Dhanteras 2023 Katha In Hindi : धनतेरस के दिन जरुर पढ़ें ये पौराणिक कथा, होगी आर्थिक स्थिति मजबूत

Last Updated 05 Nov 2023 09:10:44 AM IST

धनतेरस का त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस बार 10 नवंबर 2023 को यह त्यौहार मनाया जाएगा।


Dhanteras 2023 Katha In Hindi

Dhanteras 2023 Katha In Hindi: इस दिन लोग नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं और घर के द्वार पर दीपक जलाते हैं। तो चलिए जानते हैं धनतेरस की पौराणिक कथाएं

कार्तिक कृष्ण - पहली  कथा - Dhanteras 2023 Katha In Hindi
एक बार हेम नाम का राजा था और उनका एक पुत्र था। जब बालक की कुंडली बनी तो ज्योतिषियों ने कहा कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद उसकी मौत हो जाएगी। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां कोई लड़की उसे ना दिखे।

लेकिन एक बार एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया। विवाह के बाद ठीक वैसा ही हुआ और चार दिन बाद  यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत उसको ले जा रहे थे तो उसकी पत्नी ने काफी विलाप किया। लेकिन यमदूतों को अपना काम तो करना ही था।

नवविवाहिता के विलाप को सुनकर यमदूतों ने यमराज से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। यमदेवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है। इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं । कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है। उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।

दूसरी पौराणिक कथा - Dhanteras 2023 Katha In Hindi
एक बार लक्ष्मी मां भगवान विष्णु के साथ विचरण कर रही थीं। एक जगह पर भगवान ने लक्ष्मी मां को कहा कि आप यहीं रुकें और जब तक मैं वापस ना आऊं आप यहीं रहना। मां लक्ष्मी का मन व्याकुल हो गया और वो भी विष्णु जी के पीछे दक्षिण दिशा की तरफ जाने लगी। आगे जाकर सरसों के खेत आए। खेतों में लहलहाती सरसों बहुत ही सुंदर लग रही थी। लक्ष्मी मां ने एक फूल तोड़ा और श्रृंगार किया आगे जाकर गन्ने के खेत आए तो उन्होंने गन्ने के रसीले मीठे रस का आनंद लिया।

तभी भगवान विष्णु वहां आ गए और मां लक्ष्मी से नाराज हो गए। विष्णु ने कहा कि उन्होंने किसान के खेत में चोरी की है और अब इन्हें 12 साल तक किसान की सेवा करनी होगी। तब मां लक्ष्मी गरीब किसान के घर पहुंची और वहां रहने लगीं। एक दिन किसान की पत्नी को मां लक्ष्मी ने उनकी प्रतिमा का पूजन करने को कहा। किसान की पत्नी ने वैसा ही किया। ऐसा करते ही उनके घर में धन धान्य भरने लगे और जीवन बहुत सुखी हो गया। 12 साल बीत गए।

भगवान विष्णु मां लक्ष्मी को वापस लेने आए तो किसान ने उनको ले जाने से मना कर दिया। तब भगवान ने कहा कि लक्ष्मी जी कहीं नहीं ज्यादा रुकती ये तो श्राप के कारण वो 12 साल यहां थीं, लेकिन किसान कहने लगा कि मैं नहीं चाहता कि मां लक्ष्मी वापस जाएं। ये सुनकर मां लक्ष्मी ने कहा कि अगर आप मुझे रोकना चाहते हो तो तेरस के दिन घर को स्वच्छ बनाकर रात में घी का दीपक जला कर रखान। शाम को पूजा करके एक तांबे के कलश में सिक्के भरकर रखना तो मैं उस कलश में निवास करुंगी। इसी वजह से हर वर्ष तेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होने लगी।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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