शेयर बाजार में मजबूती रहेगी बरकरार

Last Updated 10 Aug 2024 01:52:16 PM IST

पांच अगस्त 2024 को अमेरिका में मंदी आने की आशंका से दुनिया भर के शेयर बाजारों में कोहराम मच गया। एशिया के प्रमुख बाजार, जापान के निक्केई में सबसे अधिक 12.40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, वहीं, कोरिया के कोस्पी में 8.77 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।


शेयर बाजार में मजबूती रहेगी बरकरार

अमेरिकी शेयर बाजार नैस्डैक में सबसे अधिक 4.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि यूरोपीय शेयर बाजार, जर्मनी के डैक्स में सबसे अधिक 2.34 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स 2,222 अंक, प्रतिशत में 2.74 की गिरावट के साथ 78,759 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी में 662 अंक, प्रतिशत में 2.68 की गिरावट दर्ज की गई और यह 24,055 के स्तर पर बंद हुआ।

भारतीय शेयर बाजार में मेटल, सरकारी बैंक, जैसे-एसबीआई और मीडिया के शेयर में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई, वहीं, ऑटो, आईटी, और ऑयल एंड गैस के शेयरों में 3 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। सबसे अधिक नुकसान टाटा मोटर्स, अडाणी पोर्ट, टाटा स्टील और पावर ग्रिड के  शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को हुई। शेयर बाजार में हाहाकार मचने के कई कारण हैं, लेकिन इनमें से सबसे प्रमुख कारण अमेरिका में मंदी आने की आशंका है।

ईरान और इस्रइल के बीच युद्ध की संभावना, भू-राजनीतिक संकट जैसे, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का लंबे समय से जारी रहना, वॉरेनबफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे द्वारा नकदी बढ़ाने की कोशिश, वैश्विक बाजार में लगातार अनिश्चितता बना रहना आदि की वजह से भी विश्व के बड़े निवेशकों ने बिकवाली करना शुरू कर दिया, जिससे विश्व के कई देशों के शेयर बाजार में हाहाकार मच गया। भारत को छोड़कर कोरोना महामारी के बाद से विश्व के कई विकसित देश महंगाई की समस्या से जूझ रहे हैं और कुछ देशों में नरमी की स्थिति बनी हुई है तो वहीं कुछ देशों में मंदी आने की आशंका बनी हुई है। अमेरिका भी ऐसे देशों की सूची में से एक है।

जापान के निक्केई शेयर बाजार में सबसे अधिक गिरावट दर्ज होने का सबसे बड़ा कारण बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दर को 0.1 प्रतिशत से बढाकर 0.25 प्रतिशत करना है, जो 15 वर्षो का उच्चतम स्तर है। वहीं, भारतीय शेयर बाजार में मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में शेयरों की कीमत का वैल्यूएशन बहुत ज्यादा होना है। इसलिए, इस सेगमेंट में गिरावट आने का साफ अर्थ है इस सेगमेंट में करेक्शन का दौर चल रहा है। साथ ही, रुपया भी कमजोर है। भारतीय शेयर बाजार में यह 2024 की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। इसके पहले 4 जून को सेंसेक्स में 5.74 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। शेयर बाजार में बिकवाली से निवेशकों को 16 लाख करोड़ रु पए का नुकसान हुआ है, जिससे 5 अगस्त को सेंसेक्स में सूचीबद्ध कंपनियों का ओवरऑल मार्केट कैप घटकर 441 लाख करोड़ रुपए रह गया। भारत में घरेलू निवेशकों के दम पर शेयर बाजार की स्थिति लगातार मजबूत बनी हुई है।

2024 में घरेलू निवेशकों ने शेयर बाजार में 2.28 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है। इतना ही नहीं, सेंसेक्स को 75,000 से 80,000 के स्तर पर पहुंचाने में घरेलू निवेशकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सेंसेक्स को 70,000 से 80,000 के स्तर पर ले जाने में रिलायंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक आदि कंपनियों ने भी महती भूमिका निभाई है। सेक्टर्स की बात करें तो बैंकिंग, बीएसई पावर, बीएसई रियल्टी, ऑटो, टेलीकॉम आदि ने शेयरों के उछाल को बनाए रखने में मदद की है। सेंसेक्स के अलावा निफ्टी 50 में भी लगातार तेजी का रु ख बना हुआ है। आने वाले दिनों में यह 26,000 से 27,000 के स्तर को छू सकता है और इस साल के अंत तक यह 30,000 के स्तर पर बंद हो सकता है।  विकास के मोर्चे पर भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2023-2024 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 रही, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत रही थी।

वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही, जो भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से 1.2 प्रतिशत अधिक है। सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार विनिर्माण और खनन के क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन से आलोच्य अवधि में विकास दर तेज रही। विनिर्माण क्षेत्र में 9.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में माइनस 2.2 प्रतिशत रही थी। इसी प्रकार खनन क्षेत्र में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 7.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 1.9 प्रतिशत रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार जून महीने में खुदरा महंगाई मई महीने के मुकाबले 0.33 प्रतिशत बढ़कर 5.08 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई, जबकि मई महीने में यह 4.75 प्रतिशत रही थी, जो 12 महीने का निचला स्तर था।

अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई में कुछ कमी आई थी, लेकिन वह मई महीने से थोड़ी अधिक 4.83 प्रतिशत के स्तर पर थी। जून 2023 में खुदरा महंगाई 4.81 प्रतिशत थी, जबकि जुलाई 2023 में यह 4.44 प्रतिशत रही थी। मंहगाई को लेकर केंद्रीय बैंक बहुत ज्यादा संवेदनशील है और यह महंगाई और विकास दर के बीच संतुलन बनाकर अर्थव्यवस्था को मजबूत रखना चाहता है। इधर, विगत कुछ महीनों से उधारी ब्याज दर के उच्च स्तर पर बने रहने के बावजूद ऋण  वितरण में तेजी आ रही है, क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र लगातार मजबूत बना हुआ है, जिससे विकास को बल मिल रहा है।

ऐसे माहौल में सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी का रु ख बना रहना लाजिमी है। तात्कालिक तौर पर वैश्विक स्तर पर होने वाली आर्थिक गतिविधियों से उत्पन्न चिंता की वजह से भारतीय शेयर बाजार ने गोते लगाए हैं, लेकिन ऐसी स्थिति की पुनरावृति की संभावना कम है। फिर भी, प्रत्येक दिन शेयर खरीद-फरोख्त करने वाले बड़े निवेशकों को देसी और विदेशी बाजार और वैश्विक हलचल पर पैनी निगाह बनाए रखने की जरूरत है। शेयर बाजार एक तरह से ऑनलाइन जुआघर है और इस प्लेटफॉर्म की मदद से अमीर बनने का ख्बाव देखने वालों को सावधान रहना होगा, अन्यथा ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ वाली कहावत चरितार्थ हो सकती है, लेकिन वैसे निवेशक, जो सिर्फ  प्रीमियम कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं, संतोष से रहते हैं, उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

सतीश सिंह


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