Ahmed Farhad kidnapping case: इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने लापता कश्मीरी पत्रकार Ahmed Farhad Shah को 24 मई तक बरामद करने का दिया आदेश

Last Updated 22 May 2024 06:57:47 AM IST

Ahmed Farhad kidnapping case: इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को लापता कश्मीरी पत्रकार और कवि Ahmed Farhad Shah को शुक्रवार (24 मई) तक बरामद करने का आदेश दिया।


अहमद फरहाद अपहरण मामला

कश्मीरी कवि और पत्रकार फरहाद (Ahmed Farhad kidnapping case) को 14 मई को इस्लामाबाद में उनके आवास से अगवा कर लिया गया था। अंदेशा है कि वह इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी की हिरासत में हैं।

अपनी कविता के जरिए देश के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान की आलोचना करने के लिए जाने जाने वाले कवि ने हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आयोजित मुद्रास्फीति विरोधी लंबे मार्च का समर्थन किया, जिसमें क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई थी।

माना जाता है कि फरहाद (Ahmed Farhad kidnapping case) ने सोशल मीडिया पर देश के सैन्य प्रतिष्ठान की आलोचना की, जिस कारण देश की खुफिया एजेंसी ने उन्‍हें अगवा कर लिया।

मामला इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा। न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी ने कार्यवाही और मामले को गंभीरता से लिया।

उन्‍होंने जबरन अपहरण (Ahmed Farhad kidnapping case) में अपनी संलिप्तता की धारणा को न त्यागने के लिए सरकार और जासूसी एजेंसियों की आलोचना की। न्यायमूर्ति कयानी उन छह न्यायाधीशों में से एक हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र लिखा था। पत्र में कथित तौर पर देश की खुफिया एजेंसियों द्वारा न्यायपालिका को प्रभावित करने के लिए चल रहे हस्तक्षेप, प्रभाव, उत्पीड़न और धमकी की रणनीति पर रोशनी डाली गई थी।

मंगलवार की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (एजीपी) मंसूर उस्मान अवान ने राज्य संस्थानों की ओर से अदालत को आश्‍वासन दिया कि फरहाद (Ahmed Farhad kidnapping case)को बरामद किया जाएगा। उन्‍होंने अदालत से वसूली सुनिश्चित करने के लिए कुछ और समय देने को कहा।

एजीपी का आश्‍वासन चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि न्यायमूर्ति कयानी ने इस पर रोशनी डाली और जिक्र किया कि यह आश्‍वासन राज्य (प्रतिष्ठान) और उसके संस्थानों की ओर से दिया जा रहा था, उन्होंने अटॉर्नी जनरल को बताया कि उन्होंने अदालत के सामने एक सफेद झंडा लहराया था।

एजीपी ने सहमति जताई कि वह राज्य संस्था की ओर से आश्‍वासन दे रहे थे कि फरहाद को बरामद किया जाएगा।

न्यायमूर्ति कयानी ने शुक्रवार तक फरहाद (Ahmed Farhad kidnapping case) की बरामदगी का आदेश देते हुए टिप्पणी की, "आपने (एजीपी) अदालत के सामने सफेद झंडा लहराया है। यदि आपने संस्था की ओर से आत्मसमर्पण नहीं किया होता तो यह मामला और खराब हो जाता।"

मंगलवार की सुनवाई के दौरान आंतरिक मंत्रालय के सचिव और इस्लामाबाद पुलिस के महानिरीक्षक भी मौजूद थे।

पिछली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कयानी ने खुफिया एजेंसियों के खिलाफ अपना गुस्सा प्रकट किया था, जब याचिकाकर्ता अहमद फरहाद शाह (Ahmed Farhad kidnapping case) की पत्‍नी ने अदालत को एक आईएसआई अधिकारी के साथ कॉल और संदेशों के आदान-प्रदान के बारे में बताया था। संदेशों में कहा गया था कि यदि वह अपने पति को रिहा देखना चाहती है तो वह अदालत से मामला वापस ले ले।

न्यायमूर्ति कयानी ने आंतरिक सचिव और रक्षा सचिव को लिखित जवाब देने के लिए बुलाया था और आईजी पुलिस को आपराधिक कार्यवाही के लिए धारा 166 के तहत इस्लामाबाद में आईएसआई स्टेशन कमांडर का बयान दर्ज करने का आदेश दिया था।

न्यायमूर्ति कयानी ने चेतावनी दी थी कि अगर फरहाद (Ahmed Farhad kidnapping case) को बरामद नहीं किया गया तो वह मंत्रियों और यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी तलब करेंगे। कयानी ने अपहरण की घटना में खुफिया एजेंसियों की भूमिका की निंदा की थी।

न्यायमूर्ति कयानी ने टिप्पणी की, "यह देश या तो कानून के  मुताबिक चलेगा या एजेंसियों के तरीकों के मुताबिक।"

हालांकि, कोर्ट के समन के बावजूद सेक्रेटरी डिफेंस कोर्ट में पेश नहीं हुए, जबकि आईएसआई स्टेशन कमांडर का बयान भी जांच अधिकारी ने दर्ज नहीं किया।

मंगलवार के घटनाक्रम ने न्यायपालिका और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के बीच चल रही प्रतिद्वंद्विता को एक दिलचस्प मोड़ दे दिया है, क्योंकि देश के न्यायाधीश अब वरिष्ठ कमांडरों, मंत्रियों और यहां तक ​​कि देश के प्रधानमंत्री को जवाबदेह ठहराने के लिए तैयार हैं। वे इसे न्यायिक प्रणाली को लगातार कमजोर करना कहते हैं।

आईएएनएस
इस्लामाबाद


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment