जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन अटैक के बाद UN में बोला भारत- आतंकी हमले में हो सकता है इसका इस्तेमाल

Last Updated 29 Jun 2021 12:55:31 PM IST

संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भारत ने आतंकी गतिविधियों में ड्रोन के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया है। बैठक में शामिल हुए गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी ने कहा कि आतंकी हमले के लिए ड्रोन के हथियार की तरह इस्तेमाल पर सभी देशों को ध्यान देने की जरूरत है।


सामरिक एवं व्यावसायिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियारों के रूप में ड्रोनों के प्रयोग की आशंका पर वैश्विक समुदाय को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। भारत ने जम्मू हवाईअड्डे पर विस्फोटकों से भरे दो ड्रोनों के भारतीय वायुसेना (आईएएफ) स्टेशन में दुर्घटनाग्रस्त होने के दो दिन बाद संयक्त राष्ट्र महासभा में यह बात कही।

ड्रोन की मदद से सैन्य संस्थापन पर हमले की नयी कोशिश को रत्नुचक-कालुचक अड्डे पर चौकन्ने सैन्य संतरियों द्वारा नाकाम कर दिया गया था जिन्होंने मानवरहित हवाई वाहनों पर गोली चलाई तो वे वहां से उड़कर दूसरी जगह चले गए। इस घटना से कुछ देर पहले भारतीय वायुसेना के एक केंद्र पर पहली बार क्वाडकॉप्टरों (ड्रोन) का इस्तेमाल कर आतकंवादी हमला किया गया था।

सैन्य अड्डे पर पहला ड्रोन रविवार को करीब 11 बजकर 45 मिनट पर देखा गया था जिसके बाद दूसरा देर रात दो बजकर 40 मिनट पर दिखा। इस सैन्य अड्डे पर 2002 में आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें 10 बच्चे समेत 31 लोग मारे गए थे। भारतीय वायुसेना अड्डे पर हुआ हमला संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण संस्थापनों पर हमला करने के लिए ड्रोनों का प्रयोग करने की पहली घटना है।

भारत के गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वी एस के कौमुदी ने कहा, “आज, आतंकवादी दुष्प्रचार, कैडर को कट्टरपंथी बनाने एवं भर्ती करने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसे सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग, आंतकवाद के लिए धन मुहैया कराने के लिए क्राउडफंडिंग (इंटरनेट मुहिम) मंचों और भुगतान के नये तरीकों के दुरुपयोग तथा आतंकवादी मकसदों के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग आतंकदवाद के सबसे गंभीर खतरों के रूप में उभरे हैं और आतंकवाद को रोकने के लिए किन नये प्रतिमानों का प्रयोग किया जाएगा, वे इन्हीं आधारों पर तय होंगे।”

‘आतंकवाद के वैश्विक संकट: वर्तमान खतरों और नये दशक के लिए उभरते चलनों के मूल्यांकन’ विषय पर कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “मौजूदा चिंताओं’’ में “एक और जुड़ी चिंता” ड्रोनों का इस्तेमाल है।

कौमुदी ने महासभा में सदस्य राष्ट्रों की आतंकवादी रोधी एजेंसियों के प्रमुखों के दूसरे उच्च स्तरीय सम्मेलन में कहा, “किफायती एवं आसानी से उपलब्ध विकल्प होने की वजह से भयावह उद्देश्यों जैसे खुफिया जानकारी जुटाने, हथियारों या विस्फोटकों को पहुंचाने और लक्षित हमलों के लिए आतंकवादी संगठनों द्वारा इन हवाई/उप सतही मंचों का प्रयोग दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों के लिए आसन्न खतरा एवं चुनौती बन गया है।”

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा जारी उनके बयान के मुताबिक कौमुदी ने कहा, “सामरिक एवं व्यावसायिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी मकसदों के लिए हथियार के रूप में ड्रोनों के प्रयोग की आशंका पर सदस्य राष्ट्रों को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। हमने आतंकवादियों को मानवरहित हवाई प्रणालियों (यूएएस) का सीमा पार से हथियारों की तस्करी में प्रयोग करते हुए देखा है।”

कौमुदी ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी और उसके कारण एकांत में रहने पर मजबूर होने ने लोगों पर इंटरनेट के प्रभाव को और बढ़ा दिया है जिससे वे आतंकवादी संगठनों द्वारा कट्टर बनाए जाने और भर्ती किए जाने के प्रति संवेदनशील बनाता है।

उन्होंने कहा कि “सम्मोहित करने वाले वीडियो गेम’ के जरिए आतंकवादी दुष्प्रचार फैलाना आतंकवादियों द्वारा वैश्विक महामारी के दौरान अपनाई गई एक और रणनीति है।”

उन्होंने कहा, “देशों के लिए नयी प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग के कारण उभरने वाले वैश्विक खतरों खासकर आतंकवाद एवं हिंसक चरमपंथ के लिए लक्षित जोखिमों से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।”

भारत ने दुनिया को आतंकवादी प्रेरणाओं खासकर धर्म एवं राजनीतिक विचारधारा के आधार पर आतंकवाद को वर्गीकृत करने की प्रवृत्ति के खिलाफ एकजुट रहने के लिए कहा।

कौमुदी ने कहा, “यह निश्चित तौर पर हमें बांटेगा और आतंकवाद के खिलाफ हमारी जंग को कमजोर कर देगा।”

उन्होंने इसके लिए बिना किसी बहाने एवं अपवाद के अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से सामूहिक कार्रवाई करने का आह्वान किया और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जो देश आतंकवादियों को पनाह देते हैं उनका नाम उजागर किया जाए एवं उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए।

भारत ने आतंकवाद रोधी एवं सुरक्षा संबंधी व्यापक ढांचा सामने रखने के अलावा साइबर क्षेत्र में कई उपाय किए हैं जो कट्टरता को रोकने एवं कट्टरता को समाप्त करने की रणनीतियों को शामिल करते हुए बनाए गए हैं।

भाषा
संयुक्त राष्ट्र


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