Introvert( अंतर्मुखी) स्वभाव वाले लोगों को ऐसे समझाएं, World Introvert Day पर विशेष
Introvert यानी अंतर्मुखी और Extrovert यानी बहिर्मुखी, ये दोनों शब्द अक्सर सुनने को मिल ही जाते हैं। लेकिन चर्चाओं में रहता है Introvert शब्द और इससे प्रभावित रहने वाला व्यक्ति।
![]() World Introvert Day |
यह दोनों शब्द इंसान के व्यवहारों से जुड़े हैं। सीधे शब्दों में कहें तो इंट्रोवर्ट वह व्यक्ति होता है, जो संकोची होता है। आसानी से लोगों से घुल मिल नहीं पाता है। किसी से भी अपनी बात आसानी से कह नहीं पाता है। इनके इसी स्वभाव के कारण लोग इन्हें पागल या किसी औऱ उपनाम से पुकारने लगते हैं। वहीं एक्स्ट्रोवर्ट लोग बातूनी होते हैं। किसी से भी बात करने में हिचकते नहीं हैं। हालांकि इंट्रोवर्ट स्वभाव के लोगों को हमदर्दी की जरूरत पड़ती है, जो कि उन्हें आमतौर पर मिल नहीं पाती। ऐसे ही लोगों को समझने, उनकी मदद करने, उन्हें समाज का ही हिस्सा मानने को लेकर हर वर्ष 2 जनवरी को वर्ल्ड इंट्रोवर्ट डे मनाया जाता है।
जर्मन साइकोलॉजिस्ट औऱ राइटर फेलिसिटास हेने ने वर्ल्ड इंट्रोवर्ट डे मनाने की शुरुवात की थी। आगे बढ़ने से पहले आइए आपको बताते हैं कि इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्ट शब्द के बारे में विधिवत जानकारी किसने दी थी। जिस तरह से जर्मन साइकोलॉजिस्ट ने इंट्रोवर्ट डे मनाने की शुरुवात 2011 में की थी, उसी तरह कार्ल जंग नाम के वैज्ञानिक ने 1920 में इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्ट शब्दों का उपयोग करना शुरू किया था। अब सवाल यह है कि इंट्रोवर्ट डे मनाने की जरूरत क्यों महशूश हुई थी। दरअसल इंट्रोवर्ट स्वभाव के लोगों को आज भी अधिकांश लोग समझ नहीं पाते। इस दिन को मनाने का एकमात्र मकसद दुनिया को इंट्रोवर्ट लोगों के बारे में जागरूक करना और उनकी खासियत बताना था। गौरतलब है कि आज भी अधिकतर लोग इंट्रोवर्ट होने को किसी विकार की तरह देखते हैं या ऐसे लोगों को बीमार या समाज से अलग माना जाता है। इसी सोच को लेकर हेने ने इंट्रोवर्ट लोगों के लिए एक खास दिन को मनाने की पहल की। बहुतों के मन में एक सवाल पैदा हो रहा होगा कि आखिर 2 जनवरी को ही वर्ल्ड इंट्रोवर्ट डे क्यों मनाया जाता है। लोगों के ऐसे ही सवालों और शंकाओं का जवाब दिया था हेने ने।
फेलिसिटास हेने का मानना था कि 25 दिसंबर यानी क्रिसमस से लेकर 1 जनवरी यानी न्यू ईयर तक की लंबी छुट्टियां मनाने के बाद 2 तारीख के दिन इंट्रोवर्ट लोगों को बिजी सोशल लाइफ से आराम करने का मौका मिलता है। ऐसे में ये दिन खासकर उनके लिए ही रखा गया। आमतौर पर माना जाता है कि जो लोग अधिक शर्मीले होते हैं या जिन्हें भीड़ से दूर अकेले में समय बिताना ज्यादा अच्छा लगता है, वो इंट्रोवर्ट होते हैं। हालांकि, इंट्रोवर्ट लोगों के दिमाग की स्थिति को लेकर किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसे लोगों में ब्रेन कैमिकल और मैंसेंजर भी अलग तरह से व्यवहार करता है। इंट्रोवर्ट लोगों का दिमाग, एक्स्ट्रोवर्ट लोगों की दिमाग की तुलना में डोपामाइन पर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है।
बता दें कि डोपामाइन हार्मोन मस्तिष्क को कई कार्यों जैसे मूवमेंट, स्मृति, अटेंशन, मूड, मोटिवेशन और कई अन्य कार्यों में मदद करता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैसे तो इंट्रोवर्ट और एक्सट्रोवर्ट दोनों प्रकार के लोगों में इस रसायन की मात्रा समान होती है, लेकिन इंट्रोवर्ट लोगों को इससे अधिक लाभ मिलने की संभावनाएं होती हैं। शोध के नतीजों के मुताबिक, इंट्रोवर्ट लोगों के फ्रंटल लोब में रक्त का प्रवाह अधिक होता है। फ्रंटल लोब दरअसल, मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो आपको चीजों को याद रखने, समस्याओं को हल करने और आगे की योजना बनाने में मदद करता है। यानी इंट्रोवर्ट लोग बाकी लोगों की तुलना में अधिक गुणवत्ता के साथ चीजों को बेहतर ढंग से डील करने में सक्षम होते हैं। हालांकि, क्योंकि वे ज्यादा लोगों के साथ घुल-मिल नहीं पाते हैं, इसके चलते अक्सर या तो उन्हें बीमार समझ लिया जाता है या नजरअंदाज कर दिया जाता है।
वर्ल्ड इंट्रोवर्ट डे मनाने का मकसद है ऐसे लोगों को समझना ना कि उनसे दूरी बनाना। बहुतों को पता नहीं होता कि इंट्रोवर्ट स्वभाव वाले लोगों से कैसे डील करनी है। यहां बता दें कि अगर आपका दोस्त या पार्टनर इंट्रोवर्ट है, तो सबसे पहले उन्हें अपने साथ कंफर्टेबल महसूस करने की कोशिश करें। उनपर कहीं आने जाने या बात करने का प्रेशर बनाने की बजाय घुलने-मिलने का समय दें। पेशेंस सबसे जरूरी है। ऐसे लोग संकोच महसूस करने के चलते किसी भी चीज पर या बात पर प्रतिक्रिया देने में थोड़ा समय लगाते हैं। ऐसे में धैर्य रखकर उनकी बात को समझने की कोशिश करें। इस वीडियो को बनाने का मकसद यही है कि इंट्रोवर्ट लोगों को समझा जाए, उन्हें इस लायक बनाने की कोशिश की जाए कि वो लोग भी अपने आपको हीन ना समझें।
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