निश्चय
गंभीर परिस्थितियों में मन का शांत रहना इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को किसी भारी व्यक्ति का सहारा मिल गया है।
![]() श्रीराम शर्मा आचार्य |
शांत मन रहने से प्रतिकूल परिस्थितियां थोड़े ही काल में अनुकूल परिस्थितियों में परिणत हो जाती हैं। शांत लोगों की शक्ति का दूसरे लोगों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वास्तव में हमारी ही शक्ति दूसरे की शक्ति के रूप में प्रकाशित होती है।
यदि किसी व्यक्ति का निश्चय इतना दृढ़ हो कि चाहे जो परिस्थितियां आवें उसका निश्चय नहीं बदलेगा तो वह अवश्य ही दूसरे व्यक्तियों के विचारों को प्रभावित करने में समर्थ होगा। जितनी ही किसी व्यक्ति की मानसिक दृढ़ता होती है, उसके विचार उतने ही शांत होते हैं। और उसकी दूसरों को प्रभावित करने की शक्ति उतनी ही प्रबल होती है। शांत विचारों का दूसरों पर और वातावरण पर प्रभाव धीरे-धीरे होता है। उद्वेगपूर्ण विचारों का प्रभाव तुरंत होता है।
हम तुरंत होने वाले प्रभाव से विस्मित होकर यह सोच बैठते हैं कि शांत विचार कुछ नहीं करते और उद्वेगपूर्ण विचार ही सब कुछ करते हैं। पर जिस प्रकार किसी बीज को वृक्ष रूप में परिणत होने के लिए शांत शक्तियों को काम करने की आवश्यकता होती है, इसी प्रकार किसी विचार को फलित होने के लिए शांत होने की आवश्यकता होती है और उसका कार्य अवश्य जगत में होता है।
शांत विचारों से शरीर में आश्चर्यजनक परिवर्तन हो जाते हैं। लेखक का एक मित्र 20 वर्ष का युवक हो चुका था। इस समय भी वह ऊंचाई और मोटाई में एक चौदह वर्षीय बालक के समान लगता था। उसने किसी शुभ चिंतक के सुझाने पर नियमित रूप से व्यायाम करना प्रारम्भ किया। थोड़े ही दिनों में वह चार इंच बढ़ गया और उसका शरीर भी पुष्ट हो गया। उसकी समझ थी कि व्यायाम ने उसे बढ़ा दिया। इसमें कोई संदेह नहीं कि व्यायाम से उसे लाभ हुआ, पर उससे ज्यादा लाभ उसके निश्चय से हुआ।
इस निश्चय के कारण प्रतिदिन के शांत विचार उसकी भावना को प्रयत्न करते गए और उसके शरीर में मौलिक परिवर्तन होते गए। हम जो कुछ सोचते हैं, उसका स्थायी प्रभाव हमारे तथा दूसरों के ऊपर पड़ता है। शांत विचार धीरे-धीरे हमारे मन को ही बदल देते हैं। जैसे हमारे मन की बनावट होती है, वैसे ही हमारे कार्य होते हैं। और हमारी सफलता भी उसी प्रकार की होती है। हम अनायास ही उन कार्यों में लग जाते हैं, जो हमारी प्रकृति के अनुकूल हैं।
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