Mahalaxmi vrat katha: महालक्ष्मी व्रत के समापन पर ज़रूर पढ़ें व्रत कथा
महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक होता है। इस साल महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर 2023 से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक चलेंगे।
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Mahalaxmi vrat katha in hindi - महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक होता है (Mahalaxmi Vrat Katha) अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत का आखिरी दिन समापन माना जाता है। इस साल महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक चलेंगे। ऐसा माना जाता है कि अगर विधिपूर्वक महालक्ष्मी माता का व्रत किया जाए तो लक्ष्मी माता बहुत प्रसन्न होती हैं और धन - धान्य का आशीर्वाद देती हैं। तो चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत के समापन पर कैसे करते हैं पूजा और जानें व्रत कथा भी।
Mahalaxmi vrat katha in hindi
महालक्ष्मी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था और वो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। ब्राह्मण रोज़ाना पूरे विधि-विधान से विष्णु भगवान की पूजा - पाठ करता था। एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान ने उसे साक्षात दर्शन दिए और उस ब्राह्मण से एक वरदान मांगने को कहा। तब ब्राह्मण ने अपने घर में लक्ष्मी माता का निवास होने की इच्छा ज़ाहिर की। विष्णु भगवान ने ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का पूरा मार्ग बताया। विष्णु भगवान ने ब्राह्मण से कहा कि पास के मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वो यहां आकर उपले बनाती है। तुम उस स्त्री को अपने घर आने का आमंत्रण देना, वहीं लक्ष्मी मां हैं। यह कहकर विष्णु जी अंतर्ध्यान हो गए। अगले दिन जब ब्राह्मण मंदिर के पास गया तो उसने उस स्त्री को उपले थापने हुए देखा तो ब्राह्मण ने उन्हें अपने घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी माता ने ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हारे साथ ज़रुर चलूंगी लेकिन तुम्हें पहले महालक्ष्मी व्रत करना होगा। 16 दिन तक व्रत करने और 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। ब्राह्मण ने लक्ष्मी मां के कहे अनुसार इस व्रत को किया और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हुईं। तभी से यह व्रत रखा जाने लगा।
कब से कब तक होता है महालक्ष्मी व्रत
धन-संपदा की देवी महालक्ष्मी माता का व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरु होकर 16 दिनों तक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक होता है। इस साल महालक्ष्मी व्रत 22 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक चलेंगे। महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन लक्ष्मी माता के गज लक्ष्मी स्वरूप की पूजा होती है। लक्ष्मी मां गज (हाथी ) पर कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार गज लक्ष्मी के व्रत और पूजा - पाठ से घर से आर्थिक तंगी दूर होती है और दरिद्रता नहीं आती। इसके साथ ही सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
महालक्ष्मी व्रत समापन विधि – Mahalaxmi Vrat Samapan Vidhi
• 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2023) का उद्यापन किया जाता है।
• सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
• मां की प्रतिमा को गंगा जल से साफ करें।
• लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर माता की प्रतिमा स्थापित करें।
• मां के सामने देसी घी का दीपक जलाएं।
• चन्दन, पुष्प माला, पत्र, अक्षत, लाल सूत, दूर्वा, नारियल, सुपारी, अगरबत्ती, फल और मिठाई आदि चीज़ें मां को अर्पित करें।
• व्रत का संकल्प लें और माता की आरती करें।
• सुबह पूजा करने के बाद शाम को भी मां लक्ष्मी की पूजा करें।
• इसके बाद रात को कच्चे दूध और पानी से चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
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