क्या 50 से कम उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है पार्किंसंस?

Last Updated 11 Apr 2024 09:01:00 PM IST

अक्सर माना जाता है कि बढ़ती उम्र पार्किंसंस रोग का एक प्रमुख कारण है। लेकिन अब एक नई स्टडी में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी ये बीमारी हो सकती है। उन्होंने इस पर चिंता भी व्यक्त की है।


बढ़ती उम्र पार्किंसंस रोग

पार्किंसनिज्‍म एंड रिलेटेड डिसऑर्डर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में पार्किंसंस रोग तेजी से पांव पसार रहा है। अब यह बाकी देशों की तुलना में 10 साल पहले हो रहा है।

भाईलाल अमीन जनरल हॉस्पिटल वडोदरा की कंसल्टेंट न्यूरो-फिजिशियन डॉ. आश्का पोंडा ने आईएएनएस को बताया, "पहले ऐसी धारणा थी कि पार्किंसंस रोग मुख्य रूप से उम्र दराज व्यक्तियों को प्रभावित करता है। लेकिन नए शोध से यह बात सामने आई है कि यह कम उम्र के लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। पार्किंसंस के मामलों में हालिया वृद्धि से यह पता चला है कि इस रोग के लक्षण 50 वर्ष की आयु से पहले देखे जा रहे हैं।"

स्टडी में पार्किंसंस के लिए पर्यावरण, जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल को मुख्य रूप से दोषी ठहराया गया है।

डॉक्टर ने कहा, "कीटनाशकों के संपर्क में आना, वायु प्रदूषण और खान-पान की आदतें जैसे कारक आनुवांशिक संवेदनशीलता के साथ मिलकर रोग को बढ़ाते हैं।"

इसके लक्षणों में कम गतिशीलता, स्टिफनेस, कंपकंपी और संतुलन का बिगड़ना है। पार्किंसंस दैनिक गतिविधियों और गतिशीलता को काफी हद तक बाधित कर सकता है, जिससे परेशानी हो सकती है।

डॉ. आशका ने कहा, "पार्किंसंस के रोगियों का एक बड़ा हिस्सा अब कम उम्र के वर्ग में आता है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि यह तंत्रिका संबंधी विकार केवल उम्र के आधार पर भेदभाव नहीं करता। इसके बजाय, आनुवंशिक प्रवृत्तियों, पर्यावरणीय जोखिमों और दूसरी बिमारियों का होना पार्किंसंस रोग की जटिलता को रेखांकित करता है।"

अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद में न्यूरोलॉजी और स्ट्रोक मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय पांडे ने कहा, "पार्किंसंस रोग का शीघ्र पता लगाना और इसका प्रबंधन रोग की प्रगति को धीमा कर सकता है जिससे रोगी के जीवन को थोड़ा बेहतर बनाया जा सकता है।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment