घुटना प्रत्यारोपण की सटीकता पर विशेषज्ञ कर रहे अध्ययन
द रोबा विंसी रोबोट और पारापंरिक शल्यक्रिया से अब तक किए गए घुटना प्रत्यारोपण की सटीकता पर भारतीय विशेषज्ञ पहली बार तुलनात्मक अध्ययन कर रहे हैं।
घुटना प्रत्यारोपण की सटीकता पर विशेषज्ञ कर रहे अध्ययन |
यहां संत परमानंद अस्पताल में दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉमा एंड आथरेपैडिक्स की ओर से जोड़ बदलने में रोबोटिक्स पर उत्तर भारत के पहले चिकित्सा सम्मेलन डिटो रोबोकॉन वर्जन 1.0 की अध्यक्षता करते हुए आयोजन कमेटी के अध्यक्ष डा. शेखर श्रीवास्तव ने रविवार को यह जानकारी दी।
डा. शेखर श्रीवास्तव ने कहा कि सर्जरी की फलता का हम तुलनात्मक अध्ययन कर रहे हैं। जल्द ही हमारे पास घुटने का जोड़ बदलने में रोबोट की भूमिका बनाम पारंपरिक सर्जरी पर अब तक के पहले तुलनात्मक अध्ययन के नतीजे आने वाले हैं, जिसमें केवल भारतीय आबादी शामिल है। सम्मेलन में लिया गया जिसमें 150 से अधिक आर्थोपेडिक सर्जनों ने भाग लिया।
सतत अध्ययन जरूरी: घुटने के प्रतिस्थापन में रोबोट का इस्तेमाल करने के अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए सम्मेलन में शिरकत कर रहे सर्जन्स ने शल्यक्रिया विज्ञान क्षेत्र में हो रही प्रगति से रूबरू होने के लिए सतत अध्ययन पर फोकस किया। उन्होंने बताया कि रोबोटिक तकनीक से की गई सर्जरी के परिणाम बहुत प्रभावशाली हैं और इनकी सफलता दर भी काफी अधिक है।
रोबोटिक असिस्टेड नी रिप्लेसमेंट के लाभों के बारे में बताते हुए डा. श्रीवास्तव ने कहा रोबोटिक सर्जरी कुशल सर्जनों के अनुभव के साथ उन्नत कंप्यूटर प्रौद्योगिकी को एकीकृत करती है। सर्जन छोटे से छोटे स्तर पर सटीकता और सूक्ष्मता प्राप्त करने के लिए इन्टूइटिव रोबोटिक्स असिस्टेड कंट्रोल और इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सर्जरी के बाद मनचाहे परिणाम प्राप्त करने में सफलता मिलती है।
रोबोटिक प्रणाली मरीजों के लिए वरदान : एक पूरी तरह से सक्रिय रोबोटिक प्रणाली सर्जन को घुटने के केवल क्षतिग्रस्त हिस्से को पूर्ण निपुणता से बदलने में सक्षम बनाती है, इससे जोड़ की अन्य सभी सामान्य संरचनाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके अलावा, इस तकनीक में मानव त्रुटि की संभावनाएं नहीं रहती हैं, सर्जिकल प्रोसीजर भी बिल्कुल सटीक होता है, जिससे प्रत्योपित किया गया घुटनो का जोड़ अधिक लंबे समय तक चलता है।
उल्लेखनीय है कि संत परमानंद अस्पताल पूरी तरह से सक्रिय रोबोटिक प्रणाली पर रोबोटिक घुटना बदलने वाला दिल्ली का पहला अस्पताल है। लांच होने के बाद से अब तक अस्पताल में इस नई तकनीक का इस्तेमाल करके 250 से अधिक सफल सर्जिरयां की जा चुकी हैं।
| Tweet |