पहचान बनाएं
एक इंसान के तौर पर अगर हम अपनी क्षमता का इस्तेमाल नहीं करते, और एक कीड़े-मकोड़े की तरह रहने की कोशिश करते हैं, तो क्या यह हमारे जीवन के लिए एक डरावनी सच्चाई नहीं होगी?
![]() सद्गुरु |
लोग अक्सर आकर कहते हैं, ‘मैं यह करना चाहता हूं, लेकिन..’। ऐसी अनेक खूबसूरत चीजें थीं, जो इंसान कर सकता था, लेकिन वह कर नहीं पाया, क्योंकि उसके पास एक ‘लेकिन’ था। हाल ही में किसी ने मुझसे कहा, ‘गुरु मैं आपको अपना जीवन समर्पित करना चाहता हूं, लेकिन..’। यहां ‘लेकिन’ जैसी कोई चीज नहीं होती। अगर आप ‘लेकिन’, और ‘परंतु’ जैसे शब्दों की खोज कर लेते हैं तो आप एक ख्याल बनकर रह जाते हैं। क्योंकि तब आप अपने ख्यालों को अपने दिल और दिमाग से ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। आपमें से किसी ने अगर ईशा योग कार्यक्रम को पूरा किया होगा, तो उस समय आपके मन में कहीं-न-कहीं, एक पल के लिए ही सही, यह विचार आया होगा-‘यही असली चीज है’।
यह एक वो पल था, जहां आपने अपने चरम का अनुभव किया था। उसी पल को आपको अपने जीवन का आधार बनाना चाहिए, न कि आपको अपने जीवन का आधार निराशा, ईष्र्या, नफरत भरे क्षणों, आनंद विहीन पलों, को बनाना चाहिए। आपके जीवन के जो सबसे बेहतरीन अनुभव रहे हों, वही आपके जीवन के केंद्र बिंदु होने चाहिए। अगर आप अपनी पहचान अपने अनुभवों में आई छोटी चीजों से बनाते हैं, तो आपके विचार और भावनाएं हमेशा उन्हीं के आसपास काम करेंगे और फिर उन्हीं के इर्द-गिर्द आप अपने पूरे जीवन का निर्माण करेंगे।
जीवन में हर चीज-चाहे वह घास का तिनका ही क्यों न हो, अपनी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल कर रही होती है। चाहे वह कीड़ा हो, एक चिड़िया या एक पेड़-हर एक जीवन अपनी क्षमता के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश करता है। एक इंसान के तौर पर अगर हम अपनी क्षमता का इस्तेमाल नहीं करते, और कीड़े-मकोड़े की तरह रहने की कोशिश करते हैं, तो क्या यह हमारे जीवन की भयंकर सच्चाई नहीं होगी? हमें हर हाल में अपनी परम संभावनाओं को पाने की कोशिश करनी चाहिए, चाहे हम अपनी गतिविधियों के जरिए इसे पाएं या शांत होकर-पहाड़ की तरह स्थिर और अचल होकर।
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