जैश-ए-मोहम्मद में शामिल होने वाले पाकिस्तानी-अमेरिकी को 20 साल तक 'निगरानी' में रखने का आदेश
एक पाकिस्तानी-अमेरिकी को अमेरिका की संघीय अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई, लेकिन उसे निगरानी में रखने का आदेश देकर छोड़ दिया, अब उसे जेल में रहने से छूट मिल गई है।
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वह कश्मीर या अफगानिस्तान में लड़ने के लिए जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) में शामिल होने के लिए पाकिस्तान गया था। संघीय न्यायाधीश लियोनी ब्रिंकमा ने बुधवार को 39 साल के उमर फारूक चौधरी के मुकदमे में फैसला सुनाया, जो 2009 में "जिहाद" में शामिल होने के लिए पाकिस्तान गया था।
यूएस फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के आतंकवाद निरोधी विशेष एजेंट ब्रूस श्विंड्ट ने एक अदालती फाइलिंग में कहा कि चौधरी के साथी वकार हुसैन खान के अनुसार उसको भर्ती करने वाला उसे कश्मीर या अफगानिस्तान ले जाने वाला था।
चौधरी ने अदालत में माना कि वह जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह की मदद करने और अफगानिस्तान में लड़ने के लिए पाकिस्तान गया था। उसने अमेरिकी सैन्य बल को मारने की साजिश रचने के आरोप को भी स्वीकार किया।
अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, पाकिस्तान पहुंचने के बाद, उसे एक पाकिस्तानी परमाणु ऊर्जा संयंत्र और वायु सेना के ठिकानों पर हमला करने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
चौधरी के वकील गेरेमी कामेंस के अनुसार, सैन्य सुविधाओं पर हमला करने की साजिश रचने के आरोप में पाकिस्तानी अदालत द्वारा दोषी पाए जाने के बाद, उसे फैसलाबाद सेंट्रल जेल में कैद कर लिया गया, जहां उसने चार साल से अधिक समय बिताया।
वकील गेरेमी कामेंस ने अदालत में तर्क दिया कि भारत विरोधी आतंकवादियों का समर्थन करने के लिए चौधरी को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। अमेरिका हमेशा से इसके लिए इस्लामाबाद की आलोचना करता रहा है।
एफबीआई के विशेष एजेंट श्विंड्ट ने कहा कि भर्ती करने वाले, जिसकी पहचान नहीं की गई, ने अहमद अमीर मिन्नी के माध्यम से चौधरी से संपर्क किया था, जिसे पांच में से एक ने समूह के नेता के रूप में पहचाना था।
उसके अनुसार भर्ती करने वाले ने यूट्यूब और ईमेल के माध्यम से संवाद किया, और उसे पाकिस्तान पहुंचने के निर्देश दिए।
चौधरी और उसके चार साथी सिंध प्रांत के हैदराबाद में एक मस्जिद में गए, जिसके बारे में उनका मानना था कि वह जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी है, जहां "अमीर" ने उन्हें लाहौर में एक मुजाहिदीन शिविर में जाने का निर्देश दिया।
एफबीआई के विशेष एजेंट श्विंड्ट ने कहा कि शिविर को जमात-उद-दावा से जुड़ा माना जाता था।
श्विंड्ट के अनुसार, उसे सरदोगा में पाकिस्तानी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था।
उन्होंने कहा कि चौधरी ने एफबीआई की पूछताछ में कहा, "हम मुसलमानों के साथ काम करने के लिए इस्लाम की खातिर (पाकिस्तान) आए हैं।"
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