सिंड्रेला की कहानी से कम नहीं थी इस जोड़े की शादी
'12 साल की उम्र से मिसेज दिलीप कुमार बनने का ख्वाब देखती थीं, उनके बंगले के पास ही अपना घर बनवाया था' - सायरा बानो
|
अपने ज़माने की ब्यूटी क्वीन कही जाने वाली और दिग्गज अदाकारा सायरा बानो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। हंलाकि दिलीप साहब के जाने से जो उनके जीवन में ख़ालीपन है उसकी कोई भरपाई नहीं हो सकती है। सायरा ने हाल ही में अपनी 57वीं वेडिंग एनिवर्सरी का वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही हैं। इस शर्मीली दुल्हन ने अपनी मोहब्बत के आग़ाज़ से लेकर शादी के अंजाम तक के रुमानी क़िस्से फैंस के साथ साझा किए। ब्यूटी क्वीन की शादी किसी सिंड्रेला की कहानी से कम नहीं थी। जो आखि़रकार अपने सपनों के राजकुमार को पा ही लेती है।
दिलचस्प बात ये है कि सायरा बानो ने दिलीप कुमार के घर के सामने घर बनवाया था सायरा एक पोस्ट में लिखती हैं कि ''23 अगस्त, 1966 को ऐसी ही एक हसीन शाम थी, 34-बी पाली हिल में हमारे नए घर का गृह प्रवेश चल रहा था। घर जानबूझकर और बिल्कुल दिलीप साहब के 'दर के सामने' बनाया गया था। वह मद्रास में शूटिंग कर रहे थे और मेरी मां के इन्विटेशन पर मेरे जन्मदिन में शामिल होने के लिए शहर आए।''
सायरा आगे लिखती हैं कि जीवन सौभाग्य से घिरा हुआ नजर आया। एक के बाद एक चमत्कार होते चले गए, जिसकी शायद ही आप कल्पना कर सकते हों। दिलीप कुमार, जो मुझे तब से जानते थे, जब मैं एक छोटी बच्ची थी और इसी वजह से उन्होंने मेरे साथ काम करने से भी इनकार कर दिया था, लेकिन इस हाउस वार्मिंग पार्टी में मुझसे मिलने के तुरंत बाद उन्होंने कहा, "तुम बड़ी होकर और भी खूबसूरत हो गई हो।"
सायरा ने एक इंटरव्यू में कहा था मेरा उनकी जिंदगी में आने का किस्सा तो सभी जानते हैं कि दिलीप साहब तो मुझे कायनात ने तोहफे में सौंपे हैं। मैं अपने स्कूल डेज से ही मिसेज दिलीप कुमार बनना चाहती थी। जब मैं छोटी थी और लंदन में स्टडी कर रही थी तबसे ही मेरा इस तरफ रुझान था कि मैं एक दिन मिसेज दिलीप कुमार बनूंगी। मेरी मदर ने मुझसे कहा था कि आपको मिसेज दिलीप कुमार बनने के लिए वैसे ही शौक पैदा करने चाहिए, जैसे दिलीप साहब फरमाते हैं। तो मैं ये सब सीखने लंदन से अपनी मां से पोएट्री के जरिए खतो-किताबत किया करती थी। जब मैं हिंदुस्तान आई तो मुझे पता चला कि दिलीप साहब को सितार का बेहद शौक है, तो फिर मैंने भी सितार सीखना शुरू कर दिया। चूंकि दिलीप साहब उर्दू में माहिर हैं तो मैंने भी उर्दू सीखना शुरू किया।
घर की house warming party के बाद सब कूुछ बदलने लगा और रुमानियत फिज़ाओं में घुलने लगी थी। दिलीप कुमार मद्रास से आते और सायरा के यहां डिनर करके साइट पर शूटिंग के लिए चले जाते थे। उसके बाद आठ दिन तक यह रोमांस चला। पूरे आठ दिन बाद उन्होंने सायरा बानो को अपनी जीवन संगनी बनाने का फैसला किया और प्रपोज कर दिया। सायरा आगे बताती हैं कि वो मेरी मां, मेरी दादी के पास गए और उनसे ऑफिशियली बोले कि मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूं। इसके बाद हमने तत्काल ही हां बोल दिया। अब उनको हम क्या बताएं कि हम तो साहब जिंदगी में आपके आने का मुद्दतों से इंतजार ही तो कर रहे थे, कि किसी तरह से आपका साथ मिल जाए। जिसे 12 वर्ष की उम्र से चाहा और उसी का साथ मिल गया, यह तो कायनात की मेहरबानी ही है। मैं उनकी इतनी दीवानी थी कि मुझे अपने लंदन में स्कूल डेज के दौरान लिटरली उनके डे ड्रीम तक आते थे।'
इस किस्से के लगभग डेढ़ महीने बाद दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी 11 अक्टूबर 1966 को धूमधाम से हुई। दिलीप साहब आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें और बेशुमार मोहब्बतें हमेशा सायरा बानो को जीने का हौसला देती हैं
| Tweet |