Sunil Chhetri retirement : कैप्टन फैंटास्टिक सुनील छेत्री लेंगे संन्यास
Sunil Chhetri retirement : भारत के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलकर सबसे ज्यादा गोल जमाने वाले सुनील छेत्री (Sunil Chhetri retirement) ने अपने संन्यास की तारीख तय कर दी है।
![]() सुनील छेत्री |
वह कोलकाता में छह जून को कुवैत के खिलाफ होने वाले फीफा विश्व कप क्वाफिायर मैच से अपने कॅरियर को विराम देंगे। उन्होंने इस घोषणा के लिए नौ मिनट 51 सेकेंड का एक वीडिया सोशल मीडिया पर जारी किया है। इस वीडियो में सुखविंदर सिंह के कोच रहते शुरू हुए कॅरियर का कोच इगोर स्टिमेक के साथ खत्म होने तक का सफर दर्शाया गया है। सुनील ने 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ खेलकर अपने अंतरराष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत की थी।
सुनील ने अभी कुछ समय पहले ही अपने 19 साल लंबे कॅरियर का 150वं मैच खेला था। वह कॅरियर में 94 गोल जमाने में सफल रहे और यह किसी भी भारतीय फुटबालर द्वारा जमाए गोलों में सर्वाधिक है। वह दुनिया में गोल जमाने के मामले में चौथे नंबर पर हैं।
सुनील से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल क्रिस्टियानो रोनाल्डो (128), अली डेई (108) और लियोनेल मेसी (106) ने जमाए हैं। पर किसी भारतीय खिलाड़ी का इन दिग्गजों की लीग में शामिल होना ही बहुत मायने रखता है। सुनील का 150वां मैच यादगार नहीं बन सका। इस मुकाबले में उन्होंने अपने कॅरियर का 94वां गोल भी जमाया पर आखिरी समय में जमाए गोलों से अफगानिस्तान टीम जीत गई।
सुनील को अपना 150वां मैच भारत को नहीं जिता पाने का मलाल रहेगा। सुनील के संन्यास लेने पर उनकी गोल जमाने की क्षमता ही नहीं बल्कि उनकी संघर्ष क्षमता और नेतृत्व क्षमता भारतीय टीम को खलेगी। सुनील देश के इकलौते फुटबालर हैं, जिसे देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न मिल चुका है। उन्हें यह अवार्ड नीरज चोपड़ा और मिताली राज के साथ मिला था। सुनील अपने क्लब कॅरियर को बेंगलुरू फुटबाल क्लब के साथ खत्म करेंगे। उनके इस सफर की नई दिल्ली में समाप्ति होने की उम्मीद है।
वह कहते हैं कि राजधानी दिल्ली के अंबेडकर स्टेडियम के साथ मेरी उम्दा यादें जुड़ी हुई हैं। इस स्टेडियम पर मैंने 2008 में नेहरू कप जीता और इसी साल एएफसी चैलेंज कप का फाइनल खेला। इस फाइनल में सुनील ने हैट्रिक जमाई थी। सुनील छेत्री के लगभग दो दशक लंबे कॅरियर में फुटबाल को दिए योगदान को फीफा ने 27 सितम्बर 2022 को उनके ऊपर डाक्यूमेंट्री बनाकर सराहा है। इस डाक्यूमेंट्री का नाम है,..कैप्टन फेंटास्टिक. . इसमें उनके शुरुआती दिनों , प्यार की कहानी और कॅरियर को दर्शाया गया है। अमेरिकी क्लब कंसास सिटी विजार्ड ने 2010-11 मेजर लीग सीजन के लिए सुनील छेत्री से करार किया।
इस लीग में खेलने वाले वह पहले भारतीय फुटबॉलर हैं। प्रोफेशनल लीग में तो इससे पहले बाईचुंग भूटिया खेल चुके थे। सुनील को मेजर लीग में सिर्फ एक मैच खेलने का ही मौका मिल सका। विजार्ड के मुख्य कोच पीटर वेरमी ने सुनील के बारे में कहा था कि मुझे उसका क्राफ्टी होना बेहद पसंद है। वह तकनीकी रूप से बहुत मजबूत है और उसके हमले बोलने का अंदाज अच्छा लगता है।
पर वह दुर्भाग्यवश इंग्लिश लीग चैंपियनशिप खेलते-खेलते रह गए थे। यह बात है 2009 की, जब उन्होंने क्वींस पार्क रेंजर्स से तीन साल का करार किया। पर ब्रिटेन सरकार से वर्क परमिट नहीं मिल पाने की वजह से वह नहीं खेल सके थे। इसकी वजह भारत का उस समय फीफा रैंकिंग में टॉप 70 टीमों में शामिल नहीं होना था। सही मायनों में देश की फुटबॉल की खस्ता हालत की उन्हें कीमत चुकानी पड़ी थी।
भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में शुमार किए जाने वाले सुनील छेत्री का जन्म तीन अगस्त 1984 को सकिंदराबाद में हुआ था और ज्यादतर बचपन दार्जिलिंग में बीता है। पिता केबी छेत्री सेना की इलेक्ट्रिकल और मैकेनल कोर में अधिकारी थे और सेना की फुटबॉल टीम में खेला करते थे।
वहीं माता सुशीला भी अपनी जुड़वां बहन के साथ नेपाल की राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टीम में खेलीं थीं। इस कारण फुटबॉल सुनील के खून में ही समाई है। यही वजह है कि वह बहुत ही छोटी उम्र में फुटबाल खेलने लगे और दार्जिलिंग के बेथनी स्कूल में पढ़ने के दौरान ही टूर्नामेंटों में खेलने लगे थे। पर सुनील के कॅरियर को सही दिशा 2002 में मोहन बागान क्लब से जुड़ने पर ही मिली।
पिता के सेना में होने की वजह से जगह-जगह पोस्टिंग होने से फुटबाल में कई क्लबों से खेलने की वजह से वह पांच भाषाओं को बोलने की महारत रखते हैं। वह इंग्लिश, हिंदी, बंगाली, नेपाल और कन्नड़ बोल लेते हैं। इसके अलावा तेलुगी, मराठी और कोंकणी को समझ लेते हैं।
भारत में सुनील छेत्री जैसे स्ट्राइकर दशकों में निकलते हैं। हमारे यह फुटबॉल को लोकप्रिय बनाने के लिए आईएसएल लीग का आयोजन होता है। पर इस लीग में आमतौर पर टीमें विदेशी स्ट्राइकरों को रखना पसंद करती। इस तरह की स्थितियों में छेत्री की जगह लेने वाला स्ट्राइकर निकलेगा कैसे।
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