सामयिक : विवादों में क्यों लोकसभा अध्यक्ष

Last Updated 29 Jul 2024 01:02:01 PM IST

भारतीय लोकतंत्र की परंपरा काफी सराहनीय रही है। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार नोक-झोंक का चलना सामान्य व स्वाभाविक बात है।


सामयिक : विवादों में क्यों लोकसभा अध्यक्ष

लेकिन इस नोक-झोंक की सार्थकता तभी है जब वक्ताओं द्वारा मर्यादा में रह कर बात रखी जाए। जब तक संसदीय कार्यवाही का टीवी पर प्रसारण नहीं होता था, तब तक देश की जनता को पता ही नहीं चलता था कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि संसद में कैसा व्यवहार कर रहे हैं? यह भी नहीं पता चलता था कि वे संसद में किन मुद्दों को उठा रहे हैं? अक्सर ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब सांसदों ने आर्थिक लाभ की एवज में बड़े औद्योगिक घरानों के हित में सवाल पूछे। वरिष्ठ पत्रकार ए सूर्यप्रकाश ने तीस वर्ष पहले ऐसे लेखों की श्रृंखला छापी थी जिसमें सांसदों के  आचरण का खुलासा हुआ और देश ने पहली बार जाना, ‘संसद में सवाल बिकते हैं’। पर जब से टीवी पर संसदीय कार्यवाही का प्रसारण होने लगा तब से देशवासियों को भी  देखने को मिला कि सांसद सदन में कैसा व्यवहार करते हैं।

बिना अतिश्योक्ति के कहा जा सकता है कि कुछ सांसद जिस भाषा का प्रयोग करने लगे हैं, उसने शालीनता की सीमाएं लांघ दी हैं। शोर-शराबा तो आम बात है। संसद में हुड़दंग भारत में ही देखने को नहीं मिलता। अनेक देशों से वीडियो आते रहते हैं, जिनमें सांसद हाथापाई करने और एक दूसरे पर कुर्सयिां और माइक फेंकने तक में संकोच नहीं करते। सोचने वाली बात यह भी है कि भारतीय संसद की कार्यवाही पर देश की गरीब जनता का अरबों रुपया खर्च होता है। आकलन है कि संसद चलने का प्रति मिनट खर्च ढाई लाख रुपये से थोड़ा अधिक आता है। इसका सदुपयोग तब हो जब गंभीर चर्चा करके जनता की समस्याओं के हल निकाले जाएं। हमारी लोक सभा का इतिहास रहा है कि लोक सभा के अध्यक्षों ने यथासंभव निष्पक्षता से सदन की कार्यवाही का संचालन किया।

उल्लेखनीय है कि 15वीं लोक सभा के तत्कालीन अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने अपने ही दल के विरुद्ध निर्णय दिए थे जिसका खमियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा। उन्हें दल से निष्कासित कर दिया गया पर उन्होंने अपने पद की मर्यादा से समझौता नहीं किया। लेकिन पिछले दस वर्षो से लोक सभा के वर्तमान अध्यक्ष ओम बिरला लगातार विवादों में रहे हैं। उन पर सत्ता पक्ष के प्रति अनुचित झुकाव रखने का आरोप विपक्ष लगातार लगाता रहा है।

17वीं लोक सभा में तो हद ही हो गई जब सत्ता पक्ष के एक सांसद ने विपक्ष के सांसद को सदन की कार्यवाही के बीच अपमानजनक गालियां दीं। अध्यक्ष ने उनसे वैसा कड़ा व्यवहार नहीं किया जैसा वो लगातार विपक्ष के सांसदों के साथ करते आ रहे थे। तब तो और भी हद हो गई जब उन्होंने विपक्ष के 141 सांसदों को सदन से निष्कासित कर दिया। ऐसा आजाद भारत के इतिहास में पहली बार हुआ। हाल में टीवी चर्चा में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बातचीत में नामी वकील, सांसद और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया, ‘देश के संविधान के अनुच्छेद 105, संसद के सदस्यों को संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी परंतु क्या सांसदों को ऐसा करने दिया जाता है?

जबकि इसी अनुच्छेद में या पूरे संविधान में यह कहीं नहीं लिखा है कि किसी भी सांसद का, संसद सदन में, अपनी बारी पर बोलते समय, माइक बंद किया जा सकता है। यह भी कहीं नहीं लिखा है कि किसी सांसद को बोलते समय, यदि वह नियम व मर्यादा के अनुसार बोल रहा हो तो उसे टोका जा सकता। इतना ही नहीं, यह बात भी नहीं लिखी है कि यदि विपक्ष किसी मुद्दे पर सत्ता पक्ष का विरोध करे तो उसे टीवी पर नहीं दिखा सकते। परंतु आजकल ऐसा होता है और यदि लोक सभा अध्यक्ष इस बात को नकार देते हैं कि वे किसी का माइक बंद नहीं करते तो फिर कोई तो है जो माइक को बंद करता है। ऐसा है तो जांच होनी चाहिए कि ऐसा कौन कर रहा है और किसके निर्देश पर कर रहा है?’

18वीं लोक सभा की शुरुआत ही ऐसी हुई है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव और अभिषेक बनर्जी तक अनेक दलों के सांसदों ने अध्यक्ष ओम बिरला के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैये का खुला आरोप ही नहीं लगाया, बल्कि अपने आरोपों के समर्थन में प्रमाण भी प्रस्तुत किए हैं। ये न सिर्फ लोक सभा अध्यक्ष के पद की गरिमा के प्रतिकूल है, बल्कि ओम बिरला  के निजी सम्मान को भी कम करता है। आवश्यकता इस बात की है कि ओम बिरला मुंशी प्रेमचंद की कालजयी रचना ‘पंच परमेश्वर’ को गंभीरता से पढ़ें जो शायद उन्होंने अपने स्कूली शिक्षा के दौरान पढ़ी होगी। कहानी शिक्षा मिलती है कि न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को सगे-संबंधियों का भी लिहाज नहीं करना चाहिए। लोक सभा की सार्थकता और पद की गरिमा के अनुरूप ओम बिरला को किसी सांसद को यह कहने का मौका नहीं देना चाहिए कि उनका व्यवहार पक्षपातपूर्ण है।

विनीत नारायण


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment