इजरायल-हिजबुल्लाह युद्ध : क्या हैं भारत की चिंताएं

Last Updated 03 Oct 2024 01:18:07 PM IST

इजरायल पर हमास द्वारा 7 अक्टूबर, 2023 को किए गए हमले के बाद इजरायल ने रौद्र रूप अपना लिया है, और अब वो अपने दुश्मनों को चुन-चुन कर मारने के लिए किसी भी हद तक जाने से हिचक नहीं रहा है।


इजरायल-हिजबुल्लाह युद्ध : क्या हैं भारत की चिंताएं

हमास द्वारा इजरायली नागरिकों की निर्मम हत्याओं के बाद इजरायल ने हमास को जड़ से मिटा देने की कसम खा ली है। साथ ही, हर उस शक्ति, जो हमास की सहयोगी है, को भी अपना दुश्मन मानते हुए उसके खात्मे की योजना पर अमल कर रहा है।

लेबनान में स्थित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने हमास के समर्थन में इजरायल पर रॉकेट हमले शुरू कर दिए थे। अत: इजरायल द्वारा हिजबुल्लाह चीफ नसरुल्लाह की हत्या 28 सितम्बर, 2024 को बेरूत में हिजबुल्लाह के मुख्यालय के ऊपर भीषण बमबारी करके कर दी गई। इजरायल ने यह कार्रवाई अपने बेहद सटीक जासूसी सूचना तंत्र से प्राप्त जानकारी के आधार पर की कि उस वक्त नसरुल्लाह अपने विस्त हिजबुल्लाह के वरिष्ठ कमांडरों के साथ उस रिहायशी भवन के नीचे बने मुख्यालय में मौजूद था। इस हमले की मंजूरी इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने न्यूयॉर्क के एक होटल से दी थी जब वो संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाग लेने के लिए गए हुए थे। इस हमले की मंजूरी देने के बाद नेतन्याहू वापस इजरायल लौट गए।
नसरुल्लाह की हत्या हो जाने के बाद ईरान ने अपने सबसे बड़े नेता अयातुल्लाह खामनेई को किसी बेहद सुरक्षित गुप्त जगह पर भेज दिया है और साथ ही इजरायल से मुकाबले के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन के देशों की मीटिंग बुलाने का आह्वान किया है।

इन सभी परिस्थितियों ने अभी पश्चिम एशिया को एक तरह से बारूद के ढेर पर बैठा दिया है। युद्ध कभी भी व्यापक रूप ले सकता है। विश्व के प्रभावशाली देशों और संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा युद्ध विराम की अपील को इजरायल ने ठुकरा दिया है, और बदले की आग में जल रहा है। एक तरफ उसने गाजा को बम बरसा कर नेस्तनाबूद कर दिया है, तो दूसरी तरफ हमास और हिजबुल्लाह की लीडरशिप को एक-एक कर मार रहा है। अभी तक हिजबुल्लाह के पंद्रह से ज्यादा कमांडर मारे जा चुके हैं। ऑपरेशन हेड इब्राहिम अकील, मिसाइल रॉकेट यूनिट हेड इब्राहिम कबीसी, सर्वोच्च कमांडर फाउद शुक्र, रादवां फोर्स कमांडर विसमतविल, एरियल कमांडर मोहम्मद हुसैन, अजीज यूनिट कमांडर नासेर, यूनिट कमांडर समी अब्दुल्लाह, हिजबुल्लाह चीफ नसरुल्लाह, साउथ फ्रंट कमांडर अलकराकी और ट्रेनिंग हेड अबू हसन जैसे सभी प्रमुख कमांडर मारे जा चुके हैं।

