Jitiya Vrat 2024: जीवित्पुत्रिका व्रत की ये कहानी छोटी सी लेकिन संदेश बड़ा

Last Updated 24 Sep 2024 11:29:42 AM IST

संतान की लंबी उम्र और निरोगी काया की कामना करते हुए बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं।


हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया का निर्जला व्रत रखे जाने का विधान है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की भलाई और बेहतर जीवन के लिए 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। पंचांग अनुसार इस बार 25 सितंबर को ये रखा जाएगा और 26 सितंबर को पारण होगा। पितृ पक्ष में पड़ने वाला पर्व जिसको मां श्रद्धापूर्वक करती है।

मान्यता अलग-अलग है। कहानियां भी ऐसी जो सद्कर्मों और आपसी प्यार का संदेश देती हैं। व्रत का संकल्प लेने से लेकर पूजा पाठ तक सब कुछ बहुत सहज और सामान्य। कुछ आडंबर नहीं बस एक संकल्प, लोटा, जिउतिया के धागे और मन से पढ़ी जाती कम से कम तीन कहानियां।

इनमें से हरेक घर में एक कहानी चंद शब्दों में ही कह ली जाती है। छोटी, रोचक और गहरा संदेश लिए होती है ये। 'एक खास पौधे' के अगल बगल बैठ कर भी कुछ महिलाएं कथा कहती हैं!

कहानी अलग-अलग बोली भाषा में अपने अंचल के हिसाब से सुनाई जाती है जो भोजपुरी में कुछ यूं है- ए अरियार त का बरियार, श्री राम चंद्र जी से कहिए नू कि फलां के माई खर जीयूतिया भूखल बड़ी।

सवाल यही है कि आखिर ये बरियार है कौन? तो बरियार एक ऐसा पौधा है जिसे भगवान राम का दूत माना जाता है। कहा जाता है कि ये छोटा सा बरियार (बलवान पेड़) भगवान राम तक हमारी बात दूत बनकर पहुंचाता है। अर्थात मां को अपनी संतान के जीवन के लिए कहे हुए वचनों को भगवान राम से जाकर सुनाता है और इस तरह श्री राम चंद्र तक उसके दिल की इच्छा पहुंच जाती। संतान और घर परिवार का कल्याण हो जाता है।

तीन दिनों तक चलने वाले जितिया व्रत के शुभ दिन पर भगवान सूर्य की पूजा करने का महत्व है। इस दौरान व्रत रखने वाली महिलाएं पूरे दिन न तो भोजन करती हैं न पानी पीती हैं। व्रत का समापन पारण के साथ किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान दीर्घायु होती है। निरोगी काया की आशीर्वाद प्राप्त होता है और भगवान संतान की सदैव रक्षा करते हैं। व्रत की शुरुआत नहाय खाय संग होती है और समापन पारण संग होता है।


 

आईएएनएस
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment