अकाउंट एग्रीगेटर : लाभकारी सिद्ध होगा
वित्त मंत्रालय के निर्देशानुसार सभी बैंकों को 31 जुलाई तक अकाउंट एग्रीगेटर व्यवस्था से जुड़ना होगा। वैसे, कुछ वित्तीय संस्थान इस प्रणाली का हिस्सा पहले ही बन चुके हैं।
अकाउंट एग्रीगेटर : लाभकारी सिद्ध होगा |
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक और यूनियन बैंक इस व्यवस्था से जुड़ चुके हैं, जबकि भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, बैंक आफ बड़ौदा और बैंक ऑफ महाराष्ट्र जुलाई महीने के अंत तक इस व्यवस्था से जुड़ जाएंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2016 में अकाउंट एग्रीगेटर के परिचालन के लिए एनबीएफसी को मंजूरी दी थी, लेकिन तुरत-फुरत इस दिशा में अग्रतर कार्रवाई नहीं की जा सकी। पुन: वर्ष 2021 के सितम्बर महीने से इस दिशा में आगे बढ़ने का निर्देश वित्त मंत्रालय ने वित्तीय संस्थानों को दिया। अब इसने सभी वित्तीय संस्थानों को इस व्यवस्था से 31 जुलाई 2022 तक जुड़ने के लिए कहा है।
निजी क्षेत्र में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, फेडरल बैंक आदि पहले ही इस व्यवस्था से जुड़ चुके हैं। मौजूदा समय में 54 वित्तीय संस्थान, जिनमें निजी बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी), बीमा कंपनी, इश्योरेंस ब्रोकर, स्टॉक ब्रोकर आदि इसव्यवस्था से जुड़ चुके हैं। इतना ही नहीं, अकाउंट एग्रीगेटर नेटवर्क से जुड़ने वाले कुछ वित्तीय संस्थानों ने वाहन और लघु व्यवसाय क्षेत्र में 250 करोड़ का ऋण वितरण भी कर दिया है। अभी तक वित्तीय सूचना प्रदाताओं (एफआईपी) ने 2.48 लाख खातों को अकाउंट एग्रीगेटर प्रणाली से जोड़ दिया है।
अकाउंट एग्रीगेटर व्यवस्था के तहत वित्तीय संस्थानों के बीच वास्तविक समय में एनक्रिप्टेड आंकड़ों का आदान-प्रदान किया जाता है। अकाउंट एग्रीगेटरकी संरचना डेटा एंपावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (डीईपीए) फ्रेमवर्क पर आधारित है। डीईपीएएक ऐसा आर्किटेक्चर है, जो उपयोगकत्र्ताओं को सुरक्षित रूप से आंकड़ों तक पहुंचने के रास्ते को आसान बनाता है साथ ही साथ यह तीसरे पक्ष के साथ आंकड़ों को साझा करना भी मुमकिन बनाता है। यह सारा कार्य ग्राहक की सहमति के आधार पर किया जाता है। इस व्यवस्था से निवेश और ऋण वितरण में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि फिलहाल ऋण लेने के लिए अनेक दस्तावेज बैंक में जमा करने पड़ते हैं, लेकिन जब ग्राहक के वित्तीय आंकड़े बैंक के पास पहले से ही उपलब्ध रहेंगे तो बैंक के लिए ऋण प्रस्ताव का विश्लेषण करना और ऋण देना दोनों आसान हो जाएगा। धन का प्रबंधन के लिए जरूरी है कि वित्तीय जानकारी एक जगह उपलब्ध हो, ताकि उसका विश्लेषण करके उससे अधिकतम लाभ लिया जा सके और अकाउंट एग्रीगेटर ऐसी सुविधा ग्राहकों को उपलब्ध कराएगा। अकाउंट एग्रीगेटरकी मदद से ग्राहकों का सत्यापित वित्तीय आंकड़ा बैंकों मिल सकेगा, जिससे बैंकों की लागत में कमी, ऋण के प्रवाह में तेजी और धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।
