Pitru Paksha: इस विधि से घर पर करें श्राद्ध, मिलेगी पितरों की आत्मा को शांति
श्राद्ध करने का विशेष विधि विधान बताया गया है। घर पर इन आसान विधि- विधान से कर सकते हैं श्राद्ध कर्म। श्राद्ध तिथि पर सूर्योदय से दिन के 12 बजकर 24 मिनट की अवधि के बीच ही श्राद्ध करें।
![]() |
हिन्दू धर्म में माता-पिता के साथ बड़े बुज़ुर्गो की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। जन्मदाता माता-पिता को मृत्यु-उपरांत लोग भूल न जाएं इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधि - विधान बताया गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र के महत्व को बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। पितृ पक्ष या पितरपख, 16 दिन की वह अवधि (पक्ष/पख) है, जिसमें लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक याद करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं। इसे 'सोलह श्राद्ध'को 'महालय पक्ष','अपर पक्ष' आदि नामों से भी जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का प्रारंभ हो जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं घर पर कैसे करें पितरों का श्राद्ध,जानिए पूजा विधि।
श्राद्ध विधि – shradh vidhi in hindi
• श्राद्ध पूरे विधि-विधान से करना चाहिए। मत्स्य पुराण के अनुसार श्राद्ध की तिथि को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर सफेद वस्त्र धारण करें।
• श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए, हो सके तो किसी ब्राह्मण से ही श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए।
• पूर्व दिशा की ओर मुख करके पितरों का मानसिक आह्वान करें।
• हाथ में तिल कुश लेकर बोलें कि आज मैं इस तिथि को अपने अमूक पितृ के कारण श्राद्ध कर रहा हूं।
• इसके बाद जल पृथ्वी पर डाल दें। श्राद्ध कर्म में गरीब, ज़रूरतमंद की सहायता के साथ ही गाय, कुत्ते, कौवा आदि पशु -पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश ज़रूर डालना चाहिए।
• श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा दें।
• अपने पितरों को भोजन डालते समय उन्हें स्मरण करना चाहिए। ऐसा करने से उनके आशीर्वाद से घर परिवार में शांति रहती है और तरक्की होती है।
• जिस दिन आपके घर में श्राद्ध हो, उस दिन घर में गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें।
• पाठ करते समय एक पात्र में जल भर के रखें।
• पाठ को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पूरा हो जाने पर पात्र में रखे जल को भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
• अर्घ्य देते समय कहें कि परिवार की ओर से यह अर्पण करते हैं जिनका श्राद्ध है, उनके लिए आज का गीता पाठ अर्पण हैं।
• अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते हैं तो भगवान सूर्य को देखते हुए उनके आगे अपने दोनों हाथ ऊपर करके बोलें - हे सूर्य नारायण! मेरे पितरों (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दे) को आप संतुष्ट व सुखी रखें।
• इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ। ऐसा करते हुए आप भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और भोग लगायें।
• श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है इसलिए इसे भी चढ़ाएं।
श्राद्ध के लिए विशेष मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा।
श्राद्ध में माला जप करें
श्राद्ध कर्म में 1 माला रोज़ द्वादश मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का करना चाहिए और उस माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।
किसकी श्राद्ध कब करें
पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु जिस तिथि पर हुई है, पितृपक्ष में पड़ने वाली उसी तिथि को उस पितर के नाम से तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी दशा में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है।
| Tweet![]() |