अमेरिका के नेतृत्व में हूती ठिकानों पर हवाई हमले
लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर यमन के हूती विद्रोहियों के हमलों के जवाब में अमेरिका के नेतृत्व में हूती के ठिकानों पर हवाई हमले किए गए।
अमेरिका के नेतृत्व में हूती ठिकानों पर हवाई हमले |
इसके साथ ही एक बार फिर पूरी दुनिया का ध्यान यमन में वर्षो से जारी युद्ध की ओर गया है, जबकि गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इस्रइल के युद्ध से पश्चिम एशिया में पहले ही तनाव पहले बढ़ा हुआ है। हूती विद्रोहियों की ओर से कहा गया कि इन हमलों में पांच लोग मारे गए और छह अन्य घायल हो गए।
इस हमले से हमास पर इस्राइल के युद्ध को लेकर क्षेत्रीय संघर्ष भड़कने का भी खतरा है, जिसे अमेरिका के बाइडन प्रशासन और उसके सहयोगी कई हफ्तों से शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ ¨नग ने देशों से लाल सागर में तनाव नहीं बढ़ाने का आह्वान किया और सभी देशों और पक्षों से संयम बरतने को कहा।
ईरान समर्थित विद्रोहियों के कब्जे वाले कई ठिकानों पर बमबारी के बीच, सऊदी अरब ने स्वयं को इन हमलों से दूर करने की कोशिश की क्योंकि वह ईरान के साथ सौहार्द बनाए रखना चाहता है और यमन युद्ध में संघर्ष विराम चाहता है। साथ ही सऊदी अरब इस युद्ध से अंतत: हटना चाहता है। इस बीच, अमेरिकी नौसेना ने कुछ दिन पहले ¨हद महासागर के सुदूर इलाके में एक जहाज पर हमले की बात स्वीकार की थी। यह एक ऐसा हमला था जो ईरान की इस्राइल-हमास संघर्ष को लेकर व्यापक समुद्री अभियान के तहत जहाजों पर हमला करने की इच्छा का संकेत दे सकता है।
तेहरान ने बृहस्पतिवार को एक और टैंकर को जब्त कर लिया जो इस्लामिक गणराज्य के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण अमेरिका द्वारा तेल को जब्त करने से संबंधित एक संकट में पहले से शामिल था। यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी हमलों से कितना नुकसान हुआ है, हालांकि हूती विद्रोहियों की ओर से कहा गया है कि एयरफील्ड सहित कम से कम पांच स्थलों पर हमला किया गया है। ब्रिटेन के अनुसार हमलों के जरिए बानी में उस स्थल को निशाना बनाया जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर हूती ड्रोन उड़ाने के लिए कर रहे थे। एब्स में उस एयरफील्ड को भी निशाना बनाया जिसका इस्तेमाल क्रूज मिसाइल दागने और ड्रोन उड़ाने के लिए किया गया था।
हूती के विदेश मंत्रालय के अधिकारी हुसैन अल-एजी ने अमेरिका और ब्रिटेन के जहाज, पनडुब्बियों और युद्धक विमानों द्वारा बड़े पैमाने पर आक्रामण की पुष्टि की है। अल-एजी ने ऑनलाइन लिखा, ‘अमेरिका और ब्रिटेन को निस्संदेह भारी कीमत चुकाने और इस ज़बरदस्त आक्रामकता के गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।’
हूती के मुख्य वार्ताकार और प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल-सलाम ने अमेरिका और ब्रिटेन के हमले को मूर्खतापूर्ण बताया। सलाम ने लिखा, यदि उन्होंने सोचा कि वे यमन को फिलिस्तीन और गाजा का समर्थन करने से रोक देंगे तो वे गलत हैं। हूती विद्रोहियों ने नवंबर से ही उन जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है जिनका इस्राइल से कोई स्पष्ट संबंध नहीं है, जिससे वैश्विक व्यापार के लिए एक प्रमुख नौवहन मार्ग खतरे में पड़ गया है। हूती के सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याह्या सारी ने पहले से रिकॉर्ड संबोधन में कहा कि उनके नियंत्रण वाले यमन के पांच क्षेत्रों में 73 हमले हुए।
अमेरिकी और ब्रिटिश दुश्मन हमारे यमनी लोगों के खिलाफ अपनी आपराधिक आक्रामकता के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं और इसका जवाब और दंड दिये बिना नहीं छोड़ा जाएगा। उत्तर पश्चिमी यमन में हूती विद्रोहियों के गढ़ सादा में शुक्रवार को सैकड़ों लोग रैली के लिए जमा हुए। भीड़ में शामिल लोगों ने अमेरिका और इस्राइल के खिलाफ नारेबाजी की। इस बीच शुक्रवार को अमेरिकी नौसेना ने कुछ दिन पहले भारत और श्रीलंका के तटों के पास हुए हमले की पुष्टि की। रासायनिक टैंकर पैसिफिक गोल्ड पर 4 जनवरी को हमला हुआ था, जिसे अमेरिकी नौसेना ने एकतरफा ईरानी ड्रोन हमला बताया था। नौसेना के मध्यपूर्व स्थित 5वें बेड़े के प्रमुख, वाइस एडमिरल ब्रैड कूपर ने कहा, ईरान की हरकतें अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत हैं और समुद्री सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा हैं।’
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