सामयिक : बजट भारत का फायदा चीन का

Last Updated 05 Aug 2024 01:46:23 PM IST

जो चीज आसान है, समझ में आती है, उसमें लोग खूब दिलचस्पी लेते हैं। लेकिन जो चीज मुश्किल होती है, उससे लोग कन्नी काटने लगते हैं। अपनी अर्थव्यवस्था और राजनीति को ही देख लीजिए।


सामयिक : बजट भारत का फायदा चीन का

अर्थव्यवस्था कम लोगों की समझ में आती है जबकि राजनीति ज्यादातर लोग समझते हैं। इसीलिए राजनीति पर आप हर किसी को बात करते देखते हैं जबकि अर्थव्यवस्था से लोग कन्नी काट जाते हैं। लेकिन आर्थिक खबरें भले समझ में न आएं, टेढ़ी हों, पर उनका आम आदमी के जीवन पर सीधा असर पड़ता है।

इसीलिए साल भर में एक दिन पेश किया जाने वाला आम बजट पूरे साल भर लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। बजट वो चीज है जो तय करती है कि अगले साल भर आपको क्या चीज सस्ती मिलने वाली है, और क्या चीज महंगी। आपको मकान खरीदने में दिक्कत आने वाली है, या रोजगार के अवसर बढ़ने वाले हैं, या घटने वाले हैं। विदेशों से माल आयात करना आसान होगा या मुश्किल हो जाएगा।

23 जुलाई को पेश किया गया आम बजट भी कुछ ऐसा ही है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, उसमें क्या है..इस बजट का लाभ किसको मिलेगा?..किसानों को, मजदूरों को, दिहाड़ी करने वालों को, गरीबों को, नौकरीपेशा लोगों को, व्यापारियों को या मध्यमवर्गीय लोगों को..कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का बजट जिस तरह से पेश किया गया है, उससे अपने देश के लोगों का फायदा कम और किसी दूसरे देश को फायदा ज्यादा नजर आ रहा है। निर्मला सीतारमण ने जब बजट पेश करना शुरू किया तो टीवी चैनलों ने ब्रेकिंग न्यूज चलानी शुरू की कि आयात शुल्क कम किया गया। कई मामलों में तो शून्य कर दिया गया। टीवी चैनलों से ज्यादा पता नहीं चल पाया कि किन-किन चीजों पर आयात शुल्क कम किया गया है, और कितना कम किया गया है? साथ ही इसका फायदा किसे मिलेगा..आम आदमी को, आयात करने वाले व्यापारियों और उद्योगपतियों को या फिर उस देश को जहां से भारत में ये चीजें आयात की जा रही हैं।

विशेषज्ञों ने बाद में जब इस बजट का गहराई से अध्ययन किया तो पाया कि इससे तो चीन का बहुत ज्यादा फायदा होने जा रहा है। जिन चीजों पर से आयात शुल्क कम किया गया है, या शून्य कर दिया गया है, वो ज्यादातर चीजें चीन से आयात की जाती हैं। तो एक तरफ देश में कुछ लोग जहां लोगों से अपील करते हैं कि चीन के सामान का बॉयकाट करें वहीं दूसरी तरफ सरकार ऐसा बजट पेश कर रही है कि भारतीय बाजार चीन के माल से पट जाएं। चीन और भारत के बीच व्यापार करीब सवा सौ बिलियन डॉलर का है।

इसमें अगर हांगकांग का व्यापार भी जोड़ दें तो यह करीब डेढ़ सौ बिलियन डॉलर सालाना का हो जाता है। 2023-24 में दोनों देशों के बीच 116 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था जिसमें 101 बिलियन डॉलर का चीन से आयात किया गया था और हमने महज 15 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। मतलब यह कि व्यापार एकतरफा करीब-करीब सात गुना चीन के पक्ष में झुका हुआ है। अगर हांगकांग का 30-35 बिलियन डॉलर का व्यापार और जोड़ दें तो उसमें भी 23-24 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा और जुड़ जाता है। इस तरह करीब 150 बिलियन डॉलर के व्यापार में हम महज 22-25 बिलियन डॉलर का निर्यात करते हैं, और सवा सौ बिलियन डॉलर का आयात।

इस बजट में मुख्य रूप से चार क्षेत्रों में आयात शुल्क में भारी कटौती की गई है। एक, रेयर अर्थ एलीमेंट, दो, सोलर सेल्स, तीन, मेडिकल अप्लाएंसेज और चार, इलेक्ट्रॉनिक्स। इन चारों क्षेत्रों में भारत करीब 80 प्रतिशत उत्पाद का आयात चीन से करता है। बजट में इन चारों क्षेत्रों में ही आयात शुल्क में भारी कटौती की गई है। रेयर अर्थ एलीमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर सेल्स में आयात शुल्क शून्य कर दिया गया है। मेडिकल अप्लाएंसेज में भी आयात शुल्क घटाकर किसी में 7 प्रतिशत, किसी-किसी में तो 5 प्रतिशत तक तो किसी-किसी में 2.5 प्रतिशत तक कर दिया गया है।

इसका मतलब यह हुआ कि इन सभी क्षेत्रों में चीन से आयात और ज्यादा बढ़ जाएगा। यहां जो मेक इन इंडिया का नारा दिया गया था और जिन कुछ लोगों ने इस क्षेत्र में स्टार्टअप्स शुरू किए थे, वो सभी एक झटके में ही मटियामेट हो जाएंगे। कहना न होगा कि इस बजट से चीन को जबर्दस्त फायदा होने वाला है। अब तो मन में यह सवाल भी उठने लगा है कि यह बजट हिंदुस्तान को ध्यान में रखकर बनाया गया है या चीन को..? दरअसल, आम बजट घरेलू स्तर पर आर्थिक हालात बेहतर करने की कवायद ही नहीं है, बल्कि आयात शुल्क के जरिए आयात-निर्यात के मोच्रे पर भी संभावनाओं को उजली करने का काम करता है।

अमरेंद्र कुमार राय


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