रेल किराया बढ़ाना कठिन लेकिन सही फैसला

रेलवे का किराया बढ़ाना कठिन लेकिन सही फैसला :जेटली

उन्होंने कहा, ‘तत्कालीन रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे इस फैसले के साथ 11 फरवरी 2014 को तत्कालीन प्रधानमंत्री से मिले. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस वृद्धि को मंजूरी दी और सुझाव दिया कि यात्री किराये व माल भाड़े में वृद्धि एक मई 2014 से ही प्रभावी हो.’ वित्तमंत्री के अनुसार रेलवे बोर्ड ने 16 मई को इस को वृद्धि अधिसूचित कर दिया. उस दिन लोकसभा चुनावों के परिणाम आ रहे थे.रेलमंत्री खड़गे ने उसी दिन शाम रेलवे बोर्ड के फैसले को स्थगित कर दिया. इसलिए सिद्धांत: मौजूदा एनडीए सरकार के रेलमंत्री ने तो वही फैसला लागू किया है जो उस वक्त के रेलमंत्री व प्रधानमंत्री ने किया था. जेटली ने कहा कि तत्कालीन रेलमंत्री के रद्दीकरण आदेश को वापस लेकर मौजूदा रेलमंत्री डीएस सदानंद गौड़ा ने चुनौतीपूर्ण फैसला किया है. उन्होंने कहा ‘गौड़ा के समक्ष दो ही विकल्प मौजूद थे, या तो वह रेलवे को उसके हाल पर छोड़ देते और यूपीए सरकार की नीतियों को अपनाते हुये आखिर में रेलवे ऋण जाल में फंसने देते या फिर यूपीए सरकार ने जो फैसला लिया उसपर अमल करते हुये यात्री किराये और माल भाड़े में वृद्धि करते, जिस फैसले को लागू करने का यूपीए सरकार साहस नहीं जुटा पाई.’

 
 
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