्यारण्य और कानूर कोटे किला.
जोगी मुंडी
यह ताजे पानी का छोटा सा सरोवर है. इस स्थान का नाम जोगी नामक संत के नाम पर पड़ा. ये संत यहां तपस्या करते थे. यह जलाशय तुंगभद्रा नदी की एक सहायक नदी मालापहाड़ी का स्रोत है.
इसका पानी 30-50 फुट लंबी गुफा से होते हुए इस सरोवर तक पहुंचता है. इस स्थान पर प्रकृति की सुंदरता आनंद ले सकते हैं. केलाडी यह स्थान अपने पाषाण मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है.
यह गांव 16वीं शताब्दी के केलाडी राजाओं की पहली राजधानी थी. यहां वीरभद्रेश्वर, रामेश्वर और पार्वती नामक तीन मंदिर हैं. रामेश्वर और वीरभद्रेश्वर मंदिर होयसल आरै द्रविड़ वास्तुशिल्प का अनोखा संगम है.
पार्वती मंदिर का एक हिस्सा, जो काला है, पत्थरों का बना हुआ है. रामेर मंदिर के पास ही केलाडी संग्रहालय है जहां नायक काल के ताम्रपत्र, ताड़पत्र और सिक्को को प्रदर्शित किया गया है. यह स्थान शिमोगा से 80 किमी. दूर है.
कुबेतूर
इस स्थान को शिमोगा का प्रमुख पर्यटन स्थल कहा जाता है क्योंकि यह कई मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. हालांकि अब ये मंदिर काफी जर्जर स्थिति में है फिर भी ये प्राचीन शासनकाल के वैभव और विकसित कला का आभास कराते हैं. केदारेश्वर मंदिर चालुक्य वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है.
कैसे पहुंचें
राज्य के प्रशासनिक हेडक्वार्टर्स के रूप में शिमोगा का महत्व और भी बढ़ जाता है इसलिए यहां आवागमन के सभी साधन उपलब्ध हैं
हवाई मार्ग:
वर्तमान में मेंगलोर का एयरपोर्ट यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, जो देश के मुख्य शहरों जैसे मुंबई, बेंगलुरू, गोवा, कोच्चि, कोझिकोड और चेन्नई से जुड़ा है. मेंगलो शिमोगा से 200 किमी. की दूरी पर स्थित है. हालांकि शिमोगा में भी एयरपोर्ट बन रहा है जो जल्द ही शुरू हो जाएगा.
रेल मार्ग: शिमोगा का रेलवे स्टेशन तलगुप्पा से जुड़ा है. यह स्टेशन बेंगलुरू-तलगुप्पा रेल मार्ग पर पड़ता है. बेंगलुरू-शिमोगा एक्सप्रेस ट्रेन प्रतिदिन इस मार्ग से आती-जाती है. यहां का करीबी रेलहेड टारीकेरे जंक्शन रेलवे स्टेशन है.
सड़क मार्ग:
राज्य के प्रमुख शहरों से शिमोगा जुड़ा हुआ है. बेंगलुरू से एनएच-4 द्वारा यहां पहुंच सकते हैं. तुमकुर के रास्ते आने वाले पर्यटक गुब्बी से एनएच-206 पर आ जायं. एनएच-206 पर चलते हुए आप शिमोगा पहुंच सकते हैं.
क्या करें शिमोगा में पर्यटकों का मनोरंजन और उनकी यात्रा यादगार बनाने के लिए कई फन एक्टिविटीज उपलब्ध हैं. यहां आप बोटिंग कर सकते हैं, तरह-तरह की चिड़ियों को देख सकते हैं. साथ ही, जंगल सफारी का आनंद भी ले सकते हैं.
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