पाकिस्तान के आम चुनाव में फिर चला इमरान खान का बल्ला, सेना को लगा जोर का झटका
पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में इमरान खान की पार्टी के उम्मीदवार डंका बजा रहे हैं, जबकि इमरान समेत उनकी पार्टी के कई नेता इस समय जेल में बंद हैं।
पाकिस्तान के आम चुनाव में फिर चला इमरान खान का बल्ला |
इमरान खान की पार्टी पीटीआई पूर्ण बहुमत हासिल करने की ओर बढ़ रही है। माना जा रहा था कि पाकिस्तानी चुनाव में वहां की सेना ने खुलकर इमरान खान का विरोध किया और उनकी पार्टी को चुनाव चिन्ह 'बैट' से बेदखल करवा दिया था, लेकिन 'कप्तान' इमरान खान ने हार नहीं मानी और निर्दलीय उम्मीदवार उतार दिए। अब यही 'निर्दलीय' उम्मीदवार नवाज शरीफ से लेकर बिलावल भुट्टो के अरमानों को चकनाचूर कर चुके हैं। पाकिस्तान के इन चुनाव परिणामों से राजनीतिक पंडित हैरान हैं और इसे 'राजनीतिक भूकंप' करार दिया जा रहा है। वहीं विश्लेषकों का कहना है कि इमरान खान ने जेल में रहकर भी अपने एक 'हथियार' का बखूबी इस्तेमाल किया और सेना प्रमुख असीम मुनीर की तमाम चालों को फेल कर दिया।
पाकिस्तान की सियासत पर नजर रखने वाले कुछ जानकारों का कहना है कि ये चुनाव ट्रेंड इमरान खान के उम्मीदवारों के पक्ष में जा रहे हैं। जानकारों ने कहा है कि यह बहुत ही चौंकाने वाला है और एक तरह से सियासी भूकंप की तरह से है। उन लोगों के मुताबिक अगर शुरुआती ट्रेंड सही हैं तो इमरान खान के जेल में रहने, बिना चुनाव निशान, प्रचार की अनुमति नहीं मिलने के बाद भी पीटीआई ने जो प्रदर्शन किया है, वह बहुत ही असाधारण है। पीटीआई से जुड़े निर्दलीय उम्मीदवारों को वोट मिलना पीटीआई के पक्ष में है या शरीफ की पार्टी के खिलाफ है या सेना के खिलाफ जनता का कदम है। जानकारों का कहना है कि बहुत कम लोगों को अंदाजा था कि 8 फरवरी को इस तरह के परिणाम आएंगे।
अब कई विश्लेषकों का कहना है कि सेना इन निर्दलीयों पर दबाव डालकर उन्हें नवाज शरीफ को वोट देने के लिए बाध्य कर सकते हैं। हालांकि अनुमान यह भी है कि ये निर्दलीय इमरान खान के साथ बने रह सकते हैं। हालांकि ऐसे परिणाम वहां की सेना के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकते हैं। वहां के एक न्यूज चैनल ने कहा है कि इमरान खान ने जेल में रहने के बाद भी सोशल मीडिया का जोरदार तरीके से इस्तेमाल किया और यही उनकी जीत की बड़ी वजह बन गया। इससे वह जनता के पास आसानी से पहुंच गए। वह भी तब जब उनकी पार्टी पीटीआई को प्रचार तक नहीं करने दिया गया था।
यही नहीं इमरान के ज्यादातर करीबी नेता इस समय जेल में बंद हैं लेकिन जनता ने खुलकर अपने कप्तान का साथ दिया। इमरान खान को इस जीत में बड़ी मदद मिली सोशल मीडिया पर की गई वर्चुअल रैलियों से। इमरान खान ने वर्चुअल रैलियों ने अपने निराश कार्यकर्ताओं के अंदर जोश भर दिया। इमरान की आईटी टीम ने इसमें उसकी मदद की। इसके बाद इमरान खान जेल में रहकर भी जनता तक आसानी से पहुंच गए। इमरान खान की स्ट्रीमयार्ड के जरिए 17 दिसंबर को हुई पहली वर्चुअल रैली में 50 लाख लोग जुड़े। इसमें इमरान खान का चेहरा दिखाते हुए उनका भाषण पढ़ा गया।
| Tweet |