ग्राहक से जुड़े वित्तीय जानकारी बैंकों को सुगमता से उपलब्ध होने से वे दूरदराज के वैसे लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) ग्राहकों को भी ऋण दे सकेंगे, जिन्हें पहले दूरी की वजह से या बैंक की शाखा नहीं होने की वजह से ऋण नहीं दिया जा रहा था। वर्ष 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस दिशा में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया गया था, जिनके अनुसार लाइसेंस प्राप्त अकाउंट एग्रीगेटरजमा स्वीकार कर सकता है और भुगतान भी कर सकता है। बैंकों को इसके लिए अलग से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है, लेकिन एनबीएफसी को ग्राहकों को भुगतान सेवा उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बैंक से पहले मंजूरी लेनी होगी। फिलवक्त, अकाउंट एग्रीगेटर के रूप में कार्य करने का लाइसेंस कुछ एनबीएफसी, जैसे कैम्सफिनसर्व, फिनवीयू, वनमनी, एनईएसएल एसेट डेटा और अनुमति के पास उपलब्ध हैं। इसके अलावा, फोनपे, एनएसडीएल ई-गवन्रेस, टैली, योडली फिनसॉफ्ट और सीआरआईएफ कनेक्टआदि को भी भारतीय रिजर्व बैंक ने अकाउंट एग्रीगेटर का लाइसेंस देने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है। इसी क्रम में भुगतान प्रदाताओं मसलन, रेजरपे, पाइन लैब्स, स्ट्राइप और 1पे आदि को भुगतान एग्रीगेटर के रूप में कार्य करने की सैद्धांतिक मंजूरी भी केंद्रीय बैंक द्वारा दी गई है। उल्लेखनीय है कि भुगतान एग्रीगेटर का लाइसेंस पाने के लिए रिजर्व बैंक के पास कई संस्थानों, जैसे, एमेजॉन, टाटा समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज, फोनपे, भारतपे आदि ने आवेदन दे रखा है।
भुगतान एग्रीगेटर्स वैसी इकाइयों को कहते हैं, जो ई-कॉमर्स वेबसाइट और कारोबारियों को ग्राहकों की ओर से विभिन्न भुगतान माध्यमों से भुगतान स्वीकार करने की सुविधा मुहैया कराते हैं और इसके लिए कारोबारियों को खुद के लिए अलग से भुगतान एकीकरण करने की जरूरत नहीं होती है। रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार भुगतान एग्रीगेटर्स के पास मार्च 2021 तक 15 करोड़ रुपये और मार्च, 2023 तक 25 करोड़ रुपये शुद्ध पूंजी होनी चाहिए और तदुपरांत, उन्हें हमेशा अपने पास 25 करोड़ रुपये की पूंजी रखनी होगी। वर्तमान में ग्राहकों को वित्तीय सस्थानों से लेनदेन करने के क्रम में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस प्रणाली से ग्राहकों की परेशानी कुछ कम होगी का अनुमान है।
अकाउंट एग्रीगेटर मौजूदा ईसीकेवाईसी, क्रेडिट ब्यूरो, सीकेवाईसी आदि संकल्पनाओं से अलग है, क्योंकि ये पहचान और ऋण इतिहास से जुड़े आंकड़े मुहैया कराते हैं, जबकि अकाउंट एग्रीगेटर बचत और चालू खाता के लेनदेन के आंकड़ों को साझा करने की अनुमति प्रदान करता है। आने वाले दिनों में यह पेंशन, प्रतिभूतियां, म्यूचुअल फंड आदि के आंकड़े भी वित्तीय संस्थानों को उपलब्ध कराएगा, जिसका फायदा ग्राहक और वित्तीय संस्थानों दोनों को मिल सकेगा। इस दृष्टिकोण से अकाउंट एग्रीगेटर व्यवस्था के विकसित होने से ग्राहकों की वित्तीय जानकारियों को जानना आसान हो सकेगा, जिससे वित्तीय संस्थानों को ऋण देने में आसानी होगी साथ ही साथ धोखाधड़ी की घटनाओं और वित्तीय संस्थानों की लागत में भी कमी आएगी।
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