वायु प्रदूषण के कारण दिल्‍ली में तेजी से बढ़ रहे हैं एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के मामले : विशेषज्ञ

Last Updated 20 Nov 2024 05:28:03 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी में खराब वायु गुणवत्ता के चलते आंखों में सूखापन, जलन और एलर्जी की समस्या के मामले तेजी से बढ़ रहे है, जिसे एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है। विशेषज्ञों ने इस प्रदूषण को आंखों के लिए एक गंभीर खतरा बताया है।


वायु प्रदूषण के कारण एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार बुधवार की सुबह दिल्ली की वायु गुणवत्ता "गंभीर" श्रेणी में रही, जहां सुबह 10 बजे औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 427 रहा, जिससे यह भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन गया।

एम्स नई दिल्ली के आर पी सेंटर फॉर ऑप्थेलमिक साइंसेज के ओफ्थैल्मोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. रोहित सक्सेना ने आईएएनएस को बताया, ''प्रदूषण हमारी आंखों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है, खास तौर पर यह कंजंक्टिवा और कॉर्निया के लिए खतरनाक हो सकता है। प्रदूषित वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कण आंखों की सतह को प्रभावित कर सकते हैं। इससे एलर्जी होने का खतरा बना रहता है।''

उन्होंने कहा, "यह विशेष रूप से उन बच्चों और वयस्कों के लिए चिंता का विषय है, जो पहले से ही सूखी आंखों या एलर्जी का अनुभव कर रहे हैं, क्योंकि खराब वायु गुणवत्ता के संपर्क में आने से ये स्थितियां और खराब हो जाती हैं।"

बुधवार की सुबह, दिल्ली के 38 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से लगभग 12 ने 450 या उससे अधिक का एक्यूआई दर्ज किया। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली सरकार को आधे कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने का निर्देश दिया है।

कोलोराडो विश्वविद्यालय के अंशुट्ज मेडिकल कैंपस के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए एक शोध से पता चला है कि पीएम10 के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आंखों में संक्रमण होने का जोखिम दोगुना हो सकता है।

शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण से उत्पन्न कणों के वातावरण में होने से कॉर्निया, कंजंक्टिवा और पलकों सहित आंख संबंधी समस्याओं से पीड़ित रोगी दोगुनी संख्या में डॉक्टरों का रुख कर रहे है।

वायु प्रदूषण आंखों के स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है, जिससे आंखों में दिक्कत और जलन हो सकती है। प्रदूषित हवा में कण, धूल और प्रदूषक होते हैं जो आंखों में जलन पैदा कर सकते हैं।

सक्सेना ने कहा कि आंखों को बार-बार रगड़ने से समय के साथ कॉर्निया कमजोर हो सकता है और केराटोकोनस जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें कॉर्निया पतला हो जाता है और शंकु के आकार में उभर जाता है, जिससे नजर कमजोर हो सकती है।

इसके आम लक्षणों में खुजली, पानी आना, जलन, लालिमा और सामान्य दर्द महसूस होना शामिल है।

पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की ऑप्थैल्मिक सर्जरी कंसल्टेंट डॉ. स्मृति गोयल ने आईएएनएस को बताया, "गंभीर मामलों में वायु प्रदूषण से दर्द या नजर धुंधली हो सकती है, जिसके लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता हो सकती है।

विशेषज्ञों ने डॉक्टर की सलाह के बिना दवा लेने से बचने का सुझाव दिया है।

गोयल ने कहा, ''आंखों में नमी बनाए रखने के लिए लुब्रिकेटिंग ड्रॉप्स का उपयोग करें और जलन से राहत पाने के लिए ठंडी पट्टियां लगाएं। अपनी आंखों को धूल और प्रदूषण से बचाने के लिए चश्मा या धूप का चश्मा पहनें। एलर्जी से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए एंटी एलर्जिक आई ड्रॉप और समय पर उपचार आवश्यक है। ये उपाय आपकी आंखों को प्रदूषण से संबंधित समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं।''

प्रदूषण केवल सांस संबंधी समस्या नहीं है। यह पूरे शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालता है, जिसमें नेत्र स्वास्थ्य भी शामिल है। विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह जारी करते हुए कहा है कि जब प्रदूषण अपने चरम पर हो तो उस दौरान बाहर निकलने से बचें।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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