World Asthma Day: आज है ‘विश्व अस्थमा दिवस, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

Last Updated 05 May 2020 11:13:06 AM IST

विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day) हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। अस्थमा जिसे आम भाषा में दमा भी कहते हैं असल में सांस से जुड़ी परेशानी है।


 पिछले कई वर्षों में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है और इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसलिए इस बीमारी की पहचान और समय पर इलाज जरूरी है।

प्रदूषित वातावरण अस्थमा के लिए बेहद घातक रूप धारण कर सकती है। यह बात गोमतीनगर स्थित सहारा हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार अग्रवाल ने कही। उन्होंने बताया कि यदि किसी की सांस तेज चले और बेचैनी बढ़ने लगे तो तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। स्पाइरोमिट्री टेस्ट या पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट भी कराना चाहिए। इसके इलाज से जुड़े जितने भी मिथ है‚ उन्हें खत्म करने की जरूरत है।

अस्थमा के इलाज का मुख्य उद्देश्य बीमारी को नियंत्रित करना है। अस्थमा श्वसन संबंधी रोग होता है। अस्थमा में श्वसन निलयों में सूजन आ जाती है। सांस की नली में सिकुड़न आती है इसके कारण सीने में जकड़न‚ खांसी और सांस लेते समय आवाज आती है। अस्थमा के कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण अस्थमा का मुख्य कारण है। जिससे सांस लेते समय किसी भी पदार्थ से एलर्जी हो सकती है। जैसे वायु प्रदूषण‚ घर की धूल‚ पराग‚ औद्योगिक धुंआ‚ प्रसाधन आदि से एलर्जी होना।

फ्लू भी अस्थमा का कारण

इसके अतिरिक्त फ्लू भी अस्थमा का कारण है। सामान्य सर्दी‚ फ्लू‚ ब्रोकाइटिस और साइनस संक्रमण से अस्थमा हो सकता है। धूम्रपान भी अस्थमा का कारण बन सकता है। एसिड रिफ्लक्स में डकार या आधा पचा हुआ खाना श्वसन नलिका में चला जाता है‚ जिसकी वजह से सांस लेने में समस्या उत्पन्न होती है‚ इससे अस्थमा हो सकता है। कुछ दवाएं जैसे ए्प्रिरन और सूजन कम करने वाली नान स्ट्रेडोयट दवाएं अस्थमा के लिए एक ट्रिगर की तरह काम करती है।

मौसम में बदलाव से अस्थमा के लक्षण तीव्र हो जाते हैं। फैमिली हिस्ट्री भी अस्थमा होने की आशंका रहती है। उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी की बड़ी त्रासदी से गुजर रही है। खासकर अस्थमा‚ मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीडि़त लोग के लिए यह अग्नि परीक्षा है। अस्थमा बीमारी से ग्रसित होने वाले लोगों के लिए कोरोना वायरस काफी जोखिम भरा साबित हो सकता है। अस्थमा रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी हुई बीमारी है जबकि कोरोना वायरस का संक्रमण भी रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है।

यदि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाए‚ जिसे अस्थमा कि भी बीमारी है‚ तो कोरोना का संक्रमण ऐसे मरीजों के लिए काफी गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचे रहने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। 

अगर आप भी अस्थमा से ग्रसित हैं तो आपको इन चीजों का जरूर ख्याल करना चाहिए। लक्षणों को पहचानने की कोशिश करें और जब आपको लगे कि यह अस्थमा अटैक नहीं है तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।

खान–पान पर विशेष ध्यान

अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो आपको अपने खान–पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए आप विटामिन–सी युक्त फलों एवं सब्जियों का अधिक सेवन करें। इससे फेफड़ों में होने वाली सभी परेशानियों से निजात मिलती है। इसके साथ ही इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।

सहारा इंडिया परिवार के सीनियर एडवाइजर श्री अनिल विक्रम सिंह ने बताया कि विश्व अस्थमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के बारे में जागरूक करना। सहारा इंडिया परिवार के मुख्य अभिभावक माननीय सहाराश्री जी द्वारा प्रदत्त सहारा हॉस्पिटल में समय–समय पर विभिन्न माध्यमों से जागरूक करवाया जाता है ताकि सब लोग स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहे। वर्तमान समय में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव सबकी प्राथमिकता होती है‚ इसलिए घरों से नहीं निकलना चाहिए।

मरीज में लक्षणों की जानकारी के बाद लंग्स फंक्शन टेस्ट‚ एक्स रे आदि की जांच करानी चाहिए। इस बीमारी का पता पीएफटी टेस्ट से चलता है‚ जो काफी सस्ती और किफायती जांच है।

अस्थमा के मरीजों के लिए इंहेल्ड स्टेयरायड (सांस के माध्यम से ली जाने वाली दवा) को एक महत्वपूर्ण उपचार माना गया है। इसके अतिरिक्त नेब्यूलाइजर एक मशीन में मास्क लगा होता है जो आसानी से फेफड़ों तक दवा पहुंचा देता है। खास बात यह है कि अस्थमा के उपचार में बिना डाक्टर की सलाह कोई दवा नहीं लेनी चाहिए।

अस्थमा के लक्षण

  • बलगम वाली या सूखी खांसी होना‚
  • सीने में जकड़न जैसा महसूस होना‚
  • सांस लेते या बोलते समय घरघराहट जैसी आवाज आना‚
  • रात में या सुबह स्थिति और गंभीर हो जाना‚
  • थकान होना‚
  • सांस का फूलना।

अस्थमा से बचाव – उचित दवा‚ पौष्टिक आहार‚ स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर अस्थमा मुक्त जीवन हो सकता है। अधिक मात्रा व मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए।

डॉ. मनोज कुमार अग्रवाल/ पल्मोनोलॉजिस्ट विशेषज्ञ सहारा हॉस्पिटल
लखनऊ


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