रहस्य से उठा पर्दा: वायु प्रदूषण हमारे फेफड़ों को क्यों प्रभावित करता है?

Last Updated 17 May 2023 04:02:17 PM IST

वायु प्रदूषण और फेफड़ों की बीमारी के बीच संबंध को लंबे समय से लोग स्वीकारते आए हैं। एक नए अध्ययन से एक जैविक प्रक्रिया का पता चलता है जो उस संबंध की वजह हो सकती है, एक खोज जो प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के इलाज या रोकथाम के बेहतर तरीकों पर नई रौशनी डाल सकती है।


अध्ययन में पाया गया कि परिवेश में मौजूद नैनोकणों या हवा में बहुत छोटे प्रदूषकों के संपर्क में आने से ऑटोफैगी नामक एक कोशिकीय रक्षा तंत्र सक्रिय हो जाता है जो अन्य संभावित कुप्रभावों से लड़ने की कोशिकाओं की क्षमता को कम कर सकता है।

इससे यह समझने में मदद मिल सकती है कि वायु प्रदूषण कैसे किसी व्यक्ति के फेफड़ों के कैंसर, इंटरस्टिशियल पल्मोनरी फाइब्रोसिस और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज सहित फेफड़ों की कई अक्यूट और क्रॉनिक बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफॉर्निया (यूएससी) में केक स्कूल ऑफ मेडिसिन में पैथोलॉजी के प्रोफेसर एडवर्ड क्रैन्डल ने कहा, हम जानते हैं कि बीमारियां, विशेष रूप से फेफड़ों की बीमारियां, वायु प्रदूषण के परिणामस्वरूप हो सकती हैं। हम नहीं जानते कि यह किस तंत्र द्वारा होता है।

पहली बार, शोधकर्ताओं ने पाया कि नैनोकणों के संपर्क में आने पर, कोशिकाओं में ऑटोफैगी गतिविधि ऊपरी सीमा तक पहुंच जाती है।

क्रैन्डल ने कहा, इन अध्ययनों का निहितार्थ यह है कि ऑटोफैगी एक रक्षा तंत्र है जिसकी ऊपरी सीमा होती है, जिसके आगे यह सेल की रक्षा नहीं कर सकता है।

जर्नल ऑटोफैगी रिपोर्ट्स में प्रकाशित अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने फेफड़े के एडेनोकार्सिनोमा कोशिकाओं का उपयोग करके परीक्षणों की एक श्रंखला आयोजित की।

वे पहले कोशिकाओं को नैनोकणों के संपर्क में लेकर आए। इसके बाद रैपामाइसिन (एक रसायन जिसे ऑटोफैगी को उत्तेजित करने के लिए जाना जाता है) के संपर्क में लाए और फिर दोनों के संपर्क में एक साथ लाए।

हर मामले में ऑटोफैगी गतिविधि उसी ऊपरी सीमा तक पहुंच गई और आगे नहीं बढ़ी।

नतीजतन, कोशिकाओं में अन्य खतरों, जैसे सांस में धुआं जाना या विषाणु अथवा जीवाणु के संक्रमण से बचाव के लिए ऑटोफैगी का स्तर और बढ़ाने की क्षमता खत्म हो सकती है।

ऑटोफैगी स्वस्थ कोशिकाओं के लिए वरदान है तो वहीं इसके कारण कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना कठिन हो जाता है। टीम ने कहा कि कोशिकाओं में ऑटोफैगी को बढ़ाने या कम करने का तरीका विकसित करना बीमारी से बचाव और इलाज का एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है।
 

आईएएनएस
न्यूयॉर्क


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