महिला क्रिकेट : वाकई में उपलब्धियां हैं ऐतिहासिक
ऐतिहासिक घटनाओं के लिहाज से 30 जून बेहद महत्त्वपूर्ण तारीख है। दुनिया में खेल के माध्यम से सद्भाव कायम करने वाली सबसे बड़ी संस्था अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना इसी दिन हुई थी।
![]() महिला क्रिकेट : वाकई में उपलब्धियां हैं ऐतिहासिक |
बात भारतीय खेल जगत के नजरिए से करें तो यह तारीख और भी अहम हो जाती है। बीती 30 जून को भारतीय क्रिकेट इतिहास में दो बड़ी घटनाएं हुई। एक तरफ टी 20 विश्व कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को मात देकर भारतीय पुरु ष टीम ने 13 वर्ष का खिताबी सूखा समाप्त किया तो वहीं दूसरी तरफ, भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका को टेस्ट में दस विकेट से हरा दिया।
तर्क दिया जा सकता है कि दोनों मुकाबले का स्तर अलग था, लेकिन खिलाड़ियों का जज्बे और जुनून में कोई फर्क नहीं था। पुरु ष टीम की जीत से भारत को विश्व कप मिला तो महिला टीम की जीत ने बता दिया कि क्रिकेट के मैदान पर सिर्फ भारतीय पुरु षों का ही दबदबा नहीं है, महिलाएं भी उनसे कदमताल कर रही हैं। महिला टीम की बड़ी जीत से कई संदेश निकले जो क्रिकेट में भारतीय महिलाओं के उज्ज्वल भविष्य की तस्वीर पेश करते हैं। पिछली बार नवम्बर, 2014 में भारतीय टीम ने जब दक्षिण अफ्रीका के साथ घरेलू मैदान पर टेस्ट खेला था, तब मिताली राज कप्तान थीं। हरमनप्रीत कौर भी इस टेस्ट का हिस्सा थीं।
यह मैच तो भारत ने जीत लिया था लेकिन तब किसी को इल्म नहीं था कि 17 रन बनाने वाली हरमनप्रीत की कप्तानी में एक दिन अफ्रीकी टीम को इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा। यह भी तथ्य है कि तब महिला टीम को लेकर भविष्य की तस्वीर धुंधली नजर आती थी। लेकिन बीते एक दशक के दौरान महिला क्रिकेट खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से सबको हैरान कर दिया है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुकाबले में भारत ने एकतरफा दबदबा बना कर रखा था। इसकी शुरु आत शेफाली के धमाकेदार दोहरे शतक और मंधाना के शतक से हुई। इसके बाद गेंदबाजों ने अफ्रीकी खिलाड़ियों पर शिंकजा कसा। खासकर स्नेह राणा के 10 विकेट ने मैच ही पलट दिया। टी 20 विश्व कप के शोर में भले ही इस मैच को दर्शक कम मिले लेकिन महिला क्रिकेटरों का जुनून देखते ही बन रहा था।
इससे पहले महिला टीम ने अफ्रीका को वनडे सीरीज में भी 3-0 से मात दी। किसी भी टीम को आगे ले जाने में कप्तान की बड़ी भूमिका होती है। हरमनप्रीत ने उस भूमिका को बखूबी निभाया है। उन्होंने शेफाली वर्मा, स्मृति मंधाना, जेमिमा रोड्रिगेज, पूजा वस्त्रकार, स्नेह राणा जैसी शानदार खिलाड़ियों को तैयार किया। आज यही खिलाड़ी भारत का भविष्य लिख रही हैं। इन सभी खिलाड़ियों के साथ भारतीय टीम को विजय रथ पर सवार करने के लिए हरमनप्रीत की जितनी भी तारीफ हो कम ही होगी। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम लगातार बेहतर होती जा रही है। कौर की कप्तानी में भारतीय टीम ने पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ घर पर टेस्ट मैच खेला था।
इसमें भी टीम ने जीत हासिल की थी और उसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम को भी मात दी थी। अब साउथ अफ्रीका के खिलाफ चेन्नई टेस्ट जीतने के साथ हरमनप्रीत कौर महिला टेस्ट क्रिकेट इतिहास में पहली कप्तान बन गई हैं, जिनके नेतृत्व में टीम ने लगातार तीन मुकाबलों को अपने नाम किया है। हरमनप्रीत ने भारतीय महिला टीम की दिग्गज पूर्व खिलाड़ी मिताली राज के कप्तान के रूप में सबसे ज्यादा टेस्ट जीत के रिकॉर्ड को भी बराबर कर लिया है। कौर के नेतृत्व में टीम इंडिया ने जहां तीन मुकाबले खेलते हुए सभी में जीत हासिल की है तो मिताली राज के नेतृत्व में भारतीय महिला टीम ने आठ टेस्ट मैच खेले थे जिनमें से तीन में जीत हासिल हुई थी।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ये उपलब्धियां रिकॉर्ड बनाने से इतर हमारे समाज में महिला सशक्तिकरण की अलख जगा रही हैं। भारत जैसे देश, जहां महिलाओं की स्थिति में बड़े बदलाव की जरूरत है, ये उपलब्धियां हमारी पारंपरिक संस्कृति में घर कर गई विसंगतियां दूर करने में भी मददगार साबित हो रही हैं। लैंगिक समानता के सपने को साकार करने में मदद कर रही हैं। आम तौर पर पैसे की कमी से जूझने के कारण खेल महसंघ महिला खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण और सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाते।
महिला खिलाड़ियों की बेंच स्ट्रेंथ मजबूत नहीं कर पाते। अपनी मजबूत अवसंरचना के कारण क्रिकेट कम से कम इन सभी कमियों को पूरी कर रही है। वे लड़कियों को जमीनी स्तर पर सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। इससे महिलाओं की क्रिकेट में भागीदारी बढ़ रही है, और उन्हें समाज की रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ने में मदद मिल रही है। महिला क्रिकेट की लगातार उपलब्धियों ने लैंगिक असमानता पर नई बहस छेड़ दी है। माना जा रहा है कि महिला क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता और उनका प्रदर्शन देश की असंख्य बेटियों के लिए भी मिसाल बनेगा।
| Tweet![]() |