बच्चों‚ किशोरों और युवाओं में तेजी से बढ़ रही हैं स्पाइन की समस्या, जानें वजह...
बदली जीवन–शैली ने विश्वभर में स्पाइन से संबंधित समस्याओं के खतरे को बढ़ा दिया है।
|
स्पाइन इंफेक्शन जैसे ट्युबर क्लोसिस संक्रमण‚ भारत में बहुत सामान्य है। पहले स्पाइन से संबंधित समस्याएं केवल उम्रदराज लोगों में ही होती थी लेकिन पिछले एक दशक में युवाओं में इसके काफी मामले सामने आ रहे हैं। कोविड़ के बाद वर्क फॉम के चलते लंबे समय तक लोगों ने एक ही पॉस्चर में बैठकर लम्बे समय तक काम किया जिसके कारण स्पाइन पर अत्यधिक दबाव पड़़ा है‚ साथ ही बच्चों और किशोरों में भी मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से स्पाइन से संबंधित समस्याएं हो रही हैं।
स्पाइनल स्पॉन्डोलाइटिस
शारीरिक सक्रियता की कमी और गलत पॉस्चर के कारण लगातार स्ट्रेस इंजुरी होना और अन्य कारणों से स्पाइन की शक्ति कम हो जाती है और उसमें विकृतियां आ जाती हैं‚ क्योंकि स्पाइन ही शरीर के ऊपरी भाग का पूरा भार सहती है‚ स्पाइनल कार्ड की सुरक्षा करती है और लगातार इसे मोड़ती है। स्पाइन और इसकी शॉक एब्जारबिंग इंटरवर्टिबरल डिस्क की विकृति को चिकित्सीय भाषा में स्पॉनडाइलिटिस कहते हैं। ये परिवर्तन गर्दन (सर्विकल रीजन के नाम से जाना जाता है) या मिडिल बैक (थोरेसिक रीज़न) या लोवर बैक (लम्बर रीजन) में होता है।
स्पाइनल ट्युमर
कभी–कभी कैंसर एक भाग में विकसित होता है और दूसरे भागों जैसे स्पाइन आदि तक पहुंच जाता है। फेफड़ों‚ छाती‚ प्रोस्टेट और हड्डियों के कैंसर के स्पाइन तक पहुंचने की आशंका अधिक होती है। कईं दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के चलते भी स्पाइन में कैंसर विकसित हो सकता है। ट्युमर के कारण कमर में तेज दर्द हो सकता है‚ दर्द पूरे शरीर में फैल सकता है। हाथ और पैर सुन्न हो सकते हैं और इनमें कमजोरी आ सकती है। शरीर का कुछ भाग भी लकवाग्रस्त हो सकता है॥।
ड़ाक्टर की राय
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के न्युरो सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. मनीष वैश्य ने बताया कि उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी समस्या क्या है और कितनी गंभीर है। अगर समस्या मामूली है तो उसे जीवनशैली में बदलाव लाकर ठीक किया जा सकता है‚ लेकिन स्थिति गंभीर होने पर आर्थोपेडिक सर्जन या स्पाइनल सर्जन को दिखाएं। अगर फिजिकल थेरेपी और दवाईयों से स्पाइन से संबंधित समस्या ठीक नहीं हो पाए तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। लेकिन स्पाइन से संबंधित कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं जिनमें सर्जरी जरूरी हो जाती है। सर्जरी या तो परंपरागत ओपन तरीके से की जाती है या मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया से। स्पाइनल ट्युमर के उपचार के लिए सर्जरी‚ रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।
माइक्रो एंडोस्कोपी स्पाइन प्रोसीजर के फायदे
- आसपास के उतकों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता है।
- यह ओपन सर्जरी की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जाती है‚ क्योंकि इसमें बहुत छोटे कट लगाए जाते हैं।
- इसमें ब्लड लॉस कम होता और संक्रमण का खतरा भी ज्यादा नहीं होता है।
- रिकवरी तेज होती है॥। थ् घाव जल्दी भरते हैं और उनमें दर्द कम होता है।
- मरीज को अस्पताल में अधिक समय तक नहीं रूकना पड़ता है।
- थोड़े समय में ही मरीज सामान्य जीवन जीने लगता है और काम पर वापस लौट सकता ह।
| Tweet |