Republic Day 2020: गणतंत्र दिवस के मौके पर जानें भारतीय संविधान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों और नीति निर्माताओं ने तय किया कि अब भारत अपने संविधान और कानून के मुताबिक चलेगा।
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संविधान सभा की सुगबुगाहट
भारत के लोगों के लिए संविधान सभा ने संविधान तैयार करके अंगीकार किया। यह 6 दिसम्बर, 1946 को तैयार हुआ और इसकी बाबत अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को संपन्न हुई। लेकिन संविधान सभा गठित करने की मांग काफी पुरानी थी। कांग्रेस के पदाधिकारियों ने 1935 में मांग की थी कि भारतीयों का अपना संविधान होना चाहिए और इसके लिए संविधान सभा गठित की जाए।
जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में कहा था, ‘राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रस्ताव है कि स्वतंत्र भारत का संविधान बनाया जाए जिसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप न हो। इसके लिए वयस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा गठित हो।’ नवम्बर, 1939 में सी. राजगोपालाचारी ने संविधान सभा बनाए जाने की मांग की जिसे आखिरकार, ब्रिटिश ने अगस्त, 1940 में स्वीकार कर लिया।
दूसरे विश्व युद्ध के दबाव के चलते भी उन्हें यह मांग स्वीकारनी पड़ी। लेकिन संविधान बनाने की सुगबुगाहट 1922 में महात्मा गांधी की इस घोषणा के साथ ही आरंभ हो चुकी थी : स्वराज कोई ब्रिटिश संसद द्वारा दिया जाने वाला मुफ्त तोहफा नहीं होगा, बल्कि भारत की स्व-अभिव्यक्ति की घोषणा होगा।’
संविधान ऐसे बना, 165 दिन चली कवायद
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई। इसमें मुस्लिम लीग सदस्य अनुपस्थित रहे। लीग ने मांग की थी कि इसे भंग कर दिया जाए। बंगाल और पंजाब के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के साथ ही सिलहट तथा उत्तर-पश्चिमी सीमांत के माउंटबेटन प्लान के जरिए देश विभाजन के लिए वोट किए जाने के पश्चात 26 जुलाई, 1947 में पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा की घोषणा की गई। इससे कोई एक सप्ताह पूर्व इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट को ब्रिटिश शासन से मंजूरी मिल चुकी थी। इसकी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी कि प्रत्येक घोषणा के तहत मसौदा तैयार होगा और अपनी पसंद के संविधान को अंगीकार किया जा सकेगा।
राष्ट्र संप्रभु बना
14 अगस्त, 1947 में संविधान सभा की फिर से बैठक हुई। नवम्बर, 1949 में संविधान को अंगीकार किए जाने तक यह सिलसिला चलता रहा। गौरतलब है कि नवम्बर, 1949 में ही संविधानगत कुछ महत्त्वपूर्ण प्रावधान प्रभावित हुए थे। अलबत्ता, संविधान 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी हो सका
मसौदा तैयार करने में लगे दिन
संविधान की तैयारी के लिए 11 सत्र बुलाए गए (प्रथम सत्र 9 से 23 दिसम्बर, 1946 जबकि अंतिम सत्र 14 से 26 नवम्बर, 1949 तक चला। हालांकि इसके बाद भी संविधान सभा की अंतिम बैठक संविधान पर हस्ताक्षर करने के लिए 24 जनवरी, 1950 को आहूत की गई)।
389- कुल सदस्य
293- विभिन्न प्रांतीय सरकारों द्वारा चुन कर आए
93- सदस्य भारत की तत्कालीन रियासतों से थे
299- की संख्या रह गई, पाकिस्तान के सूबों वाले सदस्यों के चले जाने के बाद
संविधान सभा की यात्रा
6 दिसम्बर 1946 संविधान सभा का गठन
9 दिसम्बर 1946 संविधान सभा पहली बार मिली
11 दिसम्बर 1946 राजेन्द्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया
13 दिसम्बर 1946 पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा उद्देश्यपरक प्रस्तावना पेश। आगे चलकर यही प्रस्तावना संविधान की बुनियाद बनी
22 जनवरी 1947 उद्देश्यपरक प्रस्ताव को माना
29 अगस्त 1947 मसौदा समिति ने भीमराव आम्बेडकर को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया
26 नवम्बर 1949 संविधान को मंजूर किया गया
26 जनवरी 1950 संविधान प्रभाव में आया
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