संकट में है व्हेल अस्तित्व

Last Updated 17 Feb 2025 01:48:49 PM IST

व्हेल विश्व का सबसे विशालकाय जलीय स्तनधारी प्राणी है, जिसके बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से अभियान चलाए जाते हैं।


व्हेल : संकट में है इनका अस्तित्व

नीली गहराइयों की प्रहरी व्हेल की समुचित देखभाल और संरक्षण करने का संकल्प लेने के उद्देश्य से हर साल ‘विश्व व्हेल दिवस’ भी मनाया जाता है, जो 16 फरवरी को मनाया गया। 17वीं सदी में कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा व्हेल का मांस, तेल व परफ्यूम बनाने के लिए बड़े पैमाने पर इसका शिकार किया जाने लगा। औद्योगिक पैमाने पर शिकार से इनकी कई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं।
‘अंतरराष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग’ के अनुमान के अनुसार दुनिया में डेढ़ मिलियन व्हेल बची हैं। 1986 में अंतरराष्ट्रीय व्हेलिंग आयोग ने व्हेल के व्यावसायिक शिकार पर प्रतिबंध लगाया था किंतु फिर भी व्हेल का शिकार हो रहा है। सदियों से मानव सभ्यता के साथ जुड़ी व्हेल का समुद्र में 5 करोड़ वर्षो से अस्तित्व माना जाता है। स्पर्म व्हेल, किलर व्हेल, पायलट व्हेल, बेलुगा व्हेल आदि कई प्रजातियां हैं, जिनमें धरती का सबसे विशाल और वजनदार प्राणी ब्ल्यू व्हेल को माना जाता है। 1909 में दक्षिण अटलांटिक महासागर के दक्षिण जॉर्जिया के समुद्र तट पर मिली 110 फुट लंबी नीली व्हेल अब तक की सबसे विशालकाय व्हेल है। ब्ल्यू व्हेल का वजन 200 टन यानी 1.81 लाख किग्रा. होता है, जो 98 फुट चौड़ी होती है, और गर्मी के मौसम में चार करोड़ किल्र (छोटे जलीय जीव) खा जाती है। इसके हृदय का वजन 600 किग्रा. और मस्तिष्क 7 किग्रा. का होता है जबकि जीभ का वजन 3000 किग्रा. होता है। ब्ल्यू व्हेल के शरीर में सात हजार किग्रा. रक्त होता है, और जब यह जीव महासागरों में घूमता है, तो बड़े-बड़े जहाज भी इसे देख रास्ता बदल लेते हैं।

व्हेल के व्यवहार को लेकर वैज्ञानिकों ने जो जानकारियां जुटाई हैं, उनके अनुसार यह जिंदादिल जीव है। जब इसके बच्चे का जन्म होता है तो नन्हे ब्ल्यू की लंबाई 20-25 फुट और वजन 2.7 टन होता है। बच्चा तेजी से बड़ा होता है, जिसका वजन प्रति दिन 90 किग्रा. तक बढ़ जाता है। 6 माह में ही बच्चा 40-50 फुट बड़ा हो जाता है। हालांकि विशालकाय होने के बावजूद व्हेल इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होती। वैसे पिग्मी स्पर्म व्हेल जैसी छोटी प्रजातियां 11 फुट तक की ही होती हैं। व्हेल महासागरों के गहरे पानी में औसतन 40 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से कहीं से कहीं पहुंच जाती हैं, लेकिन बच्चे को जन्म देना होता है तो मादा ब्ल्यू व्हेल सागर में गर्म पानी वाले गहरे क्षेत्र में चली जाती हैं। इनकी सर्वाधिक संख्या सबसे बड़े सागर प्रशांत महासागर में है। व्हेल का खून गर्म होता है। अन्य स्तनधारी प्राणियों की तरह यह हवा में सांस लेती है, बच्चे को जन्म देती है, दूध पिलाती है।

मादा व्हेल एक बार में एक बच्चे को जन्म देती है। पानी के अंदर सांस लेने के लिए व्हेल में अन्य मछलियों की भांति गिल्स नहीं होते, बल्कि स्तनधारी प्राणी की भांति यह फेफड़ों से सांस लेती है, और सांस लेने के लिए उसे पानी की सतह पर आना पड़ता है। सांस लेने के लिए इसके सिर पर छिद्र होता है। सतह पर आने के बाद व्हेल पहले शरीर की अशुद्ध हवा बाहर निकाल कर शुद्ध हवा अपने भीतर लेती है। जब अपने शरीर की हवा बाहर निकालती है, तब तेज आवाज आती है। बार सांस लेने के बाद व्हेल 45 मिनट तक पानी के भीतर रह सकती है। अपने साथियों से संपर्क करते समय व्हेल मधुर ध्वनि निकालती हैं, जिसे ‘व्हेल सॉन्ग’ कहा जाता है। 20 हजार वॉट के बराबर यह ध्वनि मीलों सुनी जा सकती है। व्हेल की गर्दन लचीली होती है, जो तैरते समय गोल घूम सकती है। इसकी पूंछ के अंत में दो सिरे इसके तैरने में सहायक होते हैं।

व्हेल को लेकर सबसे विचित्र बात यह है कि यह लंबे समय तक नहीं सो सकती। सोते समय इसके दिमाग का आधा हिस्सा जगा होता है, और आधा सोता है, जिससे यह डूबने से बची रहती है। इसके शरीर का आकार इस तरह गोल होता है कि यदि सो जाए तो डूब कर मर जाती है। व्हेल में अपने परिवार के साथ रहने की प्रवृत्ति होती है, जो महासागरों में अकेले या स्थायी समूहों में रह कर यात्रा करती है। शिकार के अलावा प्रदूषण का असर भी व्हेल सहित अन्य समुद्री जीवों पर पड़ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि व्हेल रोजाना कई किलो माइक्रोप्लास्टिक निगल रही है, जिससे उसके स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। शोध के मुताबिक, ब्लू व्हेल प्रति दिन एक करोड़ माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े (करीब 43.5 किग्रा.) प्लास्टिक निगल सकती है जबकि फिन व्हेल रोजाना 0.6 करोड़ माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े (करीब 26 किग्रा.) निगल जाती है। शोध के मुताबिक हंपबैक रोजाना 0.4 करोड़ माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े (करीब 17 किग्रा.) प्लास्टिक निगल सकती है। कुला मिला कर व्हेल के साथ-साथ अन्य समुद्री जीवों के लिए भी उनके रहने के लिए सुरक्षित स्थान बनाने के लिए गंभीर कार्रवाई की नितांत आवश्यकता है।

योगेश कुमार गोयल


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