Varuthini Ekadashi 2024 : वरुथिनी एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Last Updated 04 May 2024 08:57:06 AM IST

Varuthini Ekadashi 2024 : पूर्व जन्म के पापों की मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए ज़रूर करें वरुथिनी एकादशी व्रत। इस पर्व पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।


Varuthini Ekadashi 2024 : हिंदू धर्म में कुल 24 एकादशी होती हैं। हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं, जिसमें से एक वरुथिनी एकादशी है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की तिथि को पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। इस साल यह एकादशी 4 मई 2024 को पड़ेगी। यह एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित है। तो चलिए आपको वरुथिनी एकादशी के महत्व और कथा के बारे में बताते हैं।

वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व - ( Varuthini Ekadashi Ka Mahatva )

ऐसा माना जाता है कि पूरे विधि विधान के साथ यह व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार इस दिन व्रत करने से सौभाग्य प्राप्त होता है इसलिए इसे पुण्यदायिनी और
सौभाग्य प्रदान करने वाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए यह व्रत बहुत लाभकारी होता है।

वरुथिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त  - ( Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat and Parana )

• वरूथिनी एकादशी व्रत 4 मई 2024

• 5 मई को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 05:38 ए एम से 08:18 ए एम

• एकादशी तिथि प्रारम्भ - मई 03, 2024 को 11:24 पी एम बजे

• एकादशी तिथि समाप्त - मई 04, 2024 को 08:38 पी एम बजे

वरूथिनी एकादशी व्रत विधि ( Varuthini Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi)

• वरूथिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

• पीले रंग का वस्त्र धारण करें।

• चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें.

• इसके बाद भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि से पूजन करें।

• भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें।

• भगवान विष्णु का पाठ करें।

• पारण के दिन भगवाग की आरती करके ब्राह्मण को भोजन कराएं।

• दक्षिणा देकर ब्राह्मण को विदा करने के बाद भोजन ग्रहण कर उपवास खोले।

श्री विष्णु मंत्र (Shri Vishnu Mantra)

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।

ॐ नमो नारायणाय

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्। लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देवा देवा।

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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