दरअसल, इजरायल पर अभी कई दुश्मन एक साथ हमला कर रहे हैं। फिलिस्तीन का आतंकी संगठन हमास, लेबनान से हिजबुल्लाह, यमन से हूती विद्रोही, इराक और सीरिया से ईरान समर्थित मिलिशिया उस पर लगातार हमले पर हमले कर रहे हैं। ईरान कभी भी युद्ध में शामिल हो सकता है। इस प्रकार से इजरायल को युद्ध कई मोर्चे पर लड़ना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में इजरायल अपने उन्नत तकनीक और बेहद कारगर जासूसी नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए नई शैली का युद्ध लड़ रहा है, जिसकी तैयारी वो पिछले 16 सालों से कर रहा था। इसके तहत ही उसने हिजबुल्लाह के अनेक कमांडरों और लड़ाकों को पेजर विस्फोट करा कर मौत की नींद सुला दिया। इजरायल की सिग्नल इंटेलिजेंस यूनिट 8200 और मोसाद ने बुडापेस्ट हंगरी में फर्जी कंपनी बनाई और ताइवान की एक कंपनी की मदद से पेजर बनाए। इजरायल ने सप्लाई से पहले पेजरों के अंदर बम फिट कर दिया और इस प्रकार से पेजर का इस्तेमाल बम के रूप में करके हिजबुल्लाह को भारी नुकसान पहुंचाया।

लगता है कि फिर से एक गल्फ वार बस शुरू होने ही वाला है। एक तरफ इजरायल ने घोषणा कर दी है कि जब तक उसके 70,000 हजार से ज्यादा विस्थापित नागरिक अपने घर बिना डर-भय के वापस नहीं हो जाते और उसके जो नागरिक अपहृत हुए हैं, उनकी सुरक्षित वापसी नहीं हो जाती, वो युद्ध नहीं रोकेगा तो दूसरी तरफ ईरान ने भी तेहरान में हुए हमास चीफ इस्माइल हनीयेह की हत्या का बदला लेने की  कसम खाई है। वैसे तो ईरान द्वारा इस्लामिक सहयोग संगठन के देशों से मदद मांगने के बावजूद अभी तक गल्फ के अन्य देश सऊदी अरब, कुवैत, ओमान तथा संयुक्त अरब अमीरात आदि स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन अभी शांत हैं, और अपनी प्रतिक्रिया देने से भी बच रहे हैं। अमेरिका, रूस, भारत सहित सभी प्रभावशाली देश किसी तरह युद्ध विराम करवाना चाहते हैं, लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वो हर हाल में इजरायल के साथ रहेगा। सभी सैन्य साजोसामान इजरायल को मुहैया करवा ही रहा है, जिनमें वो बम भी शामिल है, जिससे नसरुल्लाह मारा गया।

अब अगर भारत के लिहाज से इस युद्ध को देखें तो भारत गल्फ देशों में कोई युद्ध नहीं चाहता। सबसे पहली बात तो यही है कि भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है, और युद्ध से होने वाले आम नागरिकों के जान-माल के नुकसान को बहुत गंभीरता से लेता है। वैसे तो भारत और इजरायल के आपसी सहयोग-संबंध मित्रतापूर्ण रहे ही हैं, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि भारत फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले शुरु आती देशों में रहा है। अत: भारत इस क्षेत्र में शांति चाहता है। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि गल्फ के देशों में करीब 90 लाख से ज्यादा भारतीय काम करते हैं। युद्ध अगर बड़े पैमाने पर होता है तो भारत के लिए अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सबसे बड़ी चिंता बन जाएगी।

इन कामगारों की नौकरी जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ना भी तय है। जो कामगार भारत वापस लौटेंगे उनके लिए भारत में नई नौकरी ढूंढना बड़ी समस्या बन सकती है। कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी तो यह पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय होगी ही। ईरान फिर से अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू कर सकता है, जो इस्लामिक आतंकवाद के लिहाज से बेहद गंभीर चुनौती बन कर उभर सकता है क्योंकि उसके हथियार कभी भी आतंकियों के हाथ आ सकते हैं। अगर अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों को इस युद्ध में शामिल होना पड़ा तो यह बहुत ही विनाशकारी युद्ध का रूप ले सकता है। इसलिए संभावना यही है कि भारत सहित सभी प्रभावशाली देश इस युद्ध को बड़े युद्ध में बदलने से रोक लेंगे।
(लेखक के निजी विचार हैं)

उत्पल कुमार


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