Maa Katyayani Vrat Katha : मां कात्यायनी का आशीर्वाद पाने के लिए करें नवरात्रि के छठे दिन की कथा
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की कथा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक महर्षि कात्यायन थे जिनके कोई पुत्री नहीं थी।
Maa Katyayani Vrat Katha |
Katyayani mata vrat katha - हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष में चार बार आता है लेकिन पौराणिक आधार पर इसे दो बार मनाया जाता है जिसमें चैत्र माह में आने वाले तथा अश्विन मास में आने वाले नवरात्रि मुख्य रूप से मनाए जाते हैं। इन नौ दिन देवी के भिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। विधि विधान सहित कथा का पाठ किया जाता है। आज हम आपके लिए नवरात्रि के छठे दिन की कथा लेकर आए हैं। नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी को समर्पित है।
माता कात्यायनी की कथा - Maa Katyayani Vrat Katha
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की कथा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक महर्षि कात्यायन थे जिनके कोई पुत्री नहीं थी। एक दिन उन्होंने भगवती जगदम्बा को अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने की कामना के साथ घोर तपस्या की। उनकी घोर तपस्या से माता जगदम्बा प्रसन्न हुई और उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां माता कात्यायनी के रूप में जन्म लिया तथा मां कात्यायनी के नाम से विख्यात हुई।
महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने वाली माता कात्यायनी बेहद गुणवती कन्या थी। उनके जैसी गुणवान, रूपवती तथा ज्ञानवान कन्या पूरे संसार में नहीं थी। कहा जाता है कि नवरात्रि के दिनों में जो भी भक्त माता कात्यायनी की पूजा श्रृद्धा भक्ति से करता है उसका मन सदैव आज्ञा चक्र में स्थित रहता है।
योग साधना में आज्ञा चक्र की महत्वपूर्ण मान्यता है। देवी कात्यायनी असुरों, दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। माता कात्यायनी की सवारी सिंह है। यह चार भुजाओं वाली देवी हैं जिसके चलते इन्हें चतुर्भुज देवी के नाम से भी जाना जाता है।
यह कथा उन अविवाहित कन्याओं के लिए भी लाभकारी है जिनके विवाह में विलम्ब हो रहा है। इसके अतिरिक्त वे सभी भक्त जो देवी कात्यायनी से अपनी मनोकामना पूर्ण कराना चाहते हैं, उनके लिए भी यह कथा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पूजा विधि
- मां को रोली - मॉली अर्पित करें
- अक्षत चढ़ाएं।
- पुष्प अर्पित करें।
- मां से सामने धूप और दीप जलाएं।
- मां कात्यायनी को नवैध चढ़ाया जाता है।
- मां कात्यायनी को लाल गुलाब बहुत प्रिय है इसलिए गुलाब चढ़ाना चाहिए।
- शहद का भोग लगाना चाहिए।
- अब आरती करें और प्रसाद बांटे।
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