बिहार : रोजगारपरक योजनाएं लागू करना जरूरी

Last Updated 31 Jul 2024 11:02:55 AM IST

केंद्र सरकार के नये बजट में बिहार के विकास को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं। घोषणाएं केंद्र में सरकार गठन से जुड़ी राजनीतिक मजबूरियों से भी जुड़ी हैं।


बिहार में रोजगारपरक योजनाएं लागू करना जरूरी

दरअसल, बिहार के मामले में अभाव और गरीबी की बात नई नहीं है। रोजी-रोजगार को लेकर लाखों लोग हर साल पलायन करने के लिए मजबूर हैं। बड़े उद्योग तो दूर वहां छोटे और मझोले उद्योगों की राह भी कठिन रही है। अलबत्ता, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं महादलित नेता जीतन राम मांझी के केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री बनने के बाद कुछ उम्मीदें जरूर जगी हैं।  
खुद मांझी भी मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अपने विजन का मंत्रालय दिया है ताकि छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ाकर विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद मोदी सरकार में सबसे उम्रदराज इस मंत्री ने इस दिशा में ईमानदारी और लगन से काम करने का भरोसा भी जताया है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध बिहार फिर से आर्थिक समृद्धि और रोजगार सृजन के नये आयाम तलाश रहा है।

ऐसे में इस मंत्रालय की भूमिका वरदान साबित हो सकती है। दरअसल, बिहार में छोटे और मझोले उद्योगों का राज्य की आर्थिक संरचना को मजबूती देने में बड़ा योगदान है, जिसमें राज्य के कृषि आधारित उद्योग, हस्तशिल्प, खादी, हथकरघा उद्योग प्रमुख रूप से शामिल हैं। एमएसएमई मंत्रालय की विभिन्न योजनाएं-प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया आदि बिहार के उद्यमियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी साबित हो रही हैं। इनके माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा मिला है, जिससे रोजगार के नये अवसर सृजित हो रहे हैं।

अलबत्ता, दरकार इस बात की है कि राज्य के उद्यमियों को मंत्रालय की योजनाओं और सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी हो और उनका सही तरीके से क्रियान्वयन हो। उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, वर्कशॉप और मार्केटिंग कैंप का आयोजन भी किया जाना चाहिए। मांझी के मंत्री बनने से बिहार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावनाएं बढ़ी हैं। उनके नेतृत्व में मंत्रालय के अब तक के कामकाज से लगता है कि मांझी का ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों पर है।

रोजगार अवसर बढ़ाने के लिए उनका अनुभव और योजनाएं बिहार के युवाओं के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं। कृषि और उद्योगों के विकास के माध्यम से रोजगार सृजन की बात कारगर साबित हो सकती है। राज्य की आर्थिक संरचना में एमएसएमई पहले से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनको नई मदद और सुविधाएं औद्योगिक विकास का विकेंद्रित ढांचा खड़ा कर सकती हैं, जिससे कई क्षेत्रों के लोगों के जीवन में बदलाव संभव है।

दिलचस्प है कि बिहार की बदली राजनीति के साथ प्रदेश में विकास की नई बयार बह रही है। बजट में बिहार के लिए 26 हजार करोड़ के पैकेज के ऐलान के बाद खासकर औद्योगिक विकास को लेकर उम्मीदें कोरी नहीं कही जा सकतीं। गया में औद्योगिक विकास, काशी की तर्ज पर महाबोधि और विष्णुपद मंदिर कॉरिडोर, राजगीर और नालंदा का विकास, पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर राजमार्ग और गंगा नदी पर दो पुलों के निर्माण आदि की महत्त्वपूर्ण घोषणा निश्चित रूप से बिहार की तरक्की का नया आयाम साबित होगा। बजट की घोषणा रोजगार, कौशल विकास और पर्यटन की संभावनाओं से भरी है। जरूरी है कि इस दिशा में तेजी से काम हो और जमीनी स्तर पर किसी तरह का राजनीतिक विरोध या दुविधा आड़े न आए। गौरतलब है कि बजट में कौशल विकास और रोजगार के साथ गरीब, युवा, महिला और किसानों पर बल दिया गया है, जिसे विकास का सकारात्मक संकेत कहा जा सकता है।

बैंकों से ऋण लेना भी आसान कर दिया गया है। मुद्रा लोन की सीमा 10 से 20 लाख कर दी गई है। खरीदारों को ट्रेडर्स प्लेटफार्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ से घटाकर 250 करोड़ कर दी गई है। एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी प्रोडक्ट फूड यूनिट स्थापित करने के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाएगी और पारंपरिक कारीगरों को इंटरनेशनल मार्केट में उनके प्रोडक्ट बेचने में सक्षम बनाया जाएगा। उनके लिए पीपीपी मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे। केंद्र सरकार की पहल को आर्थिक जानकार अच्छा संकेत मान रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक जरूरी होगा कि जो घोषणाएं की गई हैं, उनको लेकर राजनीतिक सहयोग और समन्वय का एक बड़ा आदर्श बिहार देश के सामने रखे।

देश की आबादी जितनी तेजी से बढ़ रही है, उसके अनुरूप रोजगार अवसर पैदा करना अति आवश्यक होगा। बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा बड़ा राज्य है, राज्य के युवाओं द्वारा हर साल काफी संख्या में रोजगार के लिए दूसरे शहरों को पलायन करना चिंताजनक है। ऐसे में मोदी सरकार ने जिस तरह बिहार का बेहतर बजट देने के साथ ही बिहार के पूर्व सीएम मांझी को एमएसएमई मंत्री बनाया है, उससे निश्चित ही राज्य का न केवल विकास होगा, बल्कि उद्योग और रोजगार का नया ढांचा विकसित होगा।

सुशील देव


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