मुद्दा : पुरानी कारों के बाजार में झांसेबाजी
बॉलीवुड में ठग और ठगी करने वालों पर अनेकों फिल्में बनी हैं। 1958 में बनी एक फिल्म का नाम था ‘दिल्ली का ठग’ जिसमें दिखाया गया था कि ठगी करने का आदी एक ठग दिल्ली छोड़ मुंबई जा कर ठगी करने लगता है।
मुद्दा : पुरानी कारों के बाजार में झांसेबाजी |
ठगी करने वाले, चाहे दिल्ली के हों या किसी अन्य शहर के, पकड़े जाने के डर से अपना नाम और हुलिया बदल कर अलग-अलग शहरों में जाते हैं और अपना मकसद पूरा करते हैं पर आज के युग में पेशेवर ठगों को कहीं जाना नहीं होता। सोशल मीडिया ने उनका काम काफी आसान कर दिया है।
आज कल ‘दिल्ली के ठग’ आपको सोशल मीडिया पर बिना ज्यादा मेहनत आसानी से मिल जाएंगे। इनका नया रूप खोजने के लिए आपको दिल्ली के सेकंड हैंड कार बाजार को खोजना होगा। इतना करते ही आप इनके बिछाए जाल में बड़े आराम से फंस जाएंगे। हां, यदि आपको पुरानी गाड़ियों की पहचान है, ऐसे लोगों से बात करने का अनुभव है तो शायद आप बच जाएं वरना दिल्ली के इन ठगों से लुटने के लिए लोग देश भर से अपना पैसा खर्च कर खुद ही दौड़े चले आते हैं। सोशल मीडिया के तमाम मंचों पर इनकी अच्छी खासी पकड़ है। ये खुद को सोशल मीडिया के ‘इंफलुएंसर’ बता कर बड़ी होशियारी से गंजों को कंघी तक बेचने का हुनर रखते हैं। इन ठगों की एक बात खास है। ये दिल्ली जैसे महानगरों में बिकने वाली सेकंड हैंड गाड़ियों के बाजार के डीलरों को इस कदर अपने जाल में फंसा लेते हैं कि उनके पास घर बैठे ही ग्राहक आने शुरू हो जाते हैं। सोशल मीडिया पर ये इंफलुएंसर्स दिल्ली के नामी डीलर्स के पास खड़ी सैकड़ों पुरानी गाड़ियों को इस कदर आकर्षित बताते हैं कि दूरदराज के शहरों में रहने वाले भोले-भाले लोग इन गाड़ियों की ओर खिंचे चले आते हैं।
जब से राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली जैसे महानगरों में वाहनों की आयु सीमा तय कर दी है, तब से पुरानी गाड़ियों को दिल्ली के बाहर छोटे शहरों में बेचने के बाजार में काफी उछाल आया है। इसी बात का फायदा उठा कर इन ठगों की चांदी होने लगी है। सोशल मीडिया पर एक ओर जहां आपको इन ठगों के गाड़ी बेचने वाले तमाम वीडियो नजर आएंगे, वहीं आपको इन ठगों के शिकार लोगों के भी अनेकों वीडियो मिल जाएंगे। इन लोगों में आपको एक बात आम मिलेगी। यह कि ये सभी छोटे शहरों से आए भोले-भाले लोग हैं, जो कम पैसों में आलीशान गाड़ी रखने का सपना देखते हैं। गाड़ी की चमक-धमक देख इन लोगों को शायद इस बात का भी ध्यान नहीं रहता कि चमकने वाली हर चीज सोना नहीं होती। वे बेचारे तो इन ठगों के झांसे में आकर कम कीमत पर महंगी गाड़ी खरीद लेते हैं। असलियत का पर्दा तब उठता है, जब ये गाड़ी लेकर अपने घर पहुंचते हैं, और कुछ दिन इस्तेमाल करने के बाद गाड़ी के अंजर-पंजर ढीले हो जाते हैं। फिर वो आलीशान गाड़ी केवल एक ‘शो-पीस’ बन कर रह जाती है।
जब कभी आप सोशल मीडिया पर वीडियो देख कर पुरानी गाड़ी खरीदने का प्लान बनाते हैं, तो हमेशा इन बातों का ध्यान रखें। गाड़ी खरीदने से पहले गाड़ी की जांच करने अवश्य जाएं। सोशल मीडिया पर दिखाई गाड़ियों की चमक-धमक के झांसे में न आएं। आपको पुरानी गाड़ी की जांच करने की पर्याप्त जानकारी न हो तो किसी जानकर को अपने साथ ले जाएं। गाड़ी के दस्तावेज की भी जांच कर पता लगाया जा सकता है कि गाड़ी असल में कितनी चली है और उसका मीटर सच बोल रहा है या नहीं। सोशल मीडिया में भी जब ऐसी गाड़ियों का वीडियो डाला जाता है, तो उसी के नीचे दिए गए कमेंट्स जरूर पढ़ें। इन कमेंट्स में आपको गाड़ी बेचने वाले डीलर के धोखे के शिकार लोग भी मिल जाएंगे। अपनी आंखों से गाड़ी देखे बिना एडवांस रकम न दें। यह तो हुई गाड़ी खरीदने वालों की बात।
ऐसा ही कुछ पुरानी गाड़ी बेचने के बाजार में भी चल रहा है। फर्क इतना है कि दिल्ली के डीलरों के अलावा कुछ नामी कंपनियां भी ग्राहक को चूना लगाने में पीछे नहीं हटती। जब सोशल मीडिया पर इन नामी कंपनियों की धोखाधड़ी के वीडियो देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि इन कंपनियों की ऐप पर आपके द्वारा बेचे जाने वाली गाड़ी का रेट कुछ और आता है परंतु जब आप गाड़ी लेकर इनके पास जाते हैं, तो रेट कुछ और आता है। कुछ छिपे हुए चार्ज भी होते हैं, जिनका खुलासा तभी होता है जब आप गाड़ी बेचने को तैयार हो जाते हैं। कुल मिलाकर बात यह निकलती है कि दिल्ली के ये नए ठग काफी हाईटेक हो चुके हैं। ये ठग इस विश्वास से पुरानी गाड़ियों की खरीद-फरोख्त करते हैं कि इनके जाल में फंसने के लिए आप खुद ही खिंचे चले आते हैं। सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए कि जिससे पुरानी गाड़ियों के बाजार के भी कुछ नियम और कानून बनें। इन कानूनों का पालन इस व्यापार से जुड़े लोगों को करना अनिवार्य हो ताकि जनता इनकी ठगी से बच सके।
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