किसी वरदान से कम नहीं काला धतूरा, अस्थमा- पथरी के इलाज में लाभदायक

Last Updated 13 Mar 2025 09:38:58 AM IST

काला धतूरा, जिसे आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है, अब वैज्ञानिक शोध में भी फायदेमंद साबित हो रहा है। हालांकि इसे जहरीला माना जाता है, लेकिन नियंत्रित मात्रा में और सही तरीके से इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है।


किसी वरदान से कम नहीं काला धतूरा, अस्थमा- पथरी के इलाज में लाभदायक

रिसर्च जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी एंड फार्माकोडायनामिक्स (आरजेपीपीडी) के शोध में पाया गया कि काले धतूरे में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गुण होते हैं, जो विभिन्न रोगों के इलाज में सहायक हो सकते हैं। शोध के अनुसार, काले धतूरे के बीज और पत्तों का धुआं दमा (अस्थमा) और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी समस्याओं में राहत दे सकता है।

इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व सिरदर्द, जोड़ों के दर्द और गठिया जैसी समस्याओं में राहत दिलाने में सहायक हो सकते हैं। पारंपरिक चिकित्सा में फोड़े-फुंसी, खुजली और त्वचा संक्रमण के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है। शोध में भी पाया गया कि इसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा रोगों में फायदेमंद हो सकते हैं।

काले धतूरे के कुछ तत्व मांसपेशियों को आराम देने और ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में इसे पाचन सुधारने, बुखार कम करने और संक्रामक रोगों से बचाव के लिए उपयोग किया जाता रहा है।

आरजेपीपीडी के शोध के अनुसार, धतूरे के पत्तों का स्वाद कड़वा होता है और धतूरे के बीजों जैसी ही गंध होती है। इसका उपयोग एनोडीन और एंटीस्पास्मोडिक के रूप में भी किया जाता है। यह पौधा तीखा, मादक, दर्द निवारक, ऐंठन-रोधी, नशीला और उल्टी लाने वाला होता है। यह कई प्रकार की बीमारियों में फायदेमंद है। अस्थमा, खांसी, बुखार, सूजन, नसों का दर्द, पागलपन, मांसपेशियों में दर्द, हाइपरएसिडिटी, अल्सर, गुर्दे का दर्द और पथरी में इसके उपयोग की सलाह दी जाती है। इसके जड़ों का उपयोग पागल कुत्तों के काटने पर किया जाता है।

पत्तियों का प्रयोग सूजन और बवासीर में होता है, और इनका रस जूं और त्वचा रोगों के उपचार के लिए बाहरी रूप से लगाया जाता है। पत्तियों को पुल्टिस के रूप में कटिवात, साइटिका, नसों के दर्द, कण्ठमाला और दर्दनाक सूजन में उपयोग किया जाता है।

शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि काले धतूरे का अधिक सेवन जहरीला हो सकता है और इसके कुछ रासायनिक तत्व नर्वस सिस्टम पर असर डाल सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गलत तरीके से सेवन करने पर यह मतिभ्रम, उल्टी, हृदय गति में गड़बड़ी और गंभीर मामलों में मौत का कारण भी बन सकता है। इसलिए इसे केवल आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या डॉक्टर की देखरेख में ही इस्तेमाल करना चाहिए।

काला धतूरा एक औषधीय पौधा है, जिसमें कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, लेकिन इसका सही मात्रा में और सावधानीपूर्वक उपयोग करना बेहद जरूरी है। वैज्ञानिक शोध भी इसकी औषधीय क्षमता को मान्यता दे रहे हैं, लेकिन इसके दुष्प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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