पाक-अफगान तोरखम सीमा पर तालिबान की मौजूदगी से स्थानीय लोगों में भय का माहौल

Last Updated 06 Sep 2021 04:10:28 PM IST

अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार को हटाने और तालिबान द्वारा तेजी से अधिग्रहण करने से निश्चित रूप से वैश्विक शक्तियां सदमे की स्थिति में आ गई हैं।


पाक-अफगान तोरखम सीमा पर तालिबान की मौजूदगी से स्थानीय लोगों में भय का माहौल

तालिबान ने एक आक्रामक तरीके से अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है, जिसमें न केवल विदेशी बलों को देश से बाहर करने के लिए 20 दिनों से भी कम समय लगा, बल्कि गनी सरकार और उसके सुरक्षा बलों को खदेड़ते हुए काबुल में भी धावा बोल दिया गया और बिना किसी उल्लेखनीय प्रतिरोध के उन्होंने विद्रोहियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

तालिबान ने अफगानिस्तान में नियंत्रण करने के बाद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कई वरिष्ठ नेताओं सहित सभी तालिबान कैदियों को मुक्त कर दिया है।

इसने पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादियों को अपने स्लीपर सेल को फिर से सक्रिय करने और पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में फिर से उभरने का मौका दिया है, जिनमें से अधिकांश अफगानिस्तान के साथ लगती सीमा पर हैं।



तोरखम सीमा में, जिसने दशकों से नाटो आपूर्ति के लिए एक प्रमुख व्यापार मार्ग के रूप में कार्य किया है, क्षेत्र के स्थानीय निवासी आने वाले दिनों को सोचकर ही भयभीत हैं और उनके पास अतीत की डरावनी यादें भी हैं। वह पहले की तरह तालिबान वापसी को याद करते हुए आतंकी गुट को फिर से उभरते हुए देख डरे हुए हैं।

तोरखम सीमा के किनारे स्थित एक छोटे से शहर के स्थानीय निवासी वली खान का कहना है कि उन्हें अपने और अपने परिवार को लेकर डर है, क्योंकि इलाके में टीटीपी आतंकवादियों की आवाजाही स्पष्ट रूप से बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, "हमने अतीत में टीटीपी आतंकवादियों को देखा है। हालांकि, वे गायब हो गए या कुछ समय के लिए भूमिगत हो गए थे। लेकिन, अब तालिबान सरकार के सीमा पार नियंत्रण के साथ, मैं नए चेहरों को फिर से क्षेत्र में घूमते हुए देख रहा हूं।"

खान ने कहा, "हम जानते हैं कि वे तालिबानी हैं। वे इस समय निहत्थे स्थानीय इलाके में घूम रहे हैं। लेकिन मुझे पता है और बाकी सभी जानते हैं कि वे तालिबानी ही हैं। हो सकता है कि वे सीमा पार से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हों। लेकिन वे फिलहाल यहां पर बहुत ज्यादा संख्या में हैं।"

पाकिस्तान के अंतिम मुख्य शहर लांडीकोटल के एक अन्य स्थानीय निवासी जान मुहम्मद ने कहा, जब से तालिबान ने सत्ता संभाली है, हमारा जीवन पहले से ही तनाव में आने लगा है।

उन्होंने कहा, "मैं और मेरे बच्चे काम के लिए सीमा पार करते थे। हम वहां एक गोदाम में काम करते थे। लेकिन अब जब आवाजाही के लिए सीमा बंद है, तो हम बेरोजगार हो गए हैं।"

एक निवासी ने कहा कि पाकिस्तानी तालिबान के सदस्य हमेशा सीमावर्ती इलाकों में रहते रहे हैं और वे यहां से आगे-पीछे भी आते-जाते रहे हैं।

लांडीकोटल में एक दुकान के मालिक शरबत खान ने कहा, "तालिबान के सदस्य हमेशा से यहां रहे हैं, चाहे वह अफगान हो या पश्तून, वे इलाकों के बीच रह रहे हैं। लेकिन अब, हम उन्हें खुद को फिर से इकट्ठा होते हुए देख सकते हैं। यह डरावना है, क्योंकि हमने उन्हें और उनकी गतिविधियों को अतीत में भी देखा है।"

टीटीपी का फिर से उभरना निश्चित रूप से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

काबुल में एक स्थायी सरकार के गठन पर अफगान तालिबान की निगाहों के साथ, पाकिस्तानी तालिबान का फिर से संगठित होना और फिर से उभरना देश में आतंक की एक नई लहर पैदा कर सकता है।

आईएएनएस
तोरखम


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