सरोकार : पोलैंड में बलात्कार की परिभाषा बदलने की मांग
गर्भपात पर हर देश से हर हफ्ते कोई न कोई खबर आ रही है। पोलैंड से खबर मिली है कि सत्ताधारी कंजर्वेटिव ‘लॉ एंड जस्टिस’ पार्टी की सरकार गर्भपात को लेकर सख्त कानून बनाने जा रही है।
सरोकार : पोलैंड में बलात्कार की परिभाषा बदलने की मांग |
वैसे पिछले साल ही पोलैंड के संवैधानिक ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया था कि पोलैंड में वही गर्भपात वैध माने जाएंगे जिनमें या तो गर्भ रखने से मां की सेहत/जान का खतरा हो या फिर रेप जैसी घटना के कारण महिला गर्भवती हुई हो। इस आदेश के पहले ही कैथोलिक-बहुल देश पोलैंड के गर्भपात कानून पूरे यूरोप में सबसे सख्त माने जाते थे।
इस पर यूरोप की शीर्ष मानवाधिकार निगरानी समूह काउंसिल ऑफ यूरोप ने पोलैंड सरकार को चुनौती दी है। उसने कहा है कि नये कानून का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है लेकिन इसके बावजूद गर्भपात को लेकर पोलैंड सरकार अपने फैसले पर अड़ी है। समूह ने कहा है कि पोलैंड को रेप की परिभाषा बदलनी चाहिए। अब तक इस परिभाषा में जोर जबरदस्ती से किए गए काम शामिल होते हैं। समूह का कहना है कि इसमें गैर-सहमति वाले सभी यौन कृत्यों को शामिल किया जाना चाहिए। काउंसिल ऑफ यूरोप ने यह भी कहा है कि पोलैंड को यौन हिंसा के पीड़ितों के लिए आपातकालीन देखभाल और सेवाओं में सुधार करना चाहिए। पुलिस और चिकित्सा कर्मचारियों को रेप के मामलों में बेहतर ढंग से प्रशिक्षित करना चाहिए। साथ ही, देश में महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के बीच संवाद बढ़ाना चाहिए।
यूं पिछले नवम्बर में पोलैंड सरकार ने गर्भपात से जुड़े एक विवादास्पद अदालती फैसले को लागू न करने का ऐलान किया। फैसला गर्भपात पर रोक से संबंधित था। अदालत ने फीटल अबनॉर्मिंलिटी के आधार पर गर्भपात कराने के कानून को रद्द कर दिया था। पोलैंड में 99 परसेंट गर्भपात इसी आधार पर कराए जाते हैं। फैसले के खिलाफ देश भर में जबरदस्त विरोध प्रदशर्न हुए। कम्युनिस्ट सरकार के हटने के बाद ये सबसे बड़े प्रदशर्न थे। इन प्रदशर्नों का नतीजा हुआ कि सरकार को झुकना पड़ा। लेकिन अब सरकार इस फैसले को लागू करने की फिराक में है।
काउंसिल ऑफ यूरोप का बयान इस समीक्षा का हिस्सा है, कि कैसे यूरोपीय देश महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और मुकाबला करने के लिए 2014 के इस्तांबुल संधि को लागू कर रहे हैं। अब तक विश्लेषण किए गए 17 देशों में से तीन बेल्जियम, माल्टा और स्वीडन ही ऐसे हैं, जहां सहमति न होने पर किए गए यौन कृत्यों को यौन हिंसा माना जाता है। यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में से छह देशों ने इस्तांबुल संधि की पुष्टि नहीं की है। हंगरी, बुल्गारिया, स्लोवाकिया, चेक गणराज्य, लात्विया और लिथुआनिया इन देशों में शामिल हैं।
यूं हर साल 80,000 से 1,20,000 पोलिश महिलाएं दूसरे देशों में जाकर गर्भपात करवाती हैं। सरकार के कड़े कदम के बाद गर्भपात करवाने के लिए दूसरे देशों में ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। हालांकि दुनिया भर में गर्भपात की दरों पर नजर रखना मुश्किल है क्योंकि कई देश गर्भपात की दरों को रिकॉर्ड या रिपोर्ट नहीं करते। यह बात उन देशों में विशेष रूप से सच है जहां गर्भपात गैर-कानूनी है और इसके रिकॉर्ड नहीं रखे जाते। साल 2015 की प्यू रिसर्च सेंटर एनालिसिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के ज्यादातर देश, आंकड़ों के हिसाब से कहें तो 96% किसी महिला की जिंदगी को बचाने के लिए गर्भपात की अनुमति देते हैं।
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