लॉकडाउन: घर की छत बनी टाइमपास का ठिकाना, बच्चों-बड़ों और बुजुर्ग ऐसे कर रहे हैं एन्जॉय

Last Updated 24 Apr 2020 04:34:59 PM IST

बच्चे हों, बड़े या बुजुर्ग सभी अपने-अपने तरीके से छतों पर जाकर इस कठिन लॉकडाउन में अपना समय बिता रहे हैं।


 कोरोना वायरस ने बेशक इंसानों को अपन चपेट में ले लिया है लेकिन वह लोगों के भीतर की इंसानियत को कमजोर नहीं कर सका है। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोग घरों में रहने को मजबूर हैं लेकिन अब उन्होंने ने अपने पड़ोसियों और समाज से जुड़े रहने के लिए घर की छतों को नया ठिकाना बना लिया है।

बच्चे हों, बड़े या बुजुर्ग सभी अपने-अपने तरीके से छतों पर जाकर अपना समय बिता रहे हैं। छत एक तरफ जहां बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गई है तो वहीं माता-पिता ने इसे टहलने का स्थान बना लिया है। युवाओं के लिए छत फोन पर लंबी बातचीत करने के लिए सबसे बेहतर जगह बन चुकी है. साथ ही सेल्फी लेने के शौकीन भी अपना शौक पूरा करने के लिए छत पर जगह तलाश रहे हैं।


लॉकडाउन के बाद से घरों की छतों पर ही परिवार के सदस्य एकत्र होकर चाय की चुस्की का स्वाद ले रहे हैं और अपने पालतू जानवरों को भी टहलाते हैं। पूरे साल व्यस्त रहने वाले लोग भी आजकल छत पर पौधों को पानी देते हुए और सूर्यास्त की तस्वीरें लेते दिख जाते हैं। उत्तरी कोलकाता के फूलबगान इलाके के एक अपार्टमेंट में रहने वाले संदीप चौधरी ने कहा, '' हमारी इमारत में रहने वाले अधिकतर लोग घरों से ही काम कर रहे हैं. दफ्तर का काम समाप्त करके हम लोग छत पर एकत्र हो जाते हैं और घंटों आपस में बातें करते हैं।''

उन्होंने बताया कि छत पर कुर्सियों को सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए ही रखा जाता है ताकि मेल-मिलाप की सही दूरी बरकरार रहे. साथ ही समय-समय पर कुर्सियों को सेनेटाइज किया जाता है और छत पर बातचीत के दौरान भी सभी लोग मास्क पहने रहते हैं।

वहीं, ढाकूरिया अपार्टमेंट में रहने वाली राका घोष ने कहा, ''नहीं, हम छतों पर बातचीत के लिए एकत्र नहीं होते लेकिन सुबह और शाम को छत पर टहलने जाने के दौरान लोगों से मुलाकात हो जाती है।''

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक युवक ने कहा कि छत पर जाने के दो फायदे हैं. एक तो मैं अपनी प्रेमिका से फोन पर बिना रोकटोक के बात कर पाता हूं और दूसरा शुद्ध हवा भी मिल जाती है।

भाषा
कोलकाता


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