मलेरिया के ट्रांसमिशन पैटर्न को बदलने में जलवायु परिवर्तन जिम्‍मेदार : विशेषज्ञ

Last Updated 25 Apr 2024 06:18:52 PM IST

गुरुवार को विश्व मलेरिया दिवस पर विशेषज्ञों ने कहा कि मलेरिया के ट्रांसमिशन पैटर्न को बदलने में जलवायु महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


मच्छर जनित बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम में दुनिया भर में मलेरिया के खिलाफ लड़ाई को तेज करना है। विश्व स्तर पर कई लोगों के पास मलेरिया का पता लगाने और इलाज करने के लिए गुणवत्तापूर्ण समय पर उपचार और सस्ती सेवाओं तक पहुंच नहीं है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2022 में मलेरिया ने दुनिया भर में अनुमानित 608,000 लोगों की जान ले ली और 249 मिलियन नए मामले सामने आए।

मलेरिया पर 2022 के लैंसेट अध्ययन में यह बात सामने आई है कि तापमान में वृद्धि से मलेरिया परजीवी तेजी से विकसित हो सकते हैं और इसलिए मलेरिया के ट्रांसमिशन और बोझ में वृद्धि हो सकती है। केवल 2-3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से भी बीमारी की चपेट में आने वाली आबादी में 5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जो 700 मिलियन से अधिक लोगों के बराबर है।

वडोदरा के भाईलाल अमीन जनरल हॉस्पिटल के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. मनीष मित्तल ने आईएएनएस को बताया, "विशेष रूप से जून से नवंबर तक मानसून और प्री-मानसून सीजन के दौरान जलवायु परिवर्तन मलेरिया के ट्रांसमिशन पैटर्न को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बारिश से जलभराव हो जाता है, जो मलेरिया परजीवियों के वाहक मादा एनोफिलीस मच्छर के लिए प्रजनन का स्थान बन जाता है। ऐसे में इस जमा पानी में मच्छरों के पनपने से मलेरिया के मामलों में वृद्धि हो जाती है।"

उन्होंने कहा, "मलेरिया के प्रभाव को कम करने के लिए शीघ्र निदान और उपचार जरूरी है। इसको लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, जिसने लोगों को बुखार के लक्षणों के प्रति गंभीर होने और रक्त परीक्षण कराने के लिए जागरूक किया है।"

एक नए अध्ययन में फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दिखाया कि विभिन्न मच्छर और परजीवी तापमान और भविष्य में बढ़ते तापमान के साथ रुक-रुक कर संबंध प्रदर्शित करते हैं और भविष्य में बढ़ते तापमान के तहत, कुछ वातावरणों में ट्रांसमिशन क्षमता बढ़ने की संभावना है।

नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से यह भी पता चलता है कि ठंडे तापमान पर परजीवी अधिक तेजी से विकसित हो सकते हैं और परजीवी विकास की दर पहले की तुलना में तापमान में बदलाव के प्रति कम संवेदनशील हो सकती है।

होली फैमिली हॉस्पिटल मुंबई के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राजीव बौधनकर ने आईएएनएस को बताया, "इस समस्या के प्राथमिक समाधान के तौर पर निर्माण स्थलों सहित अन्य जगहों पर रुके हुए पानी को तुरंत साफ किया जाना चहिए। इसके अतिरिक्त बर्तन और पुराने टायर जैसी चीजों को हटा देना चाहिए, साथ ही यात्रा के दौरान खुद को ढकना चाहिए।"

डॉ. मनीष ने मच्छर मार दवाएं और लोगों को व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए मच्छरदानी इस्तेमाल करने की सलाह दी है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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