राजस्थान सरकार द्वारा कुछ जिलों के गठन को निरस्त किए जाने के मुद्दे पर बुधवार को राजस्थान विधानसभा में हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
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विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बाद में व्यवस्था दी कि बृहस्पतिवार को इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव देने वाले दो विधायकों को दो-दो मिनट बोलने की अनुमति होगी और सरकार की ओर से इस पर संक्षिप्त वक्तव्य दिया जाएगा।
शून्यकाल में अध्यक्ष देवनानी ने बताया कि विधायक सुरेश मोदी तथा तीस अन्य सदस्यों ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में गठित तीन संभाग तथा नौ जिलों को निरस्त किए जाने से खड़े हुए विवाद के संबंध में स्थगन प्रस्ताव दिए हैं।
उन्होंने कहा कि विधायक सुरेश मोदी तथा रामकेश को अपने प्रस्ताव की विषय वस्तु पर दो-दो मिनट बोलने की अनुमति होगी।
इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि जिले तथा संभाग खत्म करने का मुद्दा उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और अदालत में विचाराधीन किसी भी मुद्दे की विधानसभा में चर्चा नहीं कराए जाने की परंपरा रही है।
उन्होंने आसन से आग्रह किया कि इस स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं कराई जानी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस पर एतराज करते हुए कहा कि केवल दो ही जिलों का मामला अदालत में है बाकी जिलों का नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम दो जिलों का यहां पर जिक्र नहीं करेंगे बाकी पर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।’’
बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर आज चर्चा नहीं करने का फैसला सुनाया जिसके बाद विपक्ष ने नाराजगी जताते हुए हंगामा किया। हंगामा के बीच अध्यक्ष ने कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद सदन बैठा तो भी हंगामा जारी रहा।
भोजनावकाश के बाद अध्यक्ष देवनानी ने व्यवस्था दी, ‘‘इस स्थगन प्रस्ताव पर बोलने के लिए जिन दो सदस्यों के नाम आज घोषित हुए वही बोलेंगे। वहीं सरकार की ओर से एक मंत्री जवाब देंगे।’’
इसके बाद सदन में आगे विधायी व अन्य कार्य हुए।
राज्य की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 17 नए जिले व तीन नए संभाग बनाने की अधिसूचना जारी की थी। इसके साथ ही तीन और जिलों की घोषणा की थी लेकिन उसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई थी।
मौजूदा भजनलाल शर्मा सरकार ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा गठित नौ जिलों तथा तीन नए संभागों को खत्म करने का फैसला दिसंबर में किया था। हालांकि आठ नए जिलों को बरकरार रखा गया।
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