बच्चों में मोटापे के जोखिम को बढ़ा सकते हैं फॉर्मूला मिल्क और फिजी पेय पदार्थ : रिसर्च
बच्चों में मोटापे के जोखिम को बढ़ा सकते हैं फॉर्मूला मिल्क और फिजी पेय पदार्थ : रिसर्च
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शिशुओं को शुरुआत में फॉर्मूला मिल्क और फिजी (गैस मिश्रित) पेय पदार्थ देने से बचपन से ही शरीर में वसा के उच्च स्तर का खतरा बढ़ जाता है।
एक शोध में पाया गया कि जिन शिशुओं को कम से कम छह महीने या उससे अधिक समय तक स्तनपान कराया गया था, उनमें नौ साल की उम्र तक शरीर में वसा का प्रतिशत उन लोगों की तुलना में कम था, जिन्हें छह महीने तक स्तन का दूध नहीं मिला था। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो अंसचुट्ज़ मेडिकल कैंपस की एक टीम के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला, ''जिन बच्चों को 18 महीने से पहले सोडा नहीं दिया गया था, उनमें भी नौ साल की उम्र में वसा का द्रव्यमान कम था।''
जर्मनी के हैम्बर्ग में यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (ईएएसडी) की चल रही वार्षिक बैठक में प्रस्तुत निष्कर्ष इस सिद्धांत का समर्थन करता है कि जिस तरह से बच्चे को बचपन में खिलाया जाता है, वह बाद में जीवन में मोटापे के प्रति उनकी संवेदनशीलता से जुड़ा हो सकता है। विश्वविद्यालय की प्रमुख शोधकर्ता कैथरीन कोहेन ने कहा, "शिशु के आहार पैटर्न, विशेष रूप से छोटी स्तनपान अवधि, शुरुआत में सोडा देना और उनके संयुक्त प्रभाव बचपन में ही शरीर में वसा के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। "उन्होंने कहा, "अध्ययन इस कमजोर जीवन चरण के दौरान बच्चे को बिना किसी पोषण मूल्य वाला ऊर्जा-सघन पेय सोडा देने में देरी करने के संभावित महत्व का भी समर्थन करता है।'' टीम ने 700 से अधिक मां-बच्चे के जोड़ों के डेटा का विश्लेषण किया। भर्ती के समय माताओं की औसत आयु 29 वर्ष थी, 51 प्रतिशत शिशु लड़के थे।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने शिशुओं को स्तनपान की अवधि (छह महीने या अधिक बनाम छह महीने से कम) के अनुसार समूहीकृत किया, जिस उम्र में उनके बच्चे को पूरक आहार देना शुरू किया गया था। (चार महीने या उससे पहले या पांच महीने और उससे अधिक)। साथ ही जिस उम्र में उन्हें सोडा से परिचित कराया गया था उस पर थी बात रखी। (18 महीने या अधिक बनाम 18 महीने से कम)। उन्होंने पाया कि जिन शिशुओं को छह महीने से कम समय तक स्तनपान कराया गया था, उनमें नौ साल की उम्र में औसतन छह महीने या उससे अधिक समय तक स्तनपान करने वाले शिशुओं की तुलना में शरीर में 3.5 प्रतिशत अधिक वसा थी।
विश्लेषण में यह भी पाया गया कि जिन शिशुओं को 18 महीने की उम्र से पहले सोडा दिया गया था, उनके शरीर में औसतन नौ साल की उम्र में लगभग 7.8 प्रतिशत अधिक वसा थी। जिन्होंने पहली बार 18 महीने या उससे अधिक उम्र में सोडा का सेवन किया था उनमें वसा कम पाई गई। कोहेन ने कहा, "हालांकि, यह अध्ययन संभावित तंत्र को स्पष्ट नहीं कर सकता है, लेकिन पिछले शोध से पता चलता है कि स्तनपान और मोटापे के जोखिम के बीच मां का दूध बनाम शिशु फार्मूला की पोषक संरचना में अंतर से संबंधित हो सकता है। " उन्होंने कहा, "संभावित जैविक प्रभावों के रूप में भूख विनियमन में अंतर और शिशु के माइक्रोबायोम पर मानव दूध के प्रभाव की भी जांच की जा रही है।''
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