साइबर क्राइम : सावधानी ही बड़ा बचाव

Last Updated 13 Jul 2024 12:51:42 PM IST

भारत में साइबर अपराधों में काफी विविधता आई है। ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ की तर्ज पर अपराधी अब नये-नये तरीकों से साइबर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। नई मोडस ऑपरेंडी है ‘डिजिटल हाउसअरेस्ट’।


साइबर क्राइम : सावधानी ही बड़ा बचाव

इस तकनीक की मदद से ऑनलाइन फ्रॉड में काफी तेजी आई है। उदाहरण के तौर पर,11 मई को एक बुजुर्ग डॉक्टर को डिजिटली हाउसअरेस्ट करके 45 लाख रुपये ठगे गए। 15 अप्रैल को इंदौर के एक दंपति को 53 घंटों तक हाउसअरेस्ट करके रखा गया और लाखों रुपये ठगे गए। 6 जुलाई को वाराणसी में 3 दिनों तक डिजिटल हाउसअरेस्ट के जरिए सोनारपुरा के निहार पुरोहित से 28.75 लाख रुपये ठगे गए।

आजकल ऑनलाइन गेमिंग के जरिए भी ठगी की जा रही है। कूरियर, रिश्तेदार, दोस्त की गिरफ्तारी आदि की धमकी, अश्लील वीडियो आदि नये-नये तरीकों की मदद से ठगी करने की वारदात में तेजी आई है। स्नैप चैट, फेसबुक और इंस्टाग्राम भी अब ठगी के साधन बन गए हैं। मित्र या रिश्तेदार की फर्जी प्रोफाइल बनाकर ऐसी ठगी को अंजाम दिया जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की गई और पिछले दशक में भारतीय बैंकों में 65017 धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए। ये आंकड़े निश्चित रूप से डराने वाले हैं।  

हाल के वर्षो में कॉल फॉरवर्डिग के जरिए  साइबर अपराध करने की घटनाओं में उल्लेखनीय तेजी आई है। टेलीकॉम कंपनियां उपभोक्ताओं को कॉल फॉरवर्डिग की सुविधा देती हैं, जिसके तहत कॉल एवं एसएमएस को फॉर्वड किया जाता है। इस सुविधा का इस्तेमाल उपभोक्ता तब करते हैं, जब मीटिंग या किसी जरूरी काम में व्यस्त होते हैं, ताकि कोई जरूरी कॉल मिस न हो। इसके जरिए स्कैमर कॉल करके उपभोक्ताओं को यह कहता है कि हम आपकी टेलीकॉम प्रोवाइडर कंपनी से बोल रहे हैं। हमने नोटिस किया है कि आपके नंबर पर नेटवर्क की समस्या है। समस्या को दूर करने के लिए आपको ‘स्टार 401 हैशटैग’ नंबर डायल करना होगा।

यह नंबर डायल करने के बाद उपभोक्ता को अंजान नंबर पर कॉल करने के लिए कहा जाता है। जैसे ही, उपभोक्ता कॉल करता है, उसके सभी कॉल और मैसेज स्कैमर के पास पहुंच जाते हैं। अनुसंधानकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हाल ही में ‘विश्व साइबर अपराध सूचकांक’ तैयार किया है, जिसके अनुसार साइबर अपराध के मामले में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है। इस सूचकांक में 100 देशों को शामिल किया गया है। इसके मुताबिक साइबर अपराध के मामले में रूस शीर्ष पर है, जबकि यूक्रेन दूसरे, चीन तीसरे, अमेरिका चौथे, नाइजीरिया पांचवें, रोमानिया छठे और उत्तर कोरिया सातवें स्थान पर है। बीते कुछ वर्षो से गूगल सर्च इंजन पर लोग अपने हर प्रश्न का जवाब ढूंढ रहे हैं। ऐसे मनोविज्ञान को दृष्टिगत कर ठग नामचीन भुगतान एप्स जैसे गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के नाम से अपना नंबर इंटरनेट पर सहेज रहे हैं जिसके कारण खुद से लोग हैकर्स के जाल में फंस जाते हैं।

अब तो ब्राउजरएक्सटेंशनके डाउनलोडिंग के जरिए भी साइबर अपराध किए जा रहे हैं।  यह काम वायरस के जरिए किया जाता है। सार्वजनिक चार्जर पोर्ट के माध्यम से भी मोबाइल एवं लैपटॉप संक्रमित हो जाते हैं।  क्रोम, मोजिला आदि ब्राउजर के जरिए किए गए ऑनलाइन लेन-देन ब्राउजर के सर्वर में सेव हो जाते हैं, जिन्हें सेटिंग में जाकर डिलीट करने की जरूरत होती है, लेकिन अज्ञानतावश लोग ऐसा नहीं करते हैं, और इसका फायदा साइबर ठगों को मिल जाता है।

फिशिंग के तहत किसी बड़ी या नामचीन कंपनी या फिर यूजर की कंपनी का फर्जी बेवसाइट बनाकर, जिसका स्वरूप असली बेवसाइट जैसा होता है से लुभावने मेल किए जाते हैं, जिसमें मुफ्त में महंगी चीजें देने की बात कही गई होती है। मोबाइल का चलन बढ़ने के बाद हैकर्स एसएमएस या व्हाट्सएप के जरिए भी ऑफर वाले मैसेज भेजते हैं, जिनमें मैलवेयर युक्त हाइपर लिंक दिया हुआ होता है।

मैलवेयर, कंप्यूटर या मोबाइल या टैब में इंस्टॉल सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ यूजर की वित्तीय जानकारी जैसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड का विवरण, उनके पार्सवड, ओटीपी, मोबाइल नंबर, पता, बैंक खाता नंबर, जन्मतिथि आदि चुरा लेता है। यह यूजर की जानकारी के बिना उसके ईमेल खाते से दूसरे को फर्जी ईमेल भी भेज सकता है और इसके जरिए ठगी करने के साथ-साथ संवेदनशील जानकारी अवांछित लोगों को बेची भी जा सकतीं है। साथ ही साथ, इसकी मदद से किसी की सामाजिक प्रतिष्ठा को भी धूमिल किया जा सकता है।

आजकल साइबर अपराधी फोन कॉल्स या एसएमएस द्वारा लोगों को बिना कर्ज लिए ही कर्जदार बता कर उनसे पैसों की वसूली कर रहे हैं। ऐसी ब्लैकमेलिंग छोटी राशि मसलन 2000 से 5000 रु पये के लिए ज्यादा की जा रही है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर लोग पुलिस में शिकायत नहीं करें। लोन रिकवरी एजेंट यह धमकी देते हैं, आपने हमसे कर्ज लिया है और अगर दो-तीन दिनों में पैसे वापिस नहीं करेंगे तो आपकी आपत्तिजनक तस्वीरें वायरल कर दी जाएंगी या आपके सगे-संबंधियों या सहकर्मिंयों के साथ साझा कर दी जाएंगी और सबूत के तौर पर वे मोफ्र्ड तस्वीरें और वीडियो भेजते हैं।  मोबाइल एप से लोन लेना सूदखोर या महाजन या साहूकार से भी ज्यादा खतरनाक है।

कई बार लोन रिकवरी एजेंट लोगों से सिर्फ  पैसे ही नहीं ठगते हैं, बल्कि समाज में उन्हें बदनाम भी कर देते हैं। अगर लोग ब्राउजिंग सेशन के दौरान संदेहास्पद पॉपअप से सतर्क रहें, और सुनिश्चित करें कि वेबसाइट्स या मोबाइल या पब्लिक लैपटॉप या डेस्कटॉप पर कार्ड की जानकारी साझा नहीं करेंगे, अंजान नंबर या ईमेल आईडी से आए अटैचमेंट को तुरंत डिलीट कर देंगे और ऑनलाइन लॉटरी, कैसिनो, गेमिंग, शॉपिंग या फ्री डाउनलोड वाले मैसेज की उपेक्षा करेंगे तो फिशिंग मेल या एसएमएस या व्हाट्सएप के जरिए फॉर्वड होने वाले संदेहास्पद हाइपर लिंक के जाल से बचा जा सकता है। मामले में सावधानी ही बचाव है। लालच नहीं करें। यह सभी समस्याओं की जड़ है। मनोवैज्ञानिक दबाव में नहीं आएं। धमकी मिलने पर पुलिस की मदद लेने से हिचकें नहीं। तभी साइबर अपराध का शिकार बनने से बचा जा सकता है।

सतीश सिंह


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