अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस : वन्य जीवों के प्रति जागरूकता बढ़ी

Last Updated 29 Jul 2024 01:08:43 PM IST

मध्य प्रदेश में दस हजार साल पुरानी रॉक कला पर बाघों का चित्रण पाया गया है। जब हम वन्य जीव संरक्षण की बात करते हैं, तो उसमें सभी जीव का अपना महत्त्व है, किंतु बाघ का महत्त्व हमारे लिए सदा विशेष रहा है।


अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस : वन्य जीवों के प्रति जागरूकता बढ़ी

इसलिए इस दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कई अभिनव पहल और प्रयास किए हैं, जिनका परिणाम हमारे सामने है।

हम सबको ध्यान होगा कि बाघ परियोजना के 50 वर्ष पूरे होने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक महत्त्वपूर्ण विषय का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था-‘मानवता का बेहतर भविष्य तभी संभव है, जब हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे और जैव-विविधता का विस्तार होता रहे..।’ पिछले दस वर्षो में प्रकृति से जुड़ी मानवता के संरक्षण की दिशा में की जा रहीं केंद्र सरकार की ठोस पहल के कारण ही पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण की नीतियों पर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत आज दुनिया का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

यह एक संवेदनशील प्रधानमंत्री की नीतियों और नेतृत्व का ही परिणाम है कि भारत में न केवल बाघों की आबादी में वृद्धि हुई, बल्कि उन्हें अनुकूल वातावरण भी प्रदान किया जा रहा है। भारत में प्रकृति की रक्षा करना हमारी महान संस्कृति का अहम हिस्सा है, और शायद यही वो कारण है जिसकी वजह से भारत के पास वन्य जीव संरक्षण में कई अनूठी उपलब्धियां हैं। जिन पर हमें गर्व करना चाहिए, दुनिया के केवल 2.4 फीसद भूमि क्षेत्र के साथ भारत, वैश्विक जैव- विविधता में लगभग 8 फीसद योगदान देता है। बाघों के संरक्षण और उनके संवर्धन की दिशा में बाघ परियोजना ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दस सालों में इस परियोजना को और अधिक गति मिली है। साथ ही, उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में शुरू किया गया ‘इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस’ यानी आईबीसीए वन्य जीव संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने बाघ परियोजना के 50 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन की जरूरत पर बल देते हुए कहा था, ‘वन्य जीव संरक्षण किसी एक देश का मुद्दा नहीं है, बल्कि सार्वभौमिक मुद्दा है।’ यह अलायंस इसी भावना का विस्तार है।

इसका शुभारंभ बाघ, शेर, तेंदुए, हिम तेंदुए, चीता, जगुआर और प्यूमा, यानी बिग कैट्स के संरक्षण के लिए हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की सराहना वैश्विक स्तर पर हो रही है। यह अलायंस बाघ सहित अन्य बड़ी बिल्लियों और उनकी कई लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में अग्रणी भूमिका का निर्वाह करेगा। बिग कैटस के निवास स्थान वाले देश अलायंस का हिस्सा बन रहे हैं। देश में 1973 में बाघ परियोजना शुरू की गई थी। यह एक वन्य जीव संरक्षण पहल थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य टाइगर रिजर्व बना कर बाघों की आबादी के प्राकृतिक आवासों में अस्तित्व और रख-रखाव को सुनिश्चित करना था। निश्चित तौर पर देश में बाघों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा में यह परियोजना अग्रणी भूमिका निभा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में इसमें गति आई है। इसकी सफलता न केवल भारत के लिए, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए गर्व का विषय है। दुनिया के 70  प्रतिशत से अधिक बाघ भारत में निवास करते हैं। भारत में बाघों की संख्या 3,682 है। भारत में बाघ अभयारण्य लगभग 80 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर फैले हैं। पिछले दस वर्षो में देश में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1973 में जब बाघ परियोजना शुरू हुई तो बाघों की गिनती के लिए वन विभाग के कर्मचारी उनके पद चिह्नों के निशान के लिए ग्लास और बटर पेपर का इस्तेमाल किया करते थे। अब वन विभाग के कर्मचारी नये जमाने की तकनीकी के साथ कदमताल करते हुए जियो टैगिंग और कैप्चर-मार्क-एंड-रीकैप्चर मेथड का इस्तेमाल करते हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा टाइगर रेंज वाला देश है। बाघ परियोजना के शुरू होने के समय 9 टाइगर रिजर्व थे, वहीं अब देश में 55 टाइगर रिजर्व हो गए हैं।  बाघ अभ्यारणों के प्रबंधन का प्रभाव, उनका मूल्यांकन, बाघों की पुनर्स्थापना जैसी नीतियों के साथ-साथ नये टाइगर रिजर्व की घोषणा भी बाघों की संख्या में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण है।  प्रधानमंत्री मोदी देशवासियों को लगातार वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील होने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। इसका भी सकारात्मक असर पड़ रहा है।

पिछले वर्ष संपन्न जी 20 की अध्यक्षता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बाघों और प्रकृति संरक्षण की अपनी भावना को भारत सरकार ने निरंतर प्रोत्साहित किया। केंद्र सरकार चीते को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लेकर आई है। भारत में जब चीते आए तो इसकी चहुंओर सराहना हुई। चीतों के आगमन से लोगों में वन्य जीव संरक्षण के प्रति और अधिक जागरूकता आई। यह पहल चर्चा का विषय बनी रही। लोगों में चीते को लेकर उत्सुकता भी रही। भारत में चीते का परिवार बढ़ रहा है।

टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। भारत सरकार न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर पर बेहतर काम कर रही है, बल्कि प्रकृति एवं वन्य जीव संरक्षण की दिशा में भी निरंतर सार्थक प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल बाघों की आबादी को घटने से बचाया है, बल्कि बाघों को फल-फूलने के लिए बेहतरीन इकोसिस्टम भी प्रदान किया है।
(लेखक केंद्रीय विदेश तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री हैं)

कीर्तिवर्धन सिंह


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