नवरात्रि : राष्ट्र सेवा का संकल्प
नवरात्रि; देवी की उपासना, संयम व शक्ति संचय का पर्व है। अनुष्ठान का व्रत संकल्प लेकर आत्मानुसंधान का पर्व है।
नवरात्रि : राष्ट्र सेवा का संकल्प |
नवरात्रि केवल कर्मकांड नहीं अपितु सुषुप्त शक्तियों को पुनर्जागृत करने का दैवीय अवसर है। सबसे पहले यह समझना होगा कि देवी अर्थात क्या? देवी ब्रह्मांड की क्रियामान शक्ति हैं। ब्रह्मांड जिस ऊर्जा से संचालित होता है वह परम ऊर्जा ही देवी हैं, जो मनुष्यों के भीतर उनकी भक्ति व भाव के अनुसार प्रकट होती हैं और मनुष्य उसी ऊर्जा से सकारात्मक कार्यों को करता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां हैं, जिनमें से मार्च व सितम्बर माह में पड़ने वाली संधियों में साल की दो मुख्य नवरात्रि आती है। इस समय रोगाणु और विषाणुओं के आक्रमण की सर्वाधिक आशंका होती है।
ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुद्ध रखने के लिए, तन-मन को निर्मल रखने के लिए की जाने वाली उपवास-व्रतादि प्रक्रिया का नाम नवरात्रि है। प्राय: नवरात्रि में महादेवी की तीन शक्तियों दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा होती है। देवी कई रूपों में स्तुत्य है। तमाम हिंदू पृथ्वी को मां मानते हैं। मां भारती का गुणगान करते हैं और राष्ट्रसेवा में ही मातृसेवा का भाव रखते हैं। ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व के हाथ में भारत के विकास रथ के सारथी का दायित्व है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की बागडोर थामी है, तब से उन्होंने लगातार देश की माताओं, बहनों और बेटियों के दर्द को समझते हुए उनके हितार्थ कई योजनाएं शुरू की हैं।
कई योजनाएं भविष्य में लागू होंगी। यहां तक कि कई कानून भी बदले ताकि महिलाओं का आत्मसम्मान जागृत रहे। ये प्रधानमंत्री मोदी ही हैं, जिन्होंने तीन तलाक जैसे विवादित कानून के खिलाफ मोर्चा खोलकर मुस्लिम महिलाओं को इस समस्या से राहत दिलाने का बीड़ा उठाया। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ मोदी सरकार का ही उद्घोष है। मोदी सरकार ने पुरु ष अभिभावक के बिना महिलाओं के हज यात्रा पर रोक को भेदभाव और अन्यायपूर्ण करार देते हुए इसे खत्म कर दिया।
प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस यानी पोक्सो कानून में जरूरी संशोधन किए गए। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने महिलाओं के लिए राष्ट्रीय महिला नीति का मसौदा तैयार कर मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया। इस मसौदे के अनुरूप सरकार ने वन स्टॉप सेंटर योजना को भी अमलीजामा पहनाया। इसके तहत किसी भी प्रकार की हिंसा की शिकार पीड़िताओं को तत्काल सहायता मुहैया कराने का प्रावधान है। खुले में शौच को रोकने के लिए शौचालय की योजना बनवाई और इसके लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई गई।
मोदी सरकार ने वर्किग वुमेन हॉस्टल योजना बनाई गई। इसके अंतर्गत कामकाजी महिलाओं के लिए सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने का प्रावधान है। महिला शक्ति केंद्र योजना महिलाओं के संरक्षण और सशक्तीकरण के लिए 2017 में शुरू की गई।
इस योजना के जरिए ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाने का काम किया जाता है। पीएम उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) के जरिए गरीबी रेखा से नीचे जी रही ग्रामीण महिलाओं को गैस सिलेंडर वितरित किए जा रहे हैं। वर्ष 2022 तक 11 करोड़ महिलाओं को गैस सिलेंडर देने की योजना है। प्रधानमंत्री मोदी ने शॉर्ट सर्विस कमिशन में महिलाओं को स्थायी रूप से प्रवेश की घोषणा की है। पहले ये लाभ सिर्फ पुरु षों को ही मिलता था।
नारी शक्ति पुरस्कार के अतिरिक्त देश के 650 से ज्यादा जिलों में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में पंजीकरण, डिलीवरी, टीकाकरण और पौष्टिक आहार के लिए छह हजार रुपये की आर्थिक मदद की योजना है। केंद्र सरकार ने हज सब्सिडी खत्म कर महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक और कदम उठाया है। इस योजना पर हर सब्सिडी पर मिलने वाले बजट को अब मुस्लिम कन्या शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी मूर्तिरूप देवी की पूजा का संकल्प लेते हैं और देश की तमाम माताओं-बहनों व बेटियों की सेवा करके व्रत संकल्प को पूर्ण करते हैं। प्राय: ऐसा हुआ है कि प्रधानमंत्री मोदी नवरात्रि के पश्चात कोई न कोई सकारात्मक योजना अमल में लाते हैं या नवरात्रि के दौरान कुछ-न-कुछ देशहित के कार्य अवश्य होते हैं।
नवरात्रि और प्रधानमंत्री मोदी के बीच कई अनूठे संयोग हैं। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान जब सोमनाथ से लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा शुरू हुई उस समय शारदीय नवरात्रि थी। यह यात्रा 25 सितम्बर 1990 में शुरू हुई थी। उस समय मोदी ही आडवाणी के सारथी थे। 2014 में मोदी प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार 26 सितम्बर को अमेरिका पहुंचे थे। तब शारदीय नवरात्रि शुरू थी। 30 सितम्बर को राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री के सम्मान में भोज दिया, लेकिन व्रत होने के कारण मोदी ने केवल गुनगुना पानी पिया।
एक लोक सभा चुनाव के दौरान भी मोदी का नवरात्रि का उपवास था और उन्होंने चुनाव प्रचार किया। 2015 में मोदी ने नवरात्रि के पहले दिन असम के कामाख्या देवी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर व्रत की शुरुआत की थी। इसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान शुरू किया था। 29 मार्च 2017 में जीएसटी बिल के लोक सभा में पारित होने के दौरान प्रधानमंत्री चैत्र नवरात्रि के उपवास पर थे।
प्रधानमंत्री ने 2016 में नवरात्रि के व्रत के बाद दशहरा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मनाया था। यहीं से उन्होंने उप्र में चुनाव प्रचार अभियान की शुरु आत की। बिना अन्न ग्रहण किए मन को एकाग्रचित कर दैवीय अर्थात सकारात्मक कार्यों में लगाए रखना सबसे बड़ी साधना है। अब तक का इतिहास तो यही है कि नवरात्रि के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी नई ऊर्जा के साथ मां भारती की सेवा में जुट जाते हैं। देश का हर नागरिक उनके लिए भारत की संतान है और स्वयं को वे उनका प्रधानसेवक मानते हुए लगातार सेवाकार्य में जुटे हुए हैं। उन्होंने अपने कई उद्बोधनों में ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ का उद्घोष किया ही है। देश नरेन्द्र मोदी के साथ है।
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