मुद्दा : खजान सिंह को अब मिलेगा न्याय

Last Updated 05 Oct 2021 12:17:59 AM IST

जरा सोचिए कि किसी इंसान पर रेप करने जैसा आरोप लगाना कितना गंभीर और घिनौना कृत्य है। इससे उस इंसान का तो जीवन तबाह हो ही जाता है जिस पर यह आरोप लगता है।


मुद्दा : खजान सिंह को अब मिलेगा न्याय

उससे समाज किसी तरह का संबंध नहीं रखना चाहता और अगर यह आरोप किसी सेलिब्रेटी पर लगे तो उस पर क्या गुजरती होगी? यह सोचकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं?

जाहिर है, चूंकि किसी भी सेलिब्रिटी को जानने वालों का दायरा बहुत व्यापक होता है और उसके प्रशंसक भी हजारों में होते हैं, उसकी जिंदगी तो नरक हो ही जाती होगी न? इसी कष्ट और जिल्लत को झेला तैराकी के खिलाड़ी खजान सिंह टोकस ने। दरअसल, क्रिकेट को पसंद करने वाले भारत में कुछ अन्य खेलों के खिलाड़ी भी देश और अपना नाम रोशन करते रहे हैं, उनमें खजान सिंह भी रहे हैं। वे एक बढ़िया तैराक रहे हैं। उन्होंने 1986 के एशियाई खेलों की तैराकी की स्पर्धा में कांस्य का पदक जीता था।

तैराकी में भारत का अंतरराष्ट्रीय चैंपियनिशप में प्रदर्शन कभी भी कोई बहुत चमकदार तो नहीं रहा है। इसके बावजूद वे पदक ले पाए थे। जाहिर है, रेप के आरोप लगने के बाद वे गुजरे कुछ समय से घोर मानसिक कष्ट से गुजर रहे थे। उन पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया था। खजान सिंह की तरह वह महिला भी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में ही काम करती हैं, लेकिन कोर्ट में लंबी चली कार्यवाही के बाद दिल्ली की एक अदालत ने खजान सिंह को महिला कांस्टेबल द्वारा दायर कथित बलात्कार मामले में बरी कर दिया।

30 वर्षीय महिला कांस्टेबल ने अंत में अपने बयान में यह स्वीकार किया कि उसने गुस्से में आकर आरोपी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की थी। उसका पहले कहना था कि खजान सिंह टोकस और सीआरपीएफ के कुश्ती कोच, इंस्पेक्टर सरजीत सिंह ने उससे यौन संबंध बनाने के लिए कहा और कई मौकों पर उसके साथ बलात्कार किया। उसने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराते हुए अपने आरोपों को वापस ले लिया। अभियोक्ता की गवाही से, यह स्पष्ट है कि अभियोक्ता के साथ किसी भी समय न तो बलात्कार किया गया था और न ही आरोपी व्यक्तियों द्वारा कोई धमकी दी गई थी। अब देखने वाली बात यह है कि खजान सिंह और उनके साथी को फंसाने की कोशिश कर रही महिला के ऊपर क्या कार्रवाई होती है?

बेहतर होगा कि कोर्ट इस तरह की औरतों पर भी एक्शन ले ताकि कोई इस तरह के झूठे आरोप किसी पर न लगा सके। कुछ समय पहले राजधानी में एक युवती द्वारा दुष्कर्म का झूठा केस दर्ज कराने पर अदालत ने उसके प्रति कड़ा रुख अपनाया था। अदालत ने युवती के खिलाफ संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे। बेशक, रेप एक जघन्य अपराध है। इसके लिए जिम्मेदार लोगों को तो कभी भी बख्शा नहीं  जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 में बलात्कार के अपराध की सजा बताई गई है। इसमें रेप करने वाले अपराधी के लिए कम-से-कम सात साल की सजा का प्रावधान है। कुछ मामलों में यह सजा 10 साल की भी हो सकती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, रेप के दर्ज मामलों में हर चौथी विक्टिम नाबालिग होती है। यही नहीं, लगभग 90 फीसद मामलों में रेप करने वाले अपराधी पीड़िता के पूर्व  परिचित ही  होते हैं।

बहरहाल, कहने की जरूरत नहीं है कि रेप के झूठे आरोप लगने से आरोपियों की जिंदगी और करियर तबाह हो ही जाती है। रेप के झूठे मामले में आरोपित अपना सम्मान तो खो देता है और अपने परिवार और परिचितों का सामना नहीं कर सकता।  दिल्ली हाईकोर्ट ने अगस्त माह में दिए एक फैसले में कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपसी मामलों को हल करने के लिए कुछ लोग दुष्कर्म के झूठे आरोप का सहारा लेते हैं। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने शिकायतकर्ता और आरोपित व्यक्तियों से समझौते को नकारते हुए कहा कि अपराध की गंभीर प्रकृति के कारण छेड़छाड़ और दुष्कर्म के झूठे दावों और आरोपों को सख्ती से निपटाने की जरूरत है।

निर्भया रेप केस के बाद सारे देश की यह राय बनी  कि बलात्कारी को कठोर-से-कठोर दंड मिले। पर निर्भया केस से जुड़ा एक नाबालिग दोषी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ। रेप के आरोपित को इस आधार पर छोड़ा नहीं जा सकता है कि वह नाबालिग है। दरअसल, सारी बहस का निष्कर्ष यह है कि रेप करने वाले शख्स को तो हर हालत में दंड मिले। दूसरी बात यह है  कि रेप करने का किसी पर मिथ्या आरोप लगाने वाला इंसान भी किसी हालत में बचे नहीं। खजान सिंह को लंबे समय तक अकारण ही नजरें छुपा के चलना पड़ा होगा। जो खिलाड़ी देश का नाम रोशन करता रहा है उसे जलील होना पड़ा।

आर.के. सिन्हा


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