Finland बना आधिकारिक तौर पर NATO का सदस्य, जानिए क्या है नाटो

Last Updated 05 Apr 2023 09:29:46 AM IST

आखिरकार रूस की धमकियों के बावजूद फिनलैंड (Finland) 4 अप्रैल को दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा गठबंधन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का आधिकारिक तौर पर सदस्य बन गया है।


आधिकारिक तौर पर फिनलैंड बना नाटो का सदस्य

साथ ही सैन्य गठबंधन के प्रमुख ने यह भी कहा कि वह नॉर्डिक देश में तब तक और सैनिक नहीं भेजेगा जब तक कि वह मदद नहीं मांगेगा।

जबकि पड़ोसी रूस (RUSSIA) पहले ही चेतावनी दे चुका है कि अगर नाटो अपने 31वें सदस्य राष्ट्र के क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक या उपकरण तैनात करेगा तो वह फिनलैंड की सीमा के पास अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा।

नाटो महासचिव जनरल जेन स्टोलटेनबर्ग ने ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में कहा, फिनलैंड की सहमति के बिना फिनलैंड में और नाटो सैनिक नहीं भेजे जाएंगे। लेकिन उन्होंने वहां और अधिक सैन्य अभ्यास आयोजित करने की संभावना से इनकार नहीं किया और कहा कि नाटो रूस की मांगों को संगठन के निर्णयों को निर्धारित करने की अनुमति नहीं देगा। नाटो के ब्रसेल्स स्थित मुख्यालय के बाहर अन्य सदस्य देशों के ध्वज के साथ ही फिनलैंड का नीले और सफेद का रंग झंडा भी लहराया गया।

बता दें कि स्वीडन और फिनलैंड ने साल 2022 में नाटो का सदस्य बनने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद अधिकतर देशों ने स्वीडन और फिनलैंड को नाटो का सदस्य बनाने की मंजूरी दे दी थी लेकिन हंगरी और तुर्किए इसके लिए तैयार नहीं थे।

फिनलैंड की राजधानी में लहराया नाटो का झंडा

इस बीच, फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में देश के झंडे के साथ नाटो के झंडे भी लगा दिए गए हैं। यह कार्यक्रम नाटो की 74वीं वषर्गांठ के दिन हो रहा है। चार अप्रैल 1949 को ही नाटो की स्थापना के लिए वाशिंगटन संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। यह संयोग ही है कि गठबंधन के विदेश मंत्रियों की बैठक भी हो रही है।

तुर्की नाटो का अंतिम देश है जिसने फिनलैंड के गठबंधन में शामिल होने वाले आग्रह को मंजूरी दी। पिछले साल यूक्रेन पर रूस के हमले से चिंतित फिनलैंड ने कई साल तक सैन्य तौर पर गुटनिरपेक्ष रहने के बाद मई 2022 में नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन किया था। उसके पड़ोसी स्वीडन ने भी आवेदन किया था, लेकिन उसके गठबंधन में शामिल होने में कुछ वक्त लग सकता है।

रूस और फिनलैंड के बीच 1340 की सीमा

फिनलैंड और रूस के बीच 1340 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह कदम रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए रणनीतिक और राजनीतिक रूप से झटका है। वह लंबे अरसे से शिकायत करते आए हैं कि नाटो रूस की ओर विस्तार कर रहा है।

क्या है नाटो?

नाटो एक सैन्य गठबंधन (Military alliance) है, जिसकी स्थापना 04 अप्रैल 1949 को उत्तर अटलांटिक संधि पर हस्ताक्षर के साथ हुई। नाटो का पूरा नाम नार्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (North Atlantic Treaty Organization- NATO)  है। नाटो को ”द (नॉर्थ) अटलांटिक एलायंस” भी कहा जाता है,  नाटो का मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है। संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत सदस्य राज्य बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग करने के लिए सहमत होंगे। लॉर्ड इश्मे (Hastings Ismay, 1st Baron Ismay) नाटो के पहले महासचिव बने थे।

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का इतिहास:

2nd वर्ल्ड वार के पश्चात् विश्व रंगमंच पर अवतरित हुई दो महाशक्तियों सोवियत संघ और अमेरिका के बीच शीत युद्ध का प्रखर विकास हुआ। भाषण व टू्रमैन सिद्धांत के तहत जब साम्यवादी प्रसार को रोकने की बात कही गई तो उसके बदले में सोवियत संघ ने अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन कर 1948 में बर्लिन की नाकेबंदी कर दी। इसी क्रम में यह विचार किया जाने लगा कि एक ऐसा संगठन बनाया जाए जिसकी संयुक्त सेनाएँ अपने सदस्य देशों की रक्षा कर सके। मार्च 1948 में ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड तथा लग्जमबर्ग ने ब्रुसेल्स की संधि पर हस्ताक्षर किए। इसका उद्देश्य सामूहिक सैनिक सहायता व सामाजिक-आर्थिक सहयोग था। साथ ही संधिकर्ताओं ने यह वचन दिया कि यूरोप में उनमें से किसी पर आक्रमण हुआ तो शेष सभी चारों देश हर संभव सहायता देगे।

इसी पृष्ठ भूमि में बर्लिन की घेराबंदी और बढ़ते सोवियत प्रभाव को ध्यान में रखकर अमेरिका ने स्थिति को स्वयं अपने हाथों में लिया और सैनिक गुटबंदी दिशा में पहला अति शक्तिशाली कदम उठाते हुए उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन अर्थात नाटो की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को वांशिगटन में की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 में क्षेत्रीय संगठनों के प्रावधानों के अधीन उत्तर अटलांटिक संधि पर 12 देशों ने  हस्ताक्षर किए थे। ये देश थे- फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैंड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका। शीत युद्ध की समाप्ति से पूर्व यूनान, तुर्की, पश्चिम जर्मनी, स्पेन भी सदस्य बने और शीत युद्ध के बाद भी नाटों की सदस्य संख्या का विस्तार होता रहा।

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देश: 4 अप्रैल 1949 को, 12 देशों के विदेश मंत्रियों ने जिनमें बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैण्ड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के देशों के विदेशमंत्री शामिल थे। सभी ने वाशिंगटन, डी. सी. के भागीय सभागार में उत्तरी अटलांटिक संधि (जिसे वाशिंगटन संधि भी कहा जाता है) पर हस्ताक्षर किए थे। संधि पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ विदेशी मंत्री अपने करियर में बाद के चरण में नाटो के काम में भारी रूप से शामिल थे नीचे नाटो के सभी सदस्य देशों के दिये गए हैं-

देश का नाम     सदस्यता वर्ष
बेल्जियम     1949
कनाडा     1949
डेनमार्क     1949
फ्रांस     1949
आइसलैंड     1949
इटली     1949
लक्समबर्ग     1949
नीदरलैंड     1949
नॉर्वे     1949
पुर्तगाल     1949
यूनाइटेड किंगडम     1949
संयुक्त राज्य अमेरिका     1949
यूनान     1952
तुर्की     1952
जर्मनी     1955
स्पेन     1982
पोलैंड     1999
हंगरी     1999
चेक रिपब्लिक     1999
बुल्गारिया     2004
एस्टोनिया     2004
लिथुआनिया     2004
रोमानिया     2004
स्लोवाकिया     2004
स्लोवेनिया     2004
लातविया     2004
अल्बानिया     2009
क्रोएशिया     2009
मोंटेनेग्रो     2017
उत्तर मैसेडोनिया     2020

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