अमेरिका ने अंतरिक्ष मलबे को लेकर नासा की भारत की आलोचना को ज्यादा महत्व नहीं दिया

Last Updated 03 Apr 2019 04:36:23 PM IST

भारत के ए-सैट मिसाइल परीक्षण के कारण अंतरिक्ष में जमा मलबे को लेकर नासा द्वारा की गई आलोचनाओं को ज्यादा महत्व नहीं देते हुए अमेरिका ने कहा कि दोनों देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनो साझा हितों पर काम करना जारी रखेंगे।


'मिशन शक्ति' पर नासा के प्रहार को अमेरिका ने नहीं दी तवज्जो (प्रतिकात्मक फोटो)

विदेश विभाग के उपप्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो की यह टिप्पणी नासा की ओर से बयान जारी होने के एक दिन बाद आयी है। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष में मलबे का मामला अमेरिका के लिए गंभीर है और मैं कहना चाहूंगा कि हमने भारत सरकार के बयान पर संदर्भ लिया है कि परीक्षण मलबे की समस्या से निपटने के लिए किया गया था।’’      

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पिछले सप्ताह हमने इस संबंध में कुछ बातचीत की थी। लेकिन जैसा कि हमने पहले भी कहा है, भारत के साथ हमारी मजबूत रणनीतिक साझेदारी है और हम वैज्ञानिक और तकनीकी से जुड़े अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग जारी रखेंगे। इसमें अंतरिक्ष से जुड़ी संरक्षा और सुरक्षा का मुद्दा भी शामिल है।’’     

भारत ने 27 मार्च को अपनी अंतरिक्ष क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अपने एक कृत्रिम उपग्रह को उपग्रह रोधी मिसाइल से मार गिराया था। देश के लिए यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसके साथ ही भारत ऐसी क्षमता रखने वाले देशों अमेरिका, रूस और चीन के क्लब में शामिल हो गया है।    

नासा ने सोमवार को भारत द्वारा अपने ही एक उपग्रह को मार गिराए जाने को ‘‘भयंकर’’ बताया था। नासा प्रमुख ने कहा कि नष्ट किए उपग्रह से अंतरिक्ष की कक्षा में करीब 400 टुकड़ों का मलबा जमा हो गया और इस वजह से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) के लिए खतरा पैदा हो गया है।     

नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के प्रशासक जिम ब्राइडेंस्टाइन ने कहा है कि अभी तक करीब 60 टुकड़ों का पता लगाया गया है और इनमें से 24 टुकड़े आईएसएस के दूरतम बिन्दु से ऊपर हैं।      

परीक्षण के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि निचली कक्षा में परीक्षण करते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि अंतरिक्ष में मलबा जमा न हो। जो भी मलबा होगा, वह नष्ट हो जाएगा और कुछ हफ्ते में धरती पर गिर जाएगा।    

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत ने किसी अंतरराष्ट्रीय कानून या संधि का उल्लंघन नहीं किया है।  ब्राइडेंस्टाइन ट्रंप प्रशासन के पहले शीर्ष अधिकारी हैं, जो भारत के ए-सैट परीक्षण के खिलाफ सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं।
 

 

भाषा
वाशिंगटन